जल स्त्रोतों का संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी – संपतिया उइके
नारायणगंज के कूम्हा घाट में आयोजित किया गया जल-संवाद कार्यक्रम
दैनिक रेवांचल टाइम्स मंडला जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत नारायणगंज के कूम्हा घाट नर्मदा तट पर जल-संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश शासन की पीएचई मंत्री संपतिया उइके ने पौधारोपण कर मां नर्मदा की आरती की। इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष नारायणगंज आशाराम भारतीया, नगरपालिका परिषद मंडला के अध्यक्ष विनोद कछवाहा, भीष्म द्विवेदी, कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना, सीईओ जिला पंचायत श्रेयांश कूमट सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
जल के स्त्रोत प्रकृति के वरदान
इस अवसर पर पीएचई मंत्री श्रीमती उइके ने कहा कि जल के स्त्रोत प्रकृति के वरदान हैं जिनका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। नदी, तालाब, कुआँ, बावड़ी के संरक्षण एवं पुर्नजीवन के लिए वृहद अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत साढ़े पांच करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। भावी पीढ़ी को स्वस्थ जीवन मिले इसके लिए हमें प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के संकल्प को मिलकर पूरा करना है। चैकडेम, स्टॉपडेम तथा अन्य स्थानों पर पानी रोकने एवं भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास करने जरूरी हैं। इस कार्यक्रम को जन अभियान के रूप में अपनाने की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश शासन इसमें हर कदम पर आपके साथ है।
जल संरक्षण के कामों को प्राथमिकता दें
पीएचई मंत्री संपतिया उइके ने उपस्थित लोगों से आव्हान किया कि प्रत्येक नागरिक परिवार के हर एक उत्सव, जन्मदिन, परिजनों की पुण्यतिथि जैसे अवसरों पर पौधारोपण कर धरती माँ के पोषण के लिए अपना योगदान करें। उन्होंने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत जल संरक्षण के कामों को प्राथमिकता दें। हम सौभाग्यशाली हैं कि माँ नर्मदा के तट पर निवास कर रहे हैं, इसलिए हमारा दायित्व है कि हम माँ नर्मदा को प्रदूषण से मुक्त रखें। देश और प्रदेश की सरकार हर घर में स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के लिए प्रयास कर रही है।
गिरता जल स्तर चिंता का विषय
पीएचई मंत्री संपतिया उइके ने गिरते भू-जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह अत्यंत गंभीर विषय है। प्रत्येक नागरिक को इसकी गंभीरता को समझते हुए वृहद पौधारोपण अभियान को अपनाने की आवश्यकता है। धरती माँ को हरित आवरण से ढंककर ही जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है, इसलिए पौधारोपण को जन अभियान बनाने की जरूरत है। हमें न केवल पौधारोपण करना है वरन रोपे गए पौधों की सुरक्षा एवं देखरेख की जिम्मेदारी भी स्वयं उठानी है। पौधारोपण एक पुण्य कार्य है जिससे जुड़कर हम सभी को आने वाले पीढ़ियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।