जिले में चल रहे एक दर्जन से अधिक समूह बैंक के कर्मचारियों के द्वारा ग्रामीण महिलाओं के साथ किया जा रहा है, छेड़खानी दुर्व्यवहार को लेकर जनसुनवाई में महिलाएं ने दिया आवेदन…
रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में पांचवी अनुसूची लगे होने के बाद भी जिले में बाहर से आकर प्राइवेट बैंकों का संचालन किया जा रहा है और उन्हें इन बैंकों के माध्यम से महिलाओ का समूह बना कर लोन दिया जा रहा और हप्ता में ब्याज सहित राशि लेने घर घर बैंकों के एजेण्ट जाते है और जो एजेंट कार्य कर रहा वह सब बाहर से आकर जिले में अब गरीब आदिवासी सीधे साधी महिलाओं से पैसे मांगने के बहाने समय बे समय उनके घर जाकर उनके साथ बत्तमीजी के साथ छेड़खानी करने की शिकायत भी स्थानीय प्रशासन के साथ साथ जिला प्रशासन को इनके शिकायत लम्बे समय से मिल रही थी।
शिकायत में कार्यवाही न होने के चलते आज जनसुनवाई में लगभग तीन दर्जन महिलाएं लिखित आवेदन लेकर योजना भवन में पहुँची और जिले में चल रही लगभग 13 बैंकों जिनके नाम है। 1 सेंटिग बैंक – बी एम. रंजीत 2 ग्राम शक्ति बैंक- बी एम. रविशंकर यादव, 3 उत्कर्ष बैंक, बी एम. दुर्गेश, 4 बी एस एस बैंक, बी एम. जयकिशन, 5 एस बी सी एल, बैंक बी एम. अरुण साहू. 6 भारत फाइनेश बैंक बी एम. राज सर, 7, लाईट कम्पनी बैंक, बी एम. अरबिंद, 8, स्वंत्रत बैंक, बी एम नीरज, 9, आशिर्बाद फ़ाइनेश बैंक, बी एम 10 नम्र फ़ाइनेश बैक बी एम. पूनम, 11 तराशना बैंक, बी एम योगेंद्र ठाकुर, 12 बंधन बैंक, बी एम अभिनाश, 13 स्तुति बैंक बी एम इन सभी बैंक के अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध 31 महिला सदस्यों के द्वारा लिखित शिकायत की है और उस शिकायत में उल्लेख किया है कि इन बैंकों के अधिकारी कर्मचारी हमको डरा धमका रहे है और पैसे मांगने के बहाने सुबह शाम ओर रात को घर आ जाते है और जब महिला अकेली रहती है तो तरह तरह की बाते करते हुए पैसे न देने पर साथ पर चलने को कहते है।
वही इन प्रायवेट बैंक के द्वारा समूह की एक महिला को चार बार लोन दिया गया है। और उन्हें फसाने के लिए जाल में फसाया गया हैं, और मना करने के बाद भी लोन दे दिया जाता हैं, तथा ऐसा कौन सा बैंक है जो कि एक लोन के रहते हुए भी चार बार लोन दिया गया है, भले ही महिला लोन पटाने की स्थिति में ना हो। फिर भी लोन दिया जा रहा है।
वही इन समूह वाली बैंक से परेशान इन महिलाओं ने कलेक्टर महोदय को अवगत कराया कि हम महिलाओं का 10- 12 महिलाओं का ग्रुप है जब तक एक लोन चुकता ना हो दूसरा लोन नहीं दिया जाता यह कंडीशन देखकर कि महिला लोन पटाने की स्थिति में है भी या नहीं बावजूद इसके सभी महिलाओं के नाम से 4-4 लोन दिया गया है। किसी बैंक में ऐसा नहीं किया जाता कि एक लौन के चुकता किए बिना दूसरा तीसरा चौथा लोन मुहैया कराया गया हो फिर भी अधिकारी लोग हमारे घर आकर पता नहीं कौन कौत से लोन की बात बताकर हमें डरा धमका रहे हैं। महोदय जी हम गरीब महिलाएं है इतनी पढ़ी लिखी नहीं है कि बैंक था उसके प्रोसेस को गहराई से समझ सकें। हम सभी लोन तो पटा रहे हैं लेकिन फिर भी पता नहीं कौन कौन सा लीन लिए है पैसा बताया जा रहा है। यहाँ तक की 40-50 वर्ष की महिलाओं को भी अभद्र बातें बोलने से नहीं चूकते हैं। इतने उम्र की महिलाओं को तो लोन भी नहीं मिलता है। महोदय जी हमारे घर आकर हमसे अभद्र व्यवहार करते हैं और हम महिलाओं से इस कदर गंदी बाते करते हैं कि हम बता भी नहीं सकते हैं। दिन हो या रात हो घर आकर दरवाजा खटखटाते हैं और फिर गन्दी गन्दी बातें करते हैं और बोलते हैं कि घर बेचो चाहे अपने खेत बेचो या फिर खुद को बेचकर पैसा दो इनके द्वारा कहा जाता है। महोदय जी कोई भी लोन देने वाली कम्पनी को इस तरह से महिलाओं से बात करने का कोई अधिकार नहीं होता है। कभी भी फोन करके हमको डराया धमकाया जा रहा है। जिसके चलते हमारा जीना हराम हो गया है। इतने सारे लोन तो हमारे द्वारा लिया ही नहीं गया है जो कि उनके द्वारा हमको लोन पटाने के लिए कहा जाता है।
वही जानकारी के अनुसार कुछ महिलाएं ने नाम न छापने को लेकर बतलाया कि बैंक कर्मियों से परेशान होकर कुछ महिलाएं ने तो इन बैंक के कर्मचारियों के आतंक के कारण गांव छोड़कर भाग गई उनसे समहू बैंक कर्मियों के द्वारा यह भी बोला गया है पैसा नही दे सकती तो एक रात के लिए हमारे साथ चलो और हाथ पकड़कर खिंचने लगे जिससे उनकी चूड़ियां भी टूट गई की भी जानकारी प्राप्त हुई हैं।
वही महिलाओं ने जिला प्रशासन की मुखिया कलेक्टर महोदया से निवेदन किया है कि ऐसे बैंक एवं उनके कर्मचारियों के खिलाफ उचित दण्डात्मक कार्यवाही करने की कृपा की जाये जिससे उनके द्वारा गरीबी को मज़ाक न बनाया जाए अन्यथा हम महिलाएं आत्महत्या करने को मजबूर होंगी जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी उक्त बैंक एवं उसके कर्मचारियों/अधिकारियों की होगी जो कि हमको हमारे घर आकर हमको मानसिक रूप से प्रताडित कर रहे हैं। ओर इनके कारण हमारा जीवन दूभर हो गया हैं।