कातिल चालक ने अपने साथियों के साथ की महाराष्ट्र के सुनार की हत्या। फरियादी ही निकला कातिल पुलिस को गुमराह करने के लिए बनाई झूठी कहानी

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रेवांचल टाईम्स – मध्यप्रदेश के खरगोन जिले की बलकवाड़ा पुलिस ने हत्या के सनसनीखेज मामले को दो दिवस में सुलझाने में सफलता प्राप्त की है। हत्या के आरोपियों ने झूठी कहानी रचकर पुलिस को भ्रमित करने का प्रयास किया था। किंतु पुलिस की सख्ती से पूछताछ में हत्या की असली कहानी निकलकर सामने आई। महाराष्ट्र के अहमदनगर निवासी उमेश सुनार की मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के बलकवाडा थाना अंतर्गत चाकुओं से गोदकर हत्या की गई थी। हत्या को छुपाने के लिए आरोपियों फरियादी बनकर पुलिस को भ्रमित किया किंतु असली कहानी पुलिस उगलवाने में कामयाब हो गई।


जिला खरगोन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षण ग्रामीण मनोहर बारिया ने जानकारी देते हुए बताया की 12 जुलाई को प्रातः लगभग 08:00 बजे पुलिस थाना बलकवाड़ा पर थाना जुलवानीया जिला बड़वानी से सूचना प्राप्त हुई कि 03 व्यक्ति थाना जुलवानीया जिला बड़वानी पर आए है, जिनके नाम अकील, अंसार व अमजद तीनों निवासी ऐहमदनगर महाराष्ट्र के है । जिनके द्वारा बताया गया है कि, इनके साथी उमेश की एक अज्ञात आसमानी रंग की कार मे सवार 04 अज्ञात बदमाशों ने हत्या कर दी है, जिसकी लाश ठीकरी से आगे तरफ पड़ी है। उन अज्ञात कार सवार 04 बदमाशों ने इन तीनों को डरा धमका कर वहां से भागा दिया। उन बदमाशों डर के कारण 7-8 किलो मीटर दूर आकार 100 नंबर पर फोन कर सूचना दी और थाना जुलवानीया जिला बड़वानी आए है। सूचना पर थाना जुलवानीया जिला बड़वानी की पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो ज्ञात हुआ कि उक्त घटना थाना बलकवाड़ा जिला खरगोन मे हुई है, थाना जुलवानीया पुलिस टीम के द्वारा थाना बलकवाड़ा जिला खरगोन को सूचना दी गई । सूचना प्राप्त होते ही चौकी खलटाका व थाना बलकवाड़ा की पुलिस टीम मौके पर पहुंची व उक्त घटना पर से आज्ञात आरोपियों के विरुद्ध थाना बलकवाड़ा पर अपराध क्रमांक 355/24 धारा 103,3(5),126(2) BNS का पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया ।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये पुलिस अधीक्षक खरगोन श्री धर्मराज मीना के निर्देशन में अति.पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) मनोहरसिंह बारीया एवं अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) अनुभाग मंडलेश्वर मनोहर गवली के मार्गदर्शन मे थाना प्रभारी बलकवाड़ा निरीक्षक रामेश्वर ठाकुर के नेतृत्व मे टीम का गठन किया जाकर हत्या के आरोपी को शीघ्र से शीघ्र गिरफ़्तारी कर प्रकरण का खुलासा करने हेतु निर्देशित किया गया ।
गठित पुलिस टीम के द्वारा उक्त घटना मे मृतक उमेश के साथ गए तीनों व्यक्ति अकील, अंसार व अमजद के पृथक-पृथक बयान लिए गए, जिसमे अकील जो की मृतक उमेश का ड्राइवर है उसने पुलिस को बताया की 8 जुलाई को मै और उमेश नागरे उसकी कार क्रमांक एमएच05BS/6859 से औरंगाबाद से रात 10.00 बजे निकले थे, दिन मंगलवार 09.जुलाई को रात करीब 10.30 बजे अजमेर पहुंचे वहां हमे ऐहमदनगर महाराष्ट्र के ही रहने वाले अंसार व अमजद मिले । हम तीनों ने द 10 जुलाई को अजमेर दरगाह पर जियारत करने के बाद चारो आनंदसागर घूमे व अगले दिन दिनांक 11 जुलाई को सुबह 8-9 बजे हम चारो उमेश की कार से घर आने के लिये निकले थे ।
12 जुलाई को सुबह सुबह 4-4:30 बजे जब हमने नर्मदा नदी के पुल से गुजरे व मुकुन्दपुरा के आगे पहुचे तभी एक आसमानी कलर की कार ने हमारी कार को ओवरटेक कर रोका और उसमे बैठे चार लोगो ने छुरा दिखाकर हमारी कार साईड मे लगाने का बोला, तो डर के कारण मैने कार साईड मे रोकी इतने मे चारो उतरकर आये और बोले के कार को कच्चे रस्ते मे अंदर ले चलो तो मैने कार को बांयी ओर कच्चे रस्ते से कुछ दुरी पर ली, तब उनमे से एक व्यक्ति पीछे वाली सीट पर उमेश के पीछे बैठकर उसके दोनो हाथ पकड लिये, दो व्यक्ति कार के आस – पास खडे हो गये तथा एक व्यक्ति ने उमेश साईड कार के दरवाजे से उमेश को सिने, पेट तथा गले मे छुरे से कई वार किये तथा उमेश को खिंचकर कार के निचे गिरा दिया ।
उसके बाद उन चारों व्यक्तियों ने हमे बोला कि तुम यहां से भाग जाओ नही तो तुम्हे भी मार देंगे । जिसके बाद मै (अकील) अमजद तथा अंसार तीनो कार लेकर एबी रोड पर आकर व 100 डायल पर फोन लगाया व एबी रोड से होते हुये मेवात ढाबा पर पहुचे वहां से पुलिस थाने का पता पुछकर जुलवानिया थाने पर पहुचे व वहां पर पुरी जानकारी दी । उसके बाद पुलिस को लेकर मै जहां पर उमेश की लाश पडी थी वहां पर लेकर आया, जहां एक आसमानी कलर की कार मे सवार चार लोगो ने उमेश नागरे की धारदार छुरे से हत्या कर दी ।
उक्त घटनाक्रम को सुनते ही पुलिस टीम के द्वारा तत्काल मौके व रोड पर लगे सीसीटीव्ही कैमरों को चेक किया गया व मृतक के बैकग्राउन्ड के बारे मे भी जानकारी एकत्रित की गई । पुलिस टीम के द्वारा एबी रोड पर घटनास्थल पर आने जाने के संभावित सभी रास्तों के सीसीटीव्ही कैमरों की फुटेज खंगाली गई जिसमे अकील, अंसार व अमजद के द्वारा बताई जा रही अज्ञात हत्या करने वाले व्यक्तियों की आसमानी रंग की कार कही भी दिखाई नहीं दी थी । जिससे पुलिस टीम का अकील, अंसार व अमजद पर ही उक्त घटना मे शामिल होने का शक हो रहा था ।
पुलिस टीम के द्वारा अकील, अंसार व अमजद से पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर भी अकील, अंसार व अमजद के द्वारा अलग-अलग देने पर पुलिस टीम के द्वारा घटना मे मृतक के ड्राइवर अकील से मनोवैज्ञानिक तरीके व सख्ती से पूछताछ की गई, जिसमे अकील ने अपने साथी अंसार व अमजद के साथ मिलकर उमेश की हत्या कारित करना स्वीकार किया व पुलिस से बचने के लिए पूरी कहानी मिलकर रचना बताया ।

हत्या करने का कारण
अकील ने पुलिस को बताया कि, मै करीबन 3 माह से मृतक उमेश नागरे की कार पर ड्रायवरी कर रहा था । मैने उमेश नागरे से करीबन 8 -9 महिने पहले 75000/- रुपये, 40000/- तथा 30000/- रुपये ब्याज पर लिये थे जो मैने उसे ब्याज सहित लौटा दिये थे । उमेश नागरे गुण्डा प्रवृत्ती का था जो फरारी काट रहा था, मुझे बार – बार कभी औरंगाबाद, कभी पुना कभी नासिक, कभी लोणी बुलाता रहता था, जिससे मै काफी परेशान हो गया था । मै आने से मना करता था तो मुझे धमकी देता था व बोलता था कि तेरी औरत व लडकी को उठा ले जाउंगा । करीबन 1 महिने पहले उमेश नागरे ने मेरे घर पर धमकाने के लिये उसके आदमी भी भेजे थे । इन सब चीजों से मै मानसिक रुप से काफी परेशान हो गया था तो मैने उमेश नागरे को मारने का प्लान तीन – चार बार बनाया था लेकिन मुझे मौका नही मिलने से मै उसकी हत्या नही कर पाया ।
करीबन 8 दिन पहले मैने मेरे दोस्त अमजद तथा अंसार के साथ मिलकर उमेश को मारने का प्लान बनाया था, जिसमे मैने अमजद व अंसार को बताया कि मै उमेश को लेकर अजमेर (राजस्थान) जाउंगा तुम लोग पहले ही अजमेर (राजस्थान) चले जाना । दिनांक 08.07.2024 को मैने अमजद व अंसार को 10000/- रुपये दिये थे व अमजद व अंसार अजमेर (राजस्थान) चले जाने का बोला था, बाकी रुपये काम होने के बाद वापस घर आने पर देने का बोला था ।

उसी दिन सोमवार दिनांक 08.07.2024 को मै, उमेश नागरे की कार क्रमांक MH05BS6859 से उमेश को लेकर औरंगाबाद से रात 10.00 बजे निकले थे और अगले दिन दिनांक 09.07.24 को अजमेर पहुंचे, दिनांक 09.07.2024 को दिन भर घूमने के बाद रात करीब 10.30 बजे अजमेर मे दरगाह पास पहुचकर मैने अंसार को बताया कि हम लोग जीया गेस्ट हाउस पर रुके है तुम भी यही आ जाओ । वहां हम सभी साथ मिल गए और आस पास की जगह घूमने के बाद दिनांक 11.07.2024 को सुबह 8-9 बजे हम चारो उमेश की कार से घर महाराष्ट्र आने के लिये निकले गए ।

दिनांक 12.07.24 को सुबह करीब 03.30 बजे गुजरी आये, जहां पर ढाबे पर चाय पी तथा उमेश ने खाना खाया । फिर वहां से हम चारो निकले, कार मै चला रहा था, मेरे बगल वाली सीट पर उमेश बैठा था, मेरे पिछे वाली सीट पर अमजद बैठा था तथा उमेश की पीछे वाली सीट पर अंसार बैठा था । उमेश ने अपनी सीट सोने के लिये पीछे कर ली थी और सो गया था सुबह-सुबह 4-4:30 बजे जब हमने नर्मदा नदी के पुल से गुजरने पर 7-8 किलो मीटर दुर पहुचने के बाद करीबन 05.00 बजे सुबह कार को रोड से बांयी तरफ कच्चे रास्ते पर करीब 40 – 50 कदम दुरी पर ले जाकर रोकी, अंसार ने पिछे से उमेश को दोनो हाथो व अमजद के बेल्ट से पकड लिया तथा अमजद ने कार मे खडे होकर एक धारदार छुरे से उमेश के गर्दन व सीने पर कई वार किये, जिससे उमेश तडपने लगा तो मैने उमेश के पैर पकड लिये थे तथा उसका खुन गाडी मे तथा मेरे कपडो पर भी उडा, कुछ समय बाद उमेश की मौत होने से अंसार व अमजद ने कार के बाहर से उमेश की लाश को खिंचा तथा मैने कार के अंदर से ही धक्का दिया व उमेश की लाश को कच्चे रास्ते किनारे फेंककर हम लोग हाईवे पर महाराष्ट्र तऱफ निकल गये, घटना के बाद 2 किलो मीटर करीब दुरी पर नदी क्रास करते समय रैलिंग खत्म होने के बाद अमजद ने छुरा फेंक दिया था । करीब 10 – 15 किलो मीटर आगे जाने के बाद अकिल ने पुलिस को गुमराह करने के लिये हमने योजना बनाई 100 नंबर पर फोन किया और जुलवानीय थाने चले गए व एक अज्ञात आसमानी कार व चार व्यक्तियों ने हत्या करने की कहानी पुलिस को सुनाई ।

अकील के द्वारा हत्या की घटना कारित करने की बात से अंसार व अमजद मे भी उक्त घटना को कारित करना स्वीकार किया पुलिस टीम ने मृतक उमेश की हत्या मे शामिल तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय पेश किया जा रहा है ।
पुलिस को मिली सफलता मे अति.पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) मनोहरसिंह बारीया एवं अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) अनुभाग मंडलेश्वर मनोहर गवली के मार्गदर्शन मे थाना प्रभारी बलकवाड़ा निरीक्षक रामेश्वर ठाकुर थाना प्रभारी कसरावद मंशाराम रोमड़े के नेतृत्व मे उनि हुकुम चंद पिपलिया, सउनि जोगेंद्र पाटीदार, सउनि अशोक नैय्यर, प्रआर धनसिंग पवार, प्रआर राजेंद्र कुशवाह, आरक्षक अनिल कुशवाह, आरक्षक नीरज यादव, आरक्षक राकेश चौहान, आरक्षक महैंद ठाकुर, आरक्षक नरेंद्र जाट, आरक्षक तिलक खरते, आरक्षक पंकज शर्मा व आरक्षक पियुष त्रिपाठी का विशेष योगदान रहा।
(नरेंद्र तिवारी सेंधवा)

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