सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों की मनमर्जी, रहते है कार्यालय से गायब . छोटे-छोटे कामों के लिए आवेदक हो रहे परेशान

262

रेवांचल टाईम्स – मण्डला जिले से लेकर विकास खंडों में संचालित सरकारी दफ्तरों के बुरे हाल चल रहे है या कहे कि अधिकारी राज के साथ बाबू राज चल रहा आये या न ये कोई देखने वाला नही है, औऱ मनमाफिक तरीके से नोकरी की जा रही हैं, और लंबे समय से शासकीय कार्यालयों में देखा जा रहा है कि कार्यालयों में अधिकारी गायब रहते हैं, और अधिकारी के गायब होते ही निचले कर्मचारी भी गायब हो जाते है, ले देंकर कार्यालयों में चपरासी मिलते हैं। या फिर चपरासी है सब कुछ है और जब उनसे साहब के बारे में जानकारी ले तो जिनका एक ही रटारटाया जबाव होता है कि साहब फील्ड में होंगे या फिर मीटिंग में गए होंगे। जिससे जरूरतमंद परेशान हो रहे है और उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए कई दिनों तक कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। जिससे लोगों में आक्रोश है।


वहीं अधिकारियों के मिलने का समय भी निर्धारित नही रहता है जिससे दूर-दाराज से आए ग्रामीणों व नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वही प्रदेश सरकार ने कोरोना के बाद सारी बंदिशों को हटा दिया है, लेकिन अभी तक अधिकांश सरकारी कार्यालयों में बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी शुरू नहीं हुई है। इसका कई कर्मचारी भरपूर फायदा उठा रहे हैं। सुबह समय से दफ्तर लेट पहुंचते हैं और शाम को घर के लिए जल्द निकल जाते हैं। गौरतलब है कि कोरोना काल में बायोमेट्रिक मशीन से अटेंडेंस लगाने में रोक लगाई गई थी लेकिन अब पिछले कई माह पहले ही कोरोना से जुड़ी सभी पाबंदियां हटा दी गई हैं, इसके बाद भी अधिकांश सरकारी कार्यालय में जहां यह मशीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है वहीं उन कार्यालयों में अधिकारी-कर्मचारी भी मनमाने समय में कार्यालय पहुंच रहे हैं। जिला मुख्यालय में संचालित होने वाले कुछ कार्यालयों में इस मशीन की जानकारी लेने पर पता चला कि सिर्फ गिने-चुने कार्यालयों में ही इस मशीन का उपयोग हो रहा है वहीं कुछ कार्यालयों में यह मशीन लगी तो है, लेकिन सिर्फ औपचारिकता के लिए ही लगी हुई है क्योंकि वहां पदस्थ अमला उस मशीन का उपयोग ही नहीं कर रहा है।

कार्यालय के बाबू रहते है गायब

आदिवासी वित्त एवं विकास निगम कार्यालय का एक बाबू कार्यालय से गायब नजर आते है। जबकि यहां आदिवासियों के लिए रोजगार से जोडऩे जैसी योजनाओं के तहत लोन दिया जाता है लेकिन यहां पदस्थ कर्मचारी व बाबू कार्यालय से ही गायब दिखाई देते है। रोजाना आवेदक परेशान होते है तो वहीं फोन के माध्यम उक्त बाबू कार्यालय आते हैं। वहीं आवेदकों को लोन की जानकारी नही मिल पाती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पदस्थ बाबू शराब के नशे में रोजाना कार्यालय आते है बीते दिनों पहले पदस्थ बाबू का एक वीडियो भी सोशल मीडिया में बायरल हुआ था लेकिन उक्त बाबू के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई बावजूद उक्त बाबू अपनी मनमर्जी से कार्यालय आता है। साथ ही उक्त बाबू खुद को बचाने के लिए चपरासियों को कहता है कि लोन संबंधी कोई आवेदक आए तो मुझे तत्काल फोन के माध्यम से जानकारी देना।

जि.पं. के अधिकारियों की मनमानी

जिला पंचायत कार्यालय आने वाले आमजनों के लिए यहां कोरोना से जुड़ी सभी जरूरी गाईड लाईन का पालन किया जा रहा है, कोई भी बाहरी व्यक्ति कार्यालय में प्रवेश करने के पहले उन्हें सबसे पहले मुख्य द्वार अपने आने का समय, नाम, पता और जाने का समय भी रजिस्टर में दर्ज करना पड़ता है लेकिन इस कार्यालय में अधिकारी-कर्मचारी समय में कार्यालय पहुंच भी रहे हैं या नहीं इसके लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है, यहां कहने के लिए एक बायोमेट्रिक मशीन जरूर लगी है लेकिन यह इस स्थिति में नहीं है कि किसी कर्मचारी-अधिकारी के अंगूठे के निशान ले सके क्योंकि इसके कनेक्शन पूरी तरह हटा दिए गए हैं सिर्फ मशीन ही दीवार में लगी हुई है।

सहायक आयुक्त कार्यालय में मनमर्जी

सरकारी स्कूलों में शिक्षक समय में स्कूल पहुंचे इसके लिए मोबाईल में ऑन लाईन अटेंडेंस लगाने संबंधित आदेश जिस सहायक आयुक्त कार्यालय से निकाले जाते रहे हैं, उसी सहायक आयुक्त कार्यालय में एक बायोमेट्रिक मशीन देखी जाती थी लेकिन उसे अब यहां से हटा दिया गया है। बताया गया कि इस कार्यालय में पिछले कुछ महिनों से रिनोवेशन का काम चल रहा है। हालांकि यहां लगी बायोमेट्रिक मशीन ने पहले ही काम करना बंद कर दिया था।

दर्ज कराते है उपस्थिति, फिर हो जाते है गायब

बायोमेट्रिक मशीन मामले में जिला अस्पताल की बात ही निराली है, यहां यह मशीन बकायदा लगी है, चालू भी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार अस्पताल में पदस्थ विशेष रूप से चिकित्सक, नर्स स्टॉफ आदि ओपीडी समय के बाद अस्पताल पहुंचकर इस मशीन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। चिकित्सकों के लेट आने से इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को काफी इंतजार करना पड़ता है।
अपडाउन करने वालों की मौज
जिला मुख्यालय में स्थित सरकारी कार्यालयों में बायोमीट्रिक मशीन नहीं लगी होने से जहां कई अधिकारी-कर्मचारी विलंब से कार्यालय पहुंचते हैं वहीं दूरस्थ क्षेत्रों में संचालित सरकारी कार्यालयों में पदस्थ कई अधिकारी-कर्मचारी मुख्यालय में न रहकर न केवल अपडाउन करते हैं बल्कि वे कार्यालय विलंब से पहुंचकर समय समाप्ति के पहले ही कार्यालय से लौट जाते हैं। बायोमीट्रिक मशीन होने से कम से कम इस मनमानी पर कुछ लगाम जरूर लग सकती है। मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों और अन्य सभी स्थलों पर सभी कुछ सामान्य हो गया है। लेकिन बायोमेट्रिक हाजिरी को अभी तक शुरू नहीं किया है।

instagram 1
Leave A Reply

Your email address will not be published.