आड़े तिरछे पोल, कटी केवल लकड़ी के सहारे संचालित हो रही विद्युत व्यवस्था
ग्राम घोपतपुर का मामला,स्कूल है नजदीक, बारिश में करंट का खतरा
दैनिक रेवांचल टाइम्स – आदिवासी बाहुल्य जिले में बिजली व्यवस्था लाचार और नज़र आ रही वही करोड़ो का हर माह हर वर्ष करती है पर आज भी तारो के लिये लकड़ी का सहारा लेना पड़ रहा है फिर जो खम्बे लगे है वह अड़े टेढ़े हो चुके है जिस कारण से घटना दुघर्टना की सम्भवना बनी रहती हैं, वही सबस्टेशन के अंतर्गत ग्राम घोपतपुर के नीचेटोला के बासिंदे इन दिनों विद्युत विभाग की लचर कार्यप्रणाली से परेशान है ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के टोले मोहल्ले में जगह जगह विद्युत लाइन छतिग्रस्त हालत में है वर्षो पुराने केवल तार खराब हो चुके है तथा एक पोल से दूसरे पोल तक जाने वाली केवल लाइन दर्जनों जगह से कटी हुई हैं लाइन के तार घरों के ऊपर नजदीक से झूल रहे हैं तारो के आपस में टकराने से खतरा बना रहता हैं ग्रामीण ने बताया की तार आपस में नही टकराए और कोई अनहोनी न हो इसके लिए उन्होंने स्वयं ही तारो को अलग अलग कर लकड़ियां बांध दी है नीचेटोला में जो विद्युत पोल लगे हुए हैं उनमें से अधिकांश गिरने की कगार में है हैरानी की बात तो यह है की इसी मोहल्ले में प्राथमिक शाला स्कूल संचालित हो रहा है जहा तीन दर्जन से भी ज्यादा बच्चे अध्यनरत है स्कूल के बिलकुल समीप से लगा बिजली का खंभा तिरछा हो चुका है जिसके कभी भी आंधी तूफान में धराशाई होने की प्रबल संभावना बनी हुई हैं ग्रामीण कमलेश धुर्वे,अंकित श्याम के अनुसार दो साल पूर्व इसी खंभे के तार की चपेट में आकर एक स्कूली बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था। गांव में कई स्थानों पर कंक्रीट के खंभों का आभाव के चलते ग्रामीणों ने विद्युत लाइन को लकड़ी के खंभों के सहारा दिया है, वही ग्रामीण देवसिंह ने बताया की मेरे घर के पास का खंभा कई महीनों से तिरछा हो गया है और। पहले गिर भी चुका है विभाग को बार बार शिकायत करने पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। यहां के लोगो ने गांव की चरमराई हुई विद्युत व्यवस्था को लेकर जेई कार्यालय गाड़ासरई में भी शिकायत की परंतु सुधार कार्य नहीं किया जा रहा। ग्रामीणों का कहना हैं की गांव में विकास यात्रा,विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान भी अधिकारियो को समस्या से अवगत कराया गया परंतु कोई नतीजा नहीं निकला।
इनका कहना है
आपके द्वारा जानकारी मिली है दिखवाता हूं सुधार किया जाएगा।
धर्मेंद्र कुथे
जेई एमपीईबी