झोलाछाप डाक्टर बिना डिग्री और रजिस्ट्रेशन के बेख़ौफ़ गाँव गाँव में ग्रामीणों का कर रहें ईलाज, जिम्मेदार मौन…
रेवांचल टाइम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले के गाँव गाँव में कुकरमुत्तो कई तरह झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक मचा हुआ है वही जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे भी डॉक्टर अपनी किलिनिक चला रहे है जिन्होने न कोई प्रशिक्षण लिए है और न ही कोई डिग्री डिप्लोमा किया है पर आज भी गाँव मे निवासरत भोलेभाले ग्रामीणों का बेख़ौफ़ तरीक़े से एलोपैथी से ईलाज करते हुए इंजेक्शन औऱ दवाई गोली दे रहे हैं।
इससे साफ प्रतीत होता है कि ये सब स्थानीय प्रशासन के साथ साथ जिला चिकित्सालय में बैठें मुख्य चिकित्सा अधिकारी के संरक्षण प्राप्त कर असमय लोगो को काल के गाल में पहुँचा भी रहे हैं।
वही पर आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति चाहता है कि स्वस्थ शरीर के साथ निरोग रहे और हर संभव प्रयास करता है कि शारीरिक रूप से किसी भी प्रकार की समस्या न हो जिसके लिए वह सुबह की शुरुआत योग से लेकर व्यायाम तक के उपाय करता है और खाने पीने में भी सावधानी रखता है
इसी को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो जिसके चलते आज के समय में आम नागरिक मासिक चैकअप को अपनाते आ रहे हैं। वही सरकार ने भी ग़रीबो औऱ सभी वर्गों के लिए चिकित्सा के लिए शहर से लेकर गांव गांव तक अस्पताल खोल रखे है हर प्रकार की बीमारियों से ऑपरेशन तक कि सुविधा प्रशिक्षित डॉक्टर और मरीजो को रैफर करने के लिए वाहन भी उपलब्ध करा रही है लेकिन आज गांव गांव गली गली में डाक्टर कहें या फिर इलाज के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले बीते कुछ वर्षों में फर्जी डिग्रीधारी झोलाछाप डाक्टर की वृद्धि बड़ी तेजी से हुई है, कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक का बोर्ड लगा रखा है, औऱ सभी प्रकार की गंभीर बीमारियों का इलाज धडल्ले बेखौफ तरीके से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लीनिक में ब्लड जाँच यूरीन जाँच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है मरीज़ो को भर्ती तक कर ईलाज कर रहे है कही न कही ये सब जिले में बैठें चिकित्सा विभाग के बड़े अधिकारी कर्मचारीयो को चढ़वा चढ़ा कर आज खुलेआम हर गली हर मोहल्ले में बड़े बड़े बोर्ड के साथ अपनी किलिनिक संचालित कर रहे हैं। वही वर्ष 2023 में सूचना के अधिकार के आवेदन से जानकारी के अनुसार जिले में मात्र 29 निजी क्लीनिक ही पंजीकृत है, लेकिन आज हर गली मोहल्ले में बैठे झोलाछाप डाक्टर जिनके पास न कोई डिग्री है और न डिप्लोमा रजिस्ट्रेशन फिर भी बेखौफ होकर अपनी दुकान संचालन कर रहे हैं, कुछ डॉक्टर तो आयुर्वैदिक के नाम पर डिग्री ले रखी है पर उस पध्दति इलाज न करते हुए एलोपैथी से इलाज कर रहे हैं, ये गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज करते है और कहीं इलाज के दौरान कोई समस्या आती है या मरीज की तबीयत ज्यादा खराब होती है तो ये फिर सरकारी अस्पताल में रेफर कर देते हैं जिससे गंभीर रूप बीमार मरीज का इलाज सरकारी अस्पताल में सही तरीके से किया जा सके, और यदि वहीं भी हालात नहीं सुधरते तो मेडिकल रेफर कर दिया जाता है जो अंततः मरीज की मौत का कारण बन जाता है। औऱ इन झोलाछाप डॉक्टरों की कोई शिकवा शिकायत होती भी है तो जाँच के नाम पर इनसे जाँच नोटिश देकर वसूली अभियान चलाया जाता है और इनसे मोती रकम वसूल कर इन्हें पुनः छोड़ दिया जाता है।
इनका कहना है..
साहब गांव में सरकारी अस्पताल की बिल्डिंग तो बनी हुई है पर न नर्स मेडम आती है और न ही डॉक्टर साहब आते है हम बीमार होते है तो हमे तुरंत इलाज करवाने इन्ही छोटे डॉक्टर साब से करवा लेते है नही तो तो मंडला जाना पड़ता हैं।
ग्रामीण राधेलाल यादव