आईपीएल सट्टा कनेक्शन का खुलासा: टूटपंजिया सटोरियों की गिरफ्तारी से पुलिस ने पीठ थपथपाई, मगर असली ‘बड़े खिलाड़ियों’ तक पहुंचना अब भी बाकी
जबलपुर,
आईपीएल क्रिकेट के रोमांचक सीजन के बीच जबलपुर पुलिस ने सट्टा कारोबार पर शिकंजा कसने का दावा किया है। क्राइम ब्रांच की टीम ने कार्रवाई करते हुए तीन सटोरियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये लाखों की सट्टेबाजी का संचालन कर रहे थे। इनके पास से नगदी, मोबाईल फोन, लैपटॉप समेत कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सट्टेबाजी का यह काला कारोबार इन्हीं टूटपंजिया सटोरियों के इर्द-गिर्द घूमता है या फिर कहीं और से नियंत्रित हो रहा है?
सटीक मुखबिरी और त्वरित कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक सम्पत उपाध्याय द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत जिले भर में सट्टा कारोबारियों की धरपकड़ के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अपराध/यातायात) सोनाली दुबे व उप पुलिस अधीक्षक (अपराध) उदयभान बागरी के मार्गदर्शन में क्राइम ब्रांच की टीम को एक बड़ी सफलता मिली।
विश्वसनीय मुखबिर से सूचना मिलने पर थाना प्रभारी अपराध शैलेष मिश्रा के नेतृत्व में टीम ने कटंगी-पाटन बायपास स्थित हुकुमचंद पटेल के घर पर दबिश दी। यहां एक ऊपरी कमरे में निखिल उर्फ निक्की जैन (29), राकेश जैन (56), और आनंद जैन (49) मोबाइल व लैपटॉप पर गुजरात-राजस्थान मैच के दौरान ‘शुभ लाभ’ नामक एप्लीकेशन के जरिये सट्टा खेलते हुए मिले।
तकनीक का बढ़ता उपयोग
पकड़े गए आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, 8 मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, चार्जर, एक्सटेंशन बॉक्स और कुल 33,500 रुपये नगद बरामद किए गए। मोबाइल फोन की जांच में सामने आया कि राकेश जैन एक मोबाइल नंबर फर्जी नाम से इस्तेमाल कर रहा था, जिससे साइबर अपराध की आशंका और बढ़ जाती है।
तीनों के खिलाफ सट्टा एक्ट की धारा 4, 4(क) और आईटी एक्ट की धारा 66(सी) के तहत मामला दर्ज कर विधिवत कार्रवाई की गई है।
पुलिस ने निभाई भूमिका, लेकिन…
इस कार्रवाई में उप निरीक्षक चंद्रकांत झा, एएसआई धनंजय सिंह, प्रधान आरक्षक वीरेंद्र, आरक्षक राजेश मिश्रा, त्रिलोक पारधी, राजेश मात्रे और सायबर सेल के प्रधान आरक्षक अमित पटेल, आरक्षक अरविंद सूर्यवंशी की भूमिका उल्लेखनीय रही।
लेकिन यहाँ यह कहना भी जरूरी है कि पुलिस ने जिन तीन सटोरियों को पकड़ा है, वे असल में ‘फ्रंटलाइन ऑपरेटर’ हैं— ऐसे लोग जो बड़े मगरमच्छों के इशारे पर काम करते हैं। जबकि शहर में सट्टा कारोबार की असली जड़ें कहीं गहराई में हैं और उन तक पहुंचने के लिए और अधिक गहन जांच व निगरानी की जरूरत है।
न्याय और निष्पक्षता की दरकार
जब तक सट्टा कारोबार की जड़ में बैठे रसूखदार ‘खिलाड़ियों’ तक पुलिस की पकड़ नहीं पहुंचती, तब तक इस अभियान को अधूरा ही माना जाएगा। कानून के सामने सब बराबर हैं— ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस आने वाले दिनों में सिर्फ दिखावटी कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपाने की बजाय सट्टा कारोबार के असली सरगनाओं को भी कानून के कठघरे में लाएगी।
रिपोर्ट मोहम्मद अकरम अंसारी
