आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले की स्थिति अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी
रेवांचल टाईम्स – मंडला मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले की स्थिति अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी हो गई है। यहां पर नेता और शासन प्रशासन के आला अफसर विकास पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं बल्कि विकास के लिए आवंटित धन की होली ये मिलजुलकर खेल रहे हैं। आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी यह जिला विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाया है। बिजली, पानी सड़क, शिक्षा स्वास्थ्य, रोजगार जैसी समस्याओं से यहां के नागरिकों को जूझना पड़ रहा है। सड़कों की हालत अत्यंत खस्ता है इसे सही तरीके से नहीं सुधारा जा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। ग्रामीण क्षेत्र में तो चिकित्सा व्यवस्था की धज्जियां उड़ गई है। झोलाछाप डॉक्टर इलाज के नाम पर अनाप शनाप लूट खसोट कर रहे हैं। यह जिला कागज में ज्यादा विकसित हो गया है जबकि जमीनी हकीकत सभी को ज्ञात है। इस जिले को सरकारी रिकार्ड में खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया गया है जबकि सबको पता है कि खुले आम शौच अब भी जारी है। रोजगार के लिए लोग भटक रहे हैं। शिशु पालना केन्द्रों को अनुदान की राशियां नहीं दी जा रही हैं। जिसकी वजह से इन केन्द्रों में काम करने वाली महिलाओ को वेतन व पोषण आहार की राशि नहीं मिल पाई है। धान खरीदी में धांधाली चरम पर पहुंच गई है। गंदगी का साम्राज्य स्थापित हो गया है। लोग कह रहे हैं कि मंडला में तो अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी स्थिति काफी लंबे समय से निर्मित हो गई है यही वजह है कि यहां के लोग कई वर्षों से सही विकास की राह ताक रहे हैं। जनापेक्षा है कि सभी जवाबदार जागें और इस जिले को विकास की मुख्यधारा से जोडकर विकास की गंगा बहाएं।