गिट्टी क्रेशर की ब्लास्टिंग से दहल रहा पातादेई, घर की दीवालो पर आ गई दरारें

पत्थर खदान की लीज समाप्त, निमयो का नहीं हो रहा पालन

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रेवांचल टाइम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य मण्ड़ला जिले में खजिन का आकूत भंडार है। खनिज दोहन के लिए जमीन लीज में लेने के बाद लीज धारक नियम कायदो को दरकिनार कर रहे है। यहां तक की शासन से प्राप्त लीज भी समाप्त होने के बाद भी खनन कर रहे है। मामला जिले के जनपद पंचायत मोहगांव के ग्राम पंचायत बोड़ासिल्ली का है। यहां क्रेशर संचालक के द्वारा मनमानी की जा रही है और माप दंड से अधिक मात्रा में खनन कर क्रेशर का संचालन किया जा रहा है। खदान में पत्थर तोडऩे के लिए ब्लास्टिग की जा रही है। क्रेशर के आसपास के ग्रामीणो के घरो की दीवाल में दरारें आ गई।

खनिज विभाग के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बताया गया है कि जिले में क्रेशर संचालन सभी नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। विभागीय मिलीभगत से मनमना खनन किया जा रहा है। शिकायत होने के बाद किसी भी तरह की जांच नहीं की जाती है। मोहगांव जनपद पंचायत क्षैत्र के ग्राम पंचायत बोडासिल्ली में संचालित कौशिक स्टोन क्रेशर के बोर्ड पर पट्टेदार का नाम श्री खेमकण साहू खदान पत्थर गिट्टी स्वीकृति ग्राम पतादेई ग्राम पंचायत बोडासिल्ली खसरा नम्बर 116, 117 रकबा 1.50 हे.अवधि 31/3/2015 से 30/3/25 तक अंकित है।
वही खदान में लगे बोर्ड के अनुसार तो खदान की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी क्रेशर और खदान में खनन जारी है। यहां तक धड़ल्ले से ब्लास्टिंग की जा रही है।

क्रेशर खदान में नियमों का नही हो रहा पालन…

वही ग्रामीण अंचलों मेंं संचालित गिट्टी क्रेशर खदानों में पत्थर को तोडऩे के दौरान उडऩे वाली धूल उड़ कर ग्रामीणों के खेत खलिहान और जंगल मे जा रही है जिससे आसपास का बाताबरण दूषित होते जा रहा हैं। पर्यवारण और आसपास के इलाकों को बचाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त नियम बनाए है लेकिन मैदानी स्तर पर इसका पालन नहीं हो पा रहा है। कौशिक स्टोन क्रेशर की खदान में पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा है, और ना ही विंड ब्रेकिंग वाल बनाई गई है। इससे प्रदूषण पर कंट्रोल ही नहीं हो पा रहा है। खदान संचालक को संचालन अनुमति देते समय स्पष्ट रूप से पर्यावरणीय नियम के पालन के शपथ पत्र लिए जाते हैं। की क्रेशर से निकलनी वाली धूल से श्रमिकों और आसपास के इलाकों में पडऩे वाले प्रभाव को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी सख्त आदेश जारी किए हैं। जिनमें उन्हें धूल का कंट्रोल हर हाल में करना है। इसके बावजूद मौजूद के क्रेशर में नियमों की अनदेखी की जा रही है। क्रेशरों का स्थल पर विंड वाल, जल छिड़काव, प्लांटेशन, तारपोलिंग जैसे कोई भी नियम नहीं है।

संचालको की मनमानी, या कहें विभाग मेहरबान

ग्रामीणों ने बताया है कि मंडला जिले में क्रेशर संचालको पर खनिज विभाग के अफसर मेहरबान है। खदानो और क्रेशर की जांच के लिए अफसर खाना पूर्ति कर रहे है। इसके चलते क्रेसर संचालको के द्वारा मन चाहा शासकीय भूमि निजी भूमि हो बे रोक टोक के मनमाना खनन किया जा रहा है। खदान से मुनारा गायब है और रकबा से अधिक खनन किया जा रहा है। इससे आसपास के गाँव निवासरत लोगो के साथ साथ पर्यावरण को भी तेजी से नुकसान पहुंच रहा है। वहीं दूसरी ओर शासन को भी राजस्व की क्षति पहुंच रही है। क्रेशर संचालक को रसूखदारो का संरक्षण प्राप्त है इस लिए मनमाने और अवधि समाप्त के बाद भी क्रेशर का संचालन किया जा रहा है। इन पर कार्रवाई के लिए खनिज विभााग या स्थानीय प्रशासनिक अमला के द्वारा किसी भी तरह की जांच नहीं की जा रही है। जिस कारण से इनके हौसले बुलंद नज़र आ रहें हैं।

इस मामले में क्या कहते है जिम्मेदार…

अभी में मिटिंग में हूं, क्रेशर की लीज सम्बधी जानकारी भी नहीं बता सकता हूं। कार्यालय आ जाए !
हीतेश बिसेन,
खजिन निरीक्षक मंडला

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