युवा संघर्ष संगठन के आह्वान में चटरा में की गई सामाजिक बैठक

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रेवाचंल टाइम्स – मंडला, जिले के नारायणगंज गॉव के पंच मुकदम, दिवान, बुजुर्ग ने शादी बारात समारोह पर डी.जे साउंड को किया समाज में प्रतिबंधित साथ ही दसगात्र में मृत्य भोज पुरानी परम्परा को चलाने का दिया समाज को सुझाओ
संगठन के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने डीजे और दसगात्र जैसे समाजिक कार्यक्रम के बारे बैठक में रखी बात बनाए कुछ नियम
दुर्गेश सिंगरोरे गॉव के सर्व समाज को अवगत कराया और अपनी बात रखते हुए कहा की, आज हम आधुनिक समाज के 10 वर्ष पीछे जाते है तो बरातो में डीजे जैसी परम्परा हमारे समाज में नही थी हम आपने माता पिता की शादी की जानकारी लेंगे तो पता चलेगा की डीजे साउंड जैसी पंरपरा हमारे समाज की है ही नही ,शादी बारात में डीजे साउंड का प्रचलन नया नया हे जो शादियों में एक आतिरिक्त्त खर्च है ये एक सभ्य समाज को बेहूदा बनाता जा रहा है शादी दो परिवारों को जोड़ने,की पंरपरा है,शादी एक अपनी अंतरआत्मा और पूरे भाव से अपना जीवन साथी चुनना स्वीकार कराने की एक सामाजिक परम्परा है जो हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई हे, इसमें डीजे साउंड का कोई स्थान नहीं हे, डीजे साउंड एक सामाजिक कार्य शादी बारात के लिए खर्चीला साधन हे,जिससे समाज का छोटा वर्ग दिखावा और प्रतिस्पर्था के कारण शादी जैसी परंपराओं को निभाने में कर्ज में दब जाता है समाज में पीछे शोषित वंचित को मूल धारा में लाना होगा संगठन के क्रान्तिकारी कार्यकर्ता हेमराज पंद्रो ने दशगात्र जैसी परंपराओं पर आपनी बात रखते हुए कहा की किसी व्यक्ती की मृत्यु हो जाने के बाद उस व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए उस दुखी परिवार के दुख के समय उस परिवार के साथ खड़े रहने के लिए समस्त समाज को उस दुख के प्रति आपने भाव प्रकट करने तथा उस परिवार के कष्ट के समय उनका साथ देने के लिए दशगात्र जैसी परंपराओं को बनाया गया है, दशगात्र के दिन बना भोजन उस मृत आत्मा के प्रति भाव को प्रकट करता है परंतु आज हम देख रहे है, मृत्य भोज होटल के मेनू कार्ड की तरह हो गया आज हमारे सामाजिक दशगत्र सामाजिक और दुख प्रकट कराने का साधन ना हो कर लोगो के मरने की खुशी पर होटल या रेस्टोरेंट में पार्टी जैसा होते जा रहा हे, दशगात्र कार्यक्रम में परम्परा गत भोज की जगह पर आधुनिक भोजनों ने जगह ले लिया है!जिससे हमारे समाज का एक मध्यम और छोटा वर्ग लोगो की बराबरी करने के कारण उस दुखी परिवार को कार्यक्रम के लिये कर्ज लेता पड़ता है!
साथ ही दुर्गेश उइके ने समाज में चल रही चौक प्रथा के बारे समाज को बताते हुए कहा की जितने हम बच्चो का चौक बारसा का कार्यक्रम करते हे उस पैसो से तो उस बच्चे की पढ़ाई लिखाई उच्च शिक्षा प्राप्त करने में ख़र्च कीजिए, पड़ा लिखा समाज ही इन आधूनिक कुरीतियों का अंत करेगा!

*गांव के पंच मुकदम दीवान बुद्धिजीवियों ने बनाए कुछ सामाजिक नियम **

वही गांव के मुखिया और पंच ने युवाओं की बात सुनी और गांव पर वैवाहिक समारोह बारात पर डीजे साउंड पर लगाया प्रतिबंध,समाजिक कार्यक्रमो में बनाए जाएंगे पारंपरिक भोज दाल –चावल या कड़ी– चावल इस बैठक को सफल बनाने में उपस्थित रहें गॉव के मुखिया पंच रमा सिंग उइके, सुमरन यादव ,बाबू लाल पंद्रो, सुरेश सुखिया, देवसिग पंद्रो, सुखदेव वरकड़े, पुन्नु लाल,मदन लाल, यादव, रेवत पंद्रो,सुमेरा, प्रताप,देवी सिंग पंद्रो, पर्वत सिंग, रामकिशन उइके!और भी अन्य लोग उपस्थित रहे।

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