त्रिलोक ने कांच के बॉटल में बनाया महाकालेश्वर का मंदिर…
रेवांचल टाईम्स – मण्डला, सावन माह भगवान शिव जी का प्रिय माना गया है। लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान कर रहे हैं। ऐसे में बॉटल अर्टिस्ट त्रिलोक सिंधिया भी पीछे नहीं है। उन्होंने महाकालेश्वर मंदिर बनाया है। यह मंदिर इसलिए खास है क्योंकि इसको एक छोटी सी कांच की बॉटल में आकर दिया गया है। जिसके लिए त्रिलोक ने बांस का उपयोग किया है। मंदिर को बनाने में त्रिलोक को लगभग एक माह का समय लगा है। त्रिलोक का कहना है कि भगवान भोले नाथ से उनकी आस्था जुड़ी हुई है। अब तक केदारनाथ के साथ सिवनी जिले का शिव जी का मठ मंदिर भी बनाया है। उन्होंने बताया कि मठ मंदिर न सिर्फ आस्था बल्कि इतिहास की दृष्टि से भी महत्व रखता है। सिवनी के ऐतिहासिक मठ मंदिर सिद्धपीठ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए हैं। इस मंदिर को बनाने में त्रिलोक सिंधिया को दो माह का समय लगा है। बता दें कि त्रिलोक सिंधिया बोटलिंग आर्ट में माहिर है वो बड़ी ही बारीकी से कांच के बोतल के अंदर कलाकृतियों को कैद करते हैं। कांच की बोतल के अंदर उन्होंने बैलगाड़ी, ढोलक, तबला और साइकिल सहित हजारो कलाकृतियां बनाई है। उनका कहना है कि बचपन से ही उन्हें कुछ अलग करने का शौक था और यही शौक उनकी पहचान बन गई है। त्रिलोक ने इस कला के जरिए एक अलग पहचान बनाई है। इसलिए उन्हें बॉटलिंग आर्ट का बादशाह भी कहा जाता है। त्रिलोक सिंधिया की इस कला को जो भी देखता है वो हैरान जरूर हो जाता है। त्रिलोक सिंधिया ने जिन कलाकृतियों को तैयार किया है उनमें कांच की बोतल में जहाज, लकड़ी से बनी साइकिल, बैलगाडी, मंदिर बेहद खास है। सिंधिया के हुनर का जादू लोगों के सर चढकर बोल रहा है और उनके इस हुनर के लोग दीवाने हैं। त्रिलोक बताते है कि सबसे पहले उन्होंने बास की कलाकृतियों पर अपना हाथ आजमाया है। लाल किला, इंडिया गेट, शहिद स्मारक, केदारनाथ का मंदिर, जहाज, मूर्तियां, पक्षियों को एक बास पर उतारा और इन्हें संजो कर रख दिया लेकिन उनको चूहों ने खऱाब कर दिया जिनका उन्होंने नया रास्ता ढूंढा।