वैशाख अमावस्या पर शनि देव, विष्णुजी की पूजा का अक्षय फल, पितृ तर्पण से मोक्ष, जानें अमावस्या की डेट और स्नान दान मुहूर्त
ज्योतिष में सूर्य को रविवार का कारक ग्रह माना जाता है। इसलिए रविवार और अमावस्या के योग में दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। इस अमावस्या पर सत्तु का दान करने का विधान है।
पितृ तर्पण से सुख समृद्धि (Pitra remedy)
साथ ही, वैशाख अमावस्या पर पितृ तर्पण करने से पितरों के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, और यह दिन परिवार के लिए एकता और सौहार्द की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस दिन विशेष रूप से दान पुण्य का महत्व है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कब है वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2025)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025 की सुबह 04:49 से 28 अप्रैल 2025 की सुबह 1 बजे तक रहेगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान का विशेष महत्व माना जाता है।
पितरों के लिए धूप-ध्यान
नीतिका शर्मा ने बताया कि पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का होता है। सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय रहता है और दोपहर में करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का समय बताया गया है। इस समय को कुतप काल कहते हैं। अमावस्या की दोपहर में गोबर के कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़ और घी से धूप अर्पित करें।
वैशाख अमावस्या दान-पुण्य (Vaishakh Amavasya 2025 Dan Puny)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें। इस अमावस्या पर किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का और जल का दान भी कर सकते हैं। जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।
वैशाख अमावस्या पूजा विधि (Vaishakh Amavasya 2025 Puja Vidhi)
1.अमावस्या पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। अर्घ्य चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। सूर्य को पीले फूल चढ़ाएं।
3. घर की छत पर या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें।
6. हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें, जिससे आत्मबल और मानसिक शांति मिले। किसी मंदिर में धूप बत्ती, घी, तेल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई, कुमकुम, गुलाल, और भगवान के लिए वस्त्र जैसी पूजा सामग्री का दान करें।
चावल से तृप्त होते हैं पितर देव
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि चावल से बने सत्तू का दान इस दिन पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध में चावल से बने पिंड का दान किया जाता है और चावल के ही आटे से बने सत्तू का दान किया जाता है। इससे पितृ खुश होते हैं।
