बैगा को वन भूमि से बेदखल कर वृक्षारोपण की तैयारी बैगा को वन भूमि से बेदखल कर वृक्षारोपण की तैयारी

9

दैनिक रेवांचल टाइम्स मंडला जमगांव दादर(मेंढा) विकास खंड मवई में आदिवासी बैगा परिवारों का एक गंभीर मामला सामने आया है। विगत बीस वर्षों से वन भूमि पर खेती कर रहे बैगा परिवारों को बेदखल कर उक्त भूमि पर वन विभाग द्वारा गढढे किया जाकर वृक्षारोपण की तैयारी किया जा रहा है। वर्ष 2001में उक्त भूमि को लेकर 44 बैगा आदिवासी के ऊपर जमीन अतिक्रमण का मामला भी बनाया गया था।वर्ष 2006 में बने वन अधिकार कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व वन भूमि काबिज आदिवासियों को वन भूमि का अधिकार पत्र मिलेगा। जो उक्त भूमि पर खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, इन बैगा परिवारों के पास भी इस जमीन के अलावा अन्य कोई कृषि भूमि नहीं है।वन भूमि पर खेती कर रहे बैगा परिवारों ने वन अधिकार का अपना वयक्तिगत दावा प्रपत्र पंचायत में प्रस्तुत किया था।इस लंबित दावों का आजतक निराकरण नहीं हुआ है।जबकि वन अधिकार कानून 2006 की कंडिका – 4(5) में स्पष्ट प्रावधान है कि ‘जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, किसी वन में निवास करने करने वाली अनुसूचित जनजाति या अन्य परम्परागत वन निवासियों का कोई सदस्य उसके अधिभोगाधीन वन भूमि से तब तक बेदखल नहीं किया जाएगा या हटाया नहीं जाएगा जबतक कि मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है।’ विगत एक माह से जबरन वन विभाग एवं कुछ गांव के लोगों के सहयोग से बैगा परिवार की जमीन पर वृक्षारोपण के लिए गढढा किया जा रहा है।जबकि उक्त भूमि पर बड़े डोली, बांधा खेत और प्रधानमंत्री आवास तक बने हैं। गांव के मानसिंह निमोनिया, बैसाखु मुर्खिया,नंद कुमार धुर्वे, बुधराम मरावी,वन अधिकार समिति अध्यक्ष राम रतन मरावी, सुभरन बाई, संगीता विश्वकर्मा आदि ने कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप करते हुए न्याय दिलाने की गुहार किया है।
समाजिक कार्यकर्ता

दैनिक रेवांचल टाइम्स मंडला जमगांव दादर(मेंढा) विकास खंड मवई में आदिवासी बैगा परिवारों का एक गंभीर मामला सामने आया है। विगत बीस वर्षों से वन भूमि पर खेती कर रहे बैगा परिवारों को बेदखल कर उक्त भूमि पर वन विभाग द्वारा गढढे किया जाकर वृक्षारोपण की तैयारी किया जा रहा है। वर्ष 2001में उक्त भूमि को लेकर 44 बैगा आदिवासी के ऊपर जमीन अतिक्रमण का मामला भी बनाया गया था।वर्ष 2006 में बने वन अधिकार कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व वन भूमि काबिज आदिवासियों को वन भूमि का अधिकार पत्र मिलेगा। जो उक्त भूमि पर खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, इन बैगा परिवारों के पास भी इस जमीन के अलावा अन्य कोई कृषि भूमि नहीं है।वन भूमि पर खेती कर रहे बैगा परिवारों ने वन अधिकार का अपना वयक्तिगत दावा प्रपत्र पंचायत में प्रस्तुत किया था।इस लंबित दावों का आजतक निराकरण नहीं हुआ है।जबकि वन अधिकार कानून 2006 की कंडिका – 4(5) में स्पष्ट प्रावधान है कि ‘जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, किसी वन में निवास करने करने वाली अनुसूचित जनजाति या अन्य परम्परागत वन निवासियों का कोई सदस्य उसके अधिभोगाधीन वन भूमि से तब तक बेदखल नहीं किया जाएगा या हटाया नहीं जाएगा जबतक कि मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है।’ विगत एक माह से जबरन वन विभाग एवं कुछ गांव के लोगों के सहयोग से बैगा परिवार की जमीन पर वृक्षारोपण के लिए गढढा किया जा रहा है।जबकि उक्त भूमि पर बड़े डोली, बांधा खेत और प्रधानमंत्री आवास तक बने हैं। गांव के मानसिंह निमोनिया, बैसाखु मुर्खिया,नंद कुमार धुर्वे, बुधराम मरावी,वन अधिकार समिति अध्यक्ष राम रतन मरावी, सुभरन बाई, संगीता विश्वकर्मा आदि ने कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप करते हुए न्याय दिलाने की गुहार किया है।
समाजिक कार्यकर्ता

instagram 1
Leave A Reply

Your email address will not be published.