विशेषज्ञ समिति द्वारा बसनिया का टी. ओ. आर मंजूर प्रभावितों ने कहा परियोजना आदिवासी हित में नहीं…
रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ मुल्यांकन समिति की 49 वीं बैठक दिनांक 24 जुलाई 2023 को प्रस्तावित बसनिया बहुउद्देशीय परियोजना के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार करने हेतु संदर्भ बिन्दु (टी.ओ.आर) देने का निर्णय लिया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय दिल्ली द्वारा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को लिखे गए पत्र दिनांक 21 नवम्बर 2023 में उल्लेख किया है कि पर्यावरणीय प्रभाव आकलन 2006 के प्रावधान और संशोधन के साथ निम्न अतिरिक्त एवं विशिष्ट संदर्भ बिन्दु भी शामिल है।जिसमें परियोजना निर्माण के कारण नर्मदा नदी, नाला के जलग्रहण क्षेत्र में उसके वहन क्षमता और निरंतरता का संचयी प्रभाव(कम्यूलेटिव ईम्पेकट) का अध्ययन।वन भूमि को कम करना जिससे पर्यावरणीय निरंतरता सुनिश्चित हो।नर्मदा कंट्रोल ऑथोरिटी को परियोजना प्रस्ताव के साथ पर्यावरणीय प्रभाव निर्धारण व पर्यावरणीय प्रबंधन नियोजन रिपोर्ट भेजकर उनसे टिप्पणी लेना।वन भूमि का परिवर्तन, जैव विविधता हानि के कारण जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र पर पङने वाले असर का पर्यावरणीय दृष्टि से लाभ हानि का विश्लेषण करना। पर्यावरण प्रभाव निर्धारण रिपोर्ट में मिट्टी की विशेषताओं का अध्ययन कम से कम 10 अलग- अलग स्थानों का करना, जो जलाशय और जंगल के आसपास वाले गांव हैं।तीनों ऋतु में परियोजना क्षेत्र के 10 जगहों का भूजल स्तर का नाप करना। परियोजना के कारण जलीय और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पङने वाला असर का अध्ययन।वन्य जीव संरक्षण का विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्य वन्य प्राणी वार्डेन को जमा करना।डूब में आने वाले वनस्पति एवं जीवजंतु और पेङो की संख्या,घनत्व एवं उसका नामावली के साथ विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना।नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार करने के लिए कंसल्टेंन्ट आर एस इंवाईरोलिंक टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली को जिम्मेदारी दिया है।
वही नदी घाटी विशेषज्ञ मुल्यांकन समिति ने 25 जनवरी 2023 की आयोजित बैठक में परियोजनाकर्ता के प्रस्ताव पर टिप्पणी किया था कि परियोजना में 2107 हेक्टेयर वन भूमि क्षेत्र शामिल है।कम से कम जंगल शामिल हो इसका कोई अभ्यास नहीं किया गया है और ना ही इस परियोजना का वैकल्पिक स्थल विश्लेषण इस आवेदन के साथ प्रस्तुत किया गया है।समिति ने यह भी कहा था कि इस विकास परियोजना में जंगल का बङे क्षेत्र की आवश्यकता होगी और साथ ही परियोजना क्षेत्र में आदिवासी जनसंख्या निवास करता है। बसनिया (ओढारी) बांध विरोधी संघर्ष समिति ने सवाल उठाया है कि इस बांध में 6343 हेक्टेयर क्षेत्र डूबा कर मात्र 8780 हेक्टेयर मात्र की सिंचाई होगी।यह भी सर्वविदित है कि सिंचाई का जितना लक्ष्य रखा जाता है, उसमें मात्र औसत 60-65 प्रतिशत ही सिंचाई लक्ष्य पूरा होता है।दूसरी ओर 40 प्रतिशत प्लांट लोड फैक्टर के कारण 100 मेगावाट से मात्र 350 मिलयन यूनिट वार्षिक विधुत उत्पादन किया जा सकेगा।इतने कम सिंचाई और विधुत उत्पादन के लिए प्राकृतिक संपदा का विनाश करना आदिवासी समुदाय के हित में नहीं है।संगठन ने निर्णय लिया है कि सभी प्रभावित गांव और समाजिक संस्था की ओर से परियोजना के विरोध में पर्यावरण मंत्रालय को पत्र भेजा जाएगा।
बजारी लाल सर्वटे(9300509691)
अध्यक्ष, बसनिया (ओढारी) बांध विरोधी संघर्ष समिति, मंडला
तितरामरावी( 9111411084)
उपाध्यक्ष, बसनिया (ओढारी) बांध विरोधी