कभी धूप , कभी छाँव , यहाँ कुछ भी नहीं ठहरता है…..
स्वरचित कविता
“ज़िंदगी की तस्वीर ”
क्या लिखूं तेरे नाम यें जिंदगी,
हर पल गुजरता यह लम्हा है।
कभी धूप , कभी छाँव ,
यहाँ कुछ भी नहीं ठहरता है।
रंगों से रंगी , बेरँगी दुनिया ,
समय आईना दिखलाता है।
चमकते मोती ,आडंबर ,
तेज तमस में फीका नज़र आता है।
चेहरे पर मुखौटा , मुखौटे के पीछे चेहरा,
बीतते पल के साथ असली नज़र आता है।
अशना में लिपटना, भूखे से प्रवंचना ,
समय पर ज़माना खुदगर्ज हो जाता है।
क्या लिखूं तेरे नाम यें जिंदगी,
हर पल गुजरता यह लम्हा है।
लेखक
गणेश नागवंशी ( हिंदी अध्यापक )
ब्रेन चाइल्ड एकेडमी विद्यालय
मंडला