आषाढ़ महीने की पहली संकष्टी चतुर्थी, जान लें पूजा मुहूर्त, विधि और मंत्र
हिंदू धर्म में हर महीने की दोनों चतुर्थी भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित हैं. चतुर्थी व्रत रखने से विघ्नहर्ता गणेश जी प्रसन्न होते हैं. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इस समय ज्येष्ठ महीना चल रहा है और जल्द ही आषाढ़ महीना शुरू होने वाला है. आषाढ़ महीने की पहली चतुर्थी 25 जून को पड़ रही है. आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी कि संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन विधि-विधान से चतुर्थी व्रत रखने और विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करने से जीवन की सारी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं.
साथ ही मान्यता है कि कृष्णपिंगल चतुर्थी का व्रत निर्धन को धन और नि:संतान को संतान सुख देने वाला है. पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में महिष्मति नगरी में महीजित नाम के प्रतापी राजा ने ब्राह्मणों के कहने पर यह व्रत किया था. साथ ही गणेश जी की पूजा करके दान-पुण्य किया था, इससे उसे पुत्र प्राप्ति हुई थी.
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कब है?
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 24-25 जून की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगी और 25 जून की रात 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 25 जून को रखा जाएगा.
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प करें. सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद घर और मंदिर की साफ सफाई करें. गंगा जल का छिड़काव करके जगह को शुद्ध करें. फिर पूजा की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. उनका हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं. अक्षत-फूल अर्पित करें. घी का दीपक जलाएं. गणपति बप्पा को मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाकर उनसे सारे विघ्न-बाधाएं दूर करके जीवन में सुख-शांति, समृद्धि देने की प्रार्थना करें. फिर भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें. आखिर में गणेश जी की आरती करें. सभी को प्रसाद बांटें.
गणेशजी के इस मंत्र का करें जाप
ॐ एकदंताय विघ्न हे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विघ्न हे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥