बसनिया बांध निरस्त करने एसडीएम निवास को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

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दैनिक रेवांचल टाइम्स मंडला बसनिया बांध से कुल 31 गांव के लोग विस्थापित एवं प्रभावित होने वाले हैं। जिसमें निवास तहसील का चकदेही, कापा, पंडरीतलाई, नैझर,दरगढ, फरकी माल, सिवनी माल, बसगढी और मुरलापानी गांव शामिल है।कल मंगलवार को इन गांव के सरपंच, उप सरपंच, जनपद सदस्य और ग्रामीणों ने मिलकर एसडीएम निवास को भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 244 में यह व्यवस्था है कि अनुसूचित क्षेत्रों के पांचवीं अनुसूची के धारा- 2 के अन्तर्गत राज्यों की कार्यपालन शक्ति शिथिल किया गया है अर्थात प्रशासनिक व्यवस्था में राज्यपाल को सर्वोच्च शक्ति एवं अधिकार दिया गया है। यह शक्ति संविधान के किसी भी प्रावधानों से मुक्त है।बताया गया है कि मंडला पांचवीं अनुसूची (आदिवासी क्षेत्रों की विशेष वयवस्था) के तहत वर्गीकृत है, जहां पेसा अधिनियम प्रभावशील है।इस बसनिया बांध परियोजना को लेकर प्रभावित ग्राम सभाओं ने विरोध में प्रस्ताव पारित कर सबंधित कलेक्टर को सूचित किया गया है।इसके बाबजूद भूमि अधिग्रहण के लिए प्रभावित विभिन्न गांवों के लिए धारा – 11 की अधिसूचना प्रकाशित करना, डूब में आने वाली शासकीय (निस्तार) भूमि के लिए ग्राम सभाओं से अनापत्ति पत्र की मांग करना और बांध सर्वे कार्य को आगे बढाया जा रहा है, जो आदिवासियों को पेसा नियम के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकारों का हनन है।पांचवीं अनुसूची और पेसा अधिनियम के तहत प्राप्त अधिकारों के दायरे में हमारी ग्राम सभा बांध बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान नहीं करती है।अतः इस मामले में राष्ट्रपति महोदया से तत्काल हस्तक्षेप करते हुए निरस्त करवाने की मांग की गई है। ज्ञात हो कि विगत दिनों घुघरी तहसील के प्रभावित ग्रामीणों ने भी एसडीएम को ज्ञापन दिया था।ज्ञापन देने के समय बसनिया (ओढारी) बांध विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष बजारी लाल सर्वटे,सरपंच चकदेही चैती बाई,
उप सरपंच चकदेही गौतम यादव,सरपंच नैझर रामचरण मश्राम ,उप सरपंच नैझर दसरी बाई, सरपंच सिवनी माल,जनपद सदस्य मनोज कुङापे, मुकदम चीमका टोला चंदन सिंह उईके, मुकदम दरगढ गुलाब सिंह परस्ते, राजेन्द्र कुलस्ते आदि शामिल थे।

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