बिजली की आँख मिचौली से किसान सहित आम आदमी तक हो रहे है परेशान…..

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रेवांचल टाईम्स – मण्डला जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में एव नक्सली प्रभावित क्षेत्र के गांवों की बिजली विभाग ने दुर्दशा कर रखी हुई लाइट आये या न पर हर महीने बिल पूरा आ रहा है और एक सप्ताह से लेकर पंद्रह पंद्रह दिनों तक बिजली के दर्शन नही होते है, जिसके कारण से ग्रामीणों के साथ साथ किसानों का बुरा है और जिम्मेदार लाईन मेन हो या फिर जिम्मेदार अधिकारियों को देखने तक कि फुर्सत नही मिल रही है।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के मवई विकास खण्ड के अधिकांश गाँव आज भी 18 वी सदी जैसे बने हुए और केंद्र सरकार ने गांव गांव बिजली पहुचाने का वादा तो किया और बिजली के पोल भी खड़े कर दिए गए पर उनमें करेंट नही दौड़ रहा हैं, या कहे कि ये ग्रामीणों बदकिस्मती है कि देश आजादी के 78 वी सालगिरह मनाने जा रहा है और मबई ब्लाक के ग्रामीण आज भी बिजली की आंख मिचोली से परेशान है। जिले के छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे ग्रामो में तो 24 घंटे बिजली मिलना भगवान के वरदान जेसा है। विद्युत् उपकेन्द्र कुड़ेला से निकलने वाली बिजली की तारो का फैलाव जिले की सीमा के अंतिम छोर तक है जिससे बिजली की आपूर्ति की जाती है। विद्युत् उपकेन्द्र कुड़ेला से लेकर अंतिम छोर तक कही भी खराबी आने पर पूरे क्षेत्र की बिजली बंद हो जाती है और बिजली विभाग को खराबी ढूंडकर सुधारने में घंटो समय लग जाता है। कभी कभी तो कुछ ग्रामो में 4 से 5 दिन तक बिजली नहीं पहुंच पाती है। प्रशासन और जिम्मेदारो को ग्रामीणों की इस समस्या से कोई लेनादेना नहीं है। वर्षों से जली पड़ी तार केवल को बदलने में विभाग को कोई दिलचस्वी नहीं है। ग्रामीणों के द्वारा वर्षों से क्षेत्र में विद्युत् उपकेन्द्र लगाने की मांग की जा रही है। वही जब बिजली बंद होती है तो लाइनमैन से बात करो तो केवल एक ही जबाब की लाइन कही सॉर्ट हो गई ढूँढ़ रहे हवा चले या न चले बारिश हो या न हो सूखे मौषम में भी बिजली बंद कर दी जाती है और जब इस संबद्ध में बिजली विभाग के बरिस्ट अधिकारियों से बात करना चाहते है तो घँटी जाती रहती है पर उनका फोन उठता ही नही है बेचारे ग्रामीण जाए तो जाए कहा और कहे तो किसे। आज बिजली बंद होने के कारण जंगलों के बीच निवासरत बैगा आदिवासी गरीब भोलेभाले लोग कभी जहरीले कीड़े के शिकार हो रहे है और उनकी मौत भी हो रही पर इस ओर किसी का ध्यान नही जा रहा हैं।

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