पहली बार प्रदेश की सहकारी समितियां आर टी आई के दायरे में आईं….

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रेवाचंल टाईम्‍स मण्‍डला – सहकारी समितियां में हो रहे घोटालों पर नकेल कसने के लिए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग द्वारा दिनांक 21/03/2024 के एक ऐतिहासिक आदेश में प्रदेश में अनाज का उपार्जन और राशन दुकानों का संचालन करने वाली सभी सहकारी समितियां को तत्काल प्रभाव से आर टी आई अधिनियम के अधीन लाया गया है । वही इसी आदेश मे राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने राशन की दुकानों पर कार्य करने वाले सेल्समैन के वेतन संबंधी गड़बड़ी उजागर होने पर प्रदेश के सभी सेल्समैन की वेतन संबंधी जानकारी जिले के पोर्टल पर स्वतः प्रदर्शित करने के निर्देश भी जारी किए हैं।
क्या फायदा होगा सहकारी समिति के आरटीआई के अधीन आने से
सहकारी समितियां पर जारी इस अहम आदेश में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि खाद्यान्न उपार्जन एवं पीडीएस का संचालन करने वाली सहकारी समितियों के सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन आने से प्रदेश में खाद्यान्न उपार्जन एवं पी डी एस के संचालन में भ्रष्टाचार निरोधी, पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित होने के साथ इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी । किसानों के द्वारा अक्सर खाद्यान्न उपार्जन और खाद, बीज की व्यवस्था में अनियमितताओं की शिकायत की जाती रही है पर सहकारी समितियां की व्यवस्था पारदर्शी नहीं होने की वजह से किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है । सहकारी समितियां में अक्सर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की ख़बरें भी आती रही है । सिंह ने कहा कि अब आर टी आई में इन सहकारी समितियो का कच्चा चिट्ठा अब जनता के सामने होगा । अब आगे यह देखना है कि जिले में वर्षो से पदस्‍थ सहकारिता एवं खाद्य विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों एवं सहकारी समितियों के अधीन कार्य करने वाले कर्मचारीयों द्वारा आम जन को उक्‍त आदेश के अंतर्गत जानकारी उपलब्‍ध कराते है या जानकारी नहीं देने के लिए कोई नया दॉंव चलने की तैयारी करते है ।
किस मामले में हुए आदेश
दरअसल आयोग के समक्ष कई शिकायतें दर्ज हुई थी जिसमें पी डी एस दुकानों पर काम करने वाले सेल्समैनों ने अपने स्वयं के वेतन की जानकारी आर टी आई में मांगी थी वही एक और शिकायत में आर टी आई आवेदक ने कहा कि राशन की दुकानें एवं अनाज उपार्जन का काम करने वाली सहकारी समितियां अक्सर आर टी आई में जानकारी यह कहते हुए नहीं देते हैं कि आर टी आई अधिनियम उन पर लागू नहीं होता है । सन 2005 जब से आर टी आई एक्ट लागू हुआ है तब से सहकारी समितियां प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के थलापलम जजमेंट का हवाला देते हुए अपने आप को आर टी आई अधिनियम से बाहर बताते हुए जानकारी देने से मना कर देती हैं । यहा तक ज़िले में उपायुक्त सहकारिता के पास भी आर टी आई आवेदन दायर होने पर वे यह कहते हुए जानकारी उपलब्ध नहीं कराते हैं कि उक्त सहकारी समिति ने आर टी आई अधिनियम से अपने आप को बाहर बताते हुए जानकारी देने से मना कर दिया है ।

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