संदिग्ध अवस्था में जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति विभाग की साख, शह, वजनदारी या पैसा?

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जिले के संलग्नीकरण से चरमराई शिक्षा व्यवस्था

1 लाख 68 हजार के गबन के आरोपी को दिया गया स्मरण पत्र!

विभागीय उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना

रेवांचल टाईम्स – मंडला उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षकों की लंबे समय से कमी से जूझता आदिम जाति बाहुल्य जिला मंडला इस वक्त शिक्षकों की संलग्नीकरण की मार झेल रहा है संभाग उपायुक्त द्वारा किए जा रहे
संलग्नीकरण से जिले में शिक्षा व्यवस्था की दिशा और दशा दोनों प्रभावित हो रही है आदिम जाति बाहुल्य जिले में अधिकांश स्कूल ग्रामीण अंचल से आते हैं जहां नियमित शिक्षक की कमी की वजह से अतिथि शिक्षकों द्वारा शिक्षा व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है सौभाग्यवस यदि गलती से शहर की किसी नियमित शिक्षक की नियुक्ति दूरस्थ किसी ग्रामीण ग्राम में हो जाती है तो अधिकारियों द्वारा उन्हें शहर में
संलग्नीकरण कर दिया जाता है इसकी जानकारी ना तो जिला के प्रमुख को दी जाती है और ना ही संबंधित उच्च अधिकारी को लंबे समय से यह समस्त प्रक्रिया संदेह के घेरे में है नियमों को ताक में रखकर कई कई स्कूलों को शिक्षक विहीन कर दिया गया है जिससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो चुकी है इसकी सुनवाई कहीं नहीं की जा रही है क्या गरीब मजदूरों के बच्चों को पढ़ने का जिम्मा अतिथि शिक्षकों ने ले रखा है??
नियमित शिक्षकों से अध्यापन का सौभाग्य क्या केवल शहर के बच्चों को प्राप्त है इन प्रश्नों का जवाब कौन देगा??

1 लाख 68 हजार गबन आरोपी को दिया गया स्मरण पत्र-

जिले के अंत में स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मनेरी आज सुर्ख़ियों का केंद्र बना हुआ है यहां के शैक्षिक स्टाफ की गुटबाजी की ख्याति पूरे जिले में प्रसिद्ध है कोई भी समझदार व्यक्ति यहां नौकरी करना नहीं चाहता किंतु कुछ दिनों पूर्व घटित घटना ने मनेरी को चर्चा का केंद्र बना रखा है 1 वर्ष पूर्व पदस्थ प्राचार्य को मात्र इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने कई वर्षों से निरंतर कार्यरत दो अतिथि शिक्षकों को काम करवाने के बाद क्रमशः 19080 एवं 7800 मानदेय भुगतान किया जबकि इस संस्था में विगत 10 वर्षों से कार्यरत सहायक ग्रेड 2 गोपाल प्रसाद साहू के 1 लाख 68 हजार की गबन की पुष्टि होने पर भी उन्हें स्मरण पत्र देकर कार्य को पूर्ण करने हेतु आदेशित किया यह घटना अपने आपमें बहुत कुछ कहती हुई प्रतीत होती है आज वर्तमान सरकार निरंतर सुशासन युग लाने की बात कर रही है और कितना सुशासन विभाग में चल रहा है जिसकी जानकारी शायद ही शिक्षा प्रमुख को होगी?

विकासखंड शिक्षा अधिकारी की अहम भूमिका दी गई गलत जानकारी-

विकासखंड शिक्षा अधिकारी निवास द्वारा पत्र क्रमांक 654 दिनांक 9.11.2023 को दी गई जानकारी में कहा गया कि दो अतिथि शिक्षकों का भुगतान जुलाई 23, अगस्त 23, सितंबर 23, का किया गया है किंतु प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों अतिथि शिक्षक वर्ग एक में पदस्थ है और तीन माह की उनकी सैलरी 9000 ×3 =27000 होती है जबकि उन्हें क्रमशः मात्र 19080 एवं 7800 राशि प्राप्त हुई है जबकि सितंबर से वेतन दोगुना करने का आदेश राज्य सरकार दे चुकी एवं विकासखंड के समस्त अतिथि शिक्षकों को सितंबर माह से दोगुना मानदेय प्राप्त हुआ है!
प्राचार्य के निलंबन में यह आदेश कितना मायने रखता है यह तो विभाग अधिकारी ही बता पाएंगे और विकासखंड शिक्षा अधिकारी की स्थिति संदिग्ध बनी हुई है उन्होंने यह गलती बस किया या जानबूझकर दोषियों के संरक्षण हेतु किया प्रश्न बना हुआ है।

विभागीय उच्च अधिकारी के आदेश की अवहेलना-

वर्तमान सरकार सुशासन सरकार लाने का ढिंढोरा पीट रही है और शिक्षा की गुणवत्ता हेतु नित्य नए आयाम निर्धारित किए जा रहे किंतु शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा उनके उच्च अधिकारियों के आदेश को दरकिनार कर अपने मनमर्जी से आदेश प्रेषित किए जा रहे हैं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मनेरी सहायक ग्रेड 2 गोपाल प्रसाद साहू अनेको अनियमिताओं के दोषी को सहायक आयुक्त द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी निवास में अटैचमेंट किया गया है आज तक दोष मुक्त नहीं किया है बल्कि जबलपुर संभाग उपायुक्त द्वारा उन पर 1 लाख 68 हजार की राशि के अनैतिक उपयोग की पुष्टि की गई किंतु वर्तमान मनेरी प्राचार्य ने उन्हें किस नियम और कार्यक्षेत्र के तहत विद्यालय में कार्य हेतु दोषी को आदेशित कर दिया जबकि सहायक आयुक्त एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारी को इसकी कोई जानकारी नहीं है यह बात समझ से परे है यहां बड़ा कौन? छोटा कौन? यह विभाग बता नहीं पा रहा है और विभाग के उच्च अधिकारी को भी अपने अधिकारों का या तो ज्ञान नहीं है? या फिर अन्य किसी वजह से यह उच्च अधिकारी संबंधित कर्मचारियों के अधीनस्थ है?
और यह कर्मचारी अपने मनमर्जी से कार्य करते हुए अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं?
यह गुत्थी सुलझाने का नाम नहीं ले रही है विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं आज समझ नहीं आ रहा है विभाग में चल क्या रहा है किसी की सह, वजनदारी है या फिर पैसा है स्थिति संदिग्ध बनी हुई है??

मनेरी के शिक्षक कर्मचारियों से क्यों डर रहा है विभाग-

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मनेरी लंबे समय से अनियमिताओं का केंद्र बना हुआ आए दिन समाचार पत्रों में सुर्खियों में रहता है यहां का शैक्षणिक स्टाफ 12 से 15 सालों से अपना स्थाई गढ़ बनाकर बैठे हुए हैं और निरंतर राजनीति, गुटबाजी एवं अनियमिताएं कर रहे हैं किंतु विभाग के कान में जु तक नहीं रेंग रही है लंबे समय से कोई नियमित प्राचार्य न होने की वजह से सभी शिक्षक मनमर्जी से अपनी शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन करते हैं उज्जवल भविष्य की तलाश कर रहे विद्यार्थी सहमें डरे एवं उनकी यातनाओं को सहने पर मजबूर है,
आपको बता दें की गई सहायक आयुक्त एवं संभाग उपायुक्त जांच के मुताबिक यहां के कर्मचारी और शैक्षणिक स्टाफ में अनेकों अनियमिताएं देर से आना, चोरी, गुटबाजी, राजनीति, एवं बाहरी व्यक्तियों के साथ विभागीय वार्ता को सार्वजनिक करने के अनेकों आरोप लगे हुए हैं किंतु विभाग अधिकारियों द्वारा उनकी सामंजस्य का अटूट जोड़ ग्रामीण एवं समाज को हैरान किए हुए हैं,
इसे न केवल विभाग की छवि धूमिल हो रही है बल्कि ग्रामीण एवं छात्रों के मानसिक एवं शैक्षणिक विकास पर असर पड़ रहा है?

ग्रामीण कर चुके हैं जनसुनवाई में शिकायत-

ग्रामीण जन यह भी बताते हैं कि क्षेत्रीय विद्यार्थियों के उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा एवं उज्जवल विकास के लिए विद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ एवं कर्मचारियों के गुटबाजी एवं अनियमिताओं के कारण सुधार हेतु एवं इन्हें हटाने हेतु कई बार शिकायत की जा चुकी है किंतु विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है
शासन द्वारा शिक्षा में गुणवत्ता एवं विकास हेतु निरंतर प्रयास करना फंड एवं योजनाओं को क्रियान्वित करना ऐसे स्टाफ के रहते कहां तक कारगर सिद्ध होगा यह प्रश्न बना हुआ है?
आज शैक्षिक गुणवत्ता हेतु जरूरत सुख सुविधाओं की नहीं है बल्कि मूलभूत आवश्यकता अच्छे शिक्षकों की है क्योंकि शिक्षक समाज का दर्पण होता है?

इनका कहना है –
बगैर मेरी जानकारी के ऐसा किया गया तो ग़लत है, जांच मे सही पाये जाने पर कार्यवाही की जावेगी।
एल एस जगेत
सहायक आयुक्त
आदिवासी जनजाति कार्य विभाग
मण्डला

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