चर्चा में कार्यालय कलेक्टर शाखा..? बनी उपेक्षा का अड्डा, आवेदकों के साथ छलावा!
मंडला | जिले में प्रशासनिक लापरवाही अपने चरम पर है। आम नागरिकों की शिकायतों और जनकल्याण से जुड़े आवेदनों का कलेक्टर कार्यालय की शाखा में क्या हश्र हो रहा है, इसका कोई ठोस जवाब किसी के पास नहीं है। आवेदन पत्र लिए जा रहे हैं, पावती पर मुहर भी लगाई जा रही है, लेकिन समाधान की प्रक्रिया धुंध में गुम है।
सबसे अधिक सवाल उठ रहे हैं जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज होने वाली शिकायतों को लेकर। आवेदक उम्मीद लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें निराशा और भ्रम के सिवा कुछ नहीं मिलता। प्रशासन की यह उदासीनता नागरिकों के बीच गहरी नाराजगी का कारण बन रही है।
जनता के सवाल, लेकिन जवाबदारों की चुप्पी
नैनपुर तहसील के ग्राम परसवाड़ा के कुछ नागरिकों ने कलेक्टर शाखा में आवेदन दिए थे, जिनमें से कई का अब तक कोई समाधान नहीं निकला। ये हाल तब है जब जनकल्याण शिविरों में दावे किए जाते हैं कि सभी समस्याओं का समय पर निराकरण होगा। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।
स्थिति इतनी गंभीर है कि लोग अब यह कहने लगे हैं कि यह शाखा सिर्फ आवेदन इकट्ठा करने का केंद्र बन गई है, यहां समाधान की उम्मीद बेमानी है। प्रशासन का ढुलमुल रवैया साफ संकेत दे रहा है कि या तो व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है या फिर इसमें किसी तरह का खेल चल रहा है।
क्या कोई समीक्षा होगी या सब चलता रहेगा?
आवेदकों को गुमराह करना, उनके आवेदन लटकाना और फिर उन्हें अपने ही अधिकारों के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर करना—क्या यही ‘जनहितैषी प्रशासन’ है? सवाल उठता है कि आखिर कब इस लापरवाही पर नकेल कसी जाएगी? क्या शासन-प्रशासन को इस शाखा की वास्तविकता का पता लगाने के लिए किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है?
जन अपेक्षा है कि इस शाखा की गंभीर समीक्षा हो, निराकरण की पूरी प्रक्रिया का भौतिक सत्यापन किया जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो। वरना, जनता का प्रशासन से भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा, और यह प्रशासनिक लापरवाही एक बड़े जन आक्रोश का कारण भी बन सकती है।
