जनपद पंचायत मंडला में क्यों नहीं हो रही फर्जी बिलों की जांच….क्या जन प्रतिनिधियों के दबाव से रोकी जा रही जांच प्रक्रिया….

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मंडला में भ्रष्टाचार,घोटाले ग़बन और अनियमितताएं अपनी पूरी चरम सीमा पार कर चुकी हैं, जहां देखो वहां पर सरकारी धन की लूट मची हुई हैं, अधिकारी कर्मचारी जनप्रतिनिधि सब के सब सरकारी धन को अपनी जेब भरने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

वही जिले के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी को जगाने का मीडिया पूरा प्रयास कर रही है पर ये कुंभकर्णी से भी ज़्यादा गहरी नींद में सो रहे है और जब खबरे मीडिया की सुर्खियों बनती है तो केवल सरपंच सचिव को एक नोटिश देकर अपना पलड़ा झाड़ रहे है और समय के साथ वह भी भूल जाते है या कहे कि सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, सरकारी धन को सब के सब मन मर्जी से लूट रहे है जो कोतवाल ही अनदेखी करे तो चोर तो लूटपाट मचाइगे ही

एक माह पहले जनपद पंचायत मैं सीईओ साहब को जांच के लिए फर्जी बिलों की फोटो कॉपी के साथ आवेदन दिया गया था

सरपंच-सचिव पोर्टल में लगा रहे है फर्जी बिल……

वहीं जिले की ईमानदार मुखिया भ्रष्टाचार के लिए सख्त रूख अपनाकर आदेशित करती हैं, लेकिन उनके अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी कलेक्टर के आदेश को केवल कागजों तक ही सीमित रखते हैं। ऐसा ही नया मामला जिला मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत सकवाह का है जहां पर पंचायत दर्पण में फर्जी बिना एजेंसियों के बिल लगा लगा कर शासकीय राशि का बंदरबांट कर रहे जिसको लेकर जनपद पंचायत मंडला को फर्जी ब्लॉक की फोटो कॉपी के साथ आवेदन के माध्यम से जांच के लिए दिनांक28/06/2024 को शिकायत की गई
ग्राम पंचायत सकवाह मे भ्रष्टाचार का अंबार लगा हुआ है दना दन फर्जी बिल जो सप्लायर एजेंसी कही भी दिखाई नहीं पड़ रही पर उनके बिल पंचायत दर्पण में स्पस्ट दिखाई पड़ रहै है और ये बिल सब को नजर आ रहे है पर जिम्मेदार को नजर नही आ रहे हैं,
जब ऐसा जिला मुख्यालय से लगी पंचायत सकवाह का है तो पूरी जनपद पंचायत मंडला की पंचायत का क्या होगा….
ग्राम पंचायत के सचिवों के हाल है और वो वास्तविकता जानते हैं कि जांच केवल कागजों तक ही सीमित है और सचिव भी जानते हैं कि, जनपद में बैठे जनप्रतिनिधि औरअधिकारी ही हमारा संरक्षण करते हैं तो हमें न जांच का डर और न कार्रवाई का भय है! इससे साफ नजर आता है कि जांच केवल कागजों में ही होती है और खुला संरक्षण जनपद पंचायत मैं बैठे लोगों के द्वारा अपनी चहेती ग्राम पंचायत को दिया जा रहा है और जांच के नाम पर केवल अपनी जेब ही भरते नजर आ रहे हैं!

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