सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिछिया में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति मरीज बेहाल, डॉक्टरों सहित स्टॉप गायब जिम्मेदार मौन
रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले आदिवासी अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं कब तक सही तरीके से क्रियान्वित हो पायेगी आखिरकार कब तक ग्राम अँचलों निवासरत भोलेभाले गरोबो को उनको सही समय मे उपचार मिल पायेगा दूरस्थ अँचलों से लोग उपचार पाने स्वास्थ्य केन्द्र पहुँच रहे है पर उन स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी समय मे नही पहुँच रहे है जिस कारण से ग़रीबो न समय दवाइयां मिल पा रही और न ही उनका उपचार हो रहा है ।
आखिरकार सरकार नित्य नई नई योजनाएं ला रही है पर उसका क्रियान्वयन जमी में सही तरीके से नही हो पा रहा हैं।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिछिया में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। यह स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत सैकड़ों गांवों के लोगों के लिए प्राथमिक इलाज का एकमात्र सहारा है, लेकिन यहां के जिम्मदारों की अव्यवस्थाएं और मनमाना पन से मरीजों को इलाज की जगह परेशानी और उपेक्षा का सामना करने पर मजबूर कर रही हैं। अस्पताल का निर्धारित खुलने का समय सुबह 9:00 बजे है, लेकिन हकीकत यह है कि आज सुबह 10:00 बजे तक भी न तो इंजेक्शन कक्ष खोला गया था और न ही प्रयोगशाला चालू की गई थी, जिससे इलाज के लिए पहुंचे दर्जनों मरीज घंटों इंतजार करते रहे।
वही उपचार लेने पहुँचे कुछ मरीजों और परिजनों का कहना है कि यह कोई पहली बार की घटना नहीं है, बल्कि यहां अक्सर यही हाल रहता है। कई बार इमरजेंसी में भी मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ता है, क्योंकि या तो संबंधित स्टाफ मौजूद नहीं होता या फिर सेवाएं समय पर शुरू नहीं होतीं। सबसे गंभीर बात यह है कि अस्पताल में कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों का यहां प्रतिदिन अप-डाउन होना बताया जा रहा है, जिसके कारण वे समय पर पहुंच नहीं पाते और इसका सीधा असर मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता है।
इंजेक्शन कक्ष और लैब जैसी जरूरी सेवाओं का समय पर चालू न होना न केवल स्वास्थ्य केंद्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी भी शिथिल है। इस लापरवाही के चलते दूर-दराज से आने वाले मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ता है या फिर उन्हें महंगे निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बहुत कठिन होता है।
वही ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था में तत्काल सुधार लाया जाए, कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित की जाए और नियमित रूप से निगरानी की जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उचित और समयबद्ध स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। वरना यह स्वास्थ्य केंद्र अपनी मूल भावना आम जनता को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में पूरी तरह विफल हो जाएगा।
