बाँध में 2006 के प्रावधान संशोधन पर्यावरण प्रभाव आकलन क़ानून…
रेवांचल टाईम्स – मंडला, ज़िले के विकास खंड मोहगांव में बन रहें बंध में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन कानून 2006 के प्रावधानों और संशोधनों के साथ बसनिया बांध के लिए विशिष्ट अध्ययन बिन्दु को शामिल किया गया है।जो निम्न है:- (1)परियोजना निर्माण के कारण नर्मदा नदी, नाला के जलग्रहण क्षेत्र में उसके वहन क्षमता और निरंतरता का संचयी प्रभाव(कम्यूलेटिव ईम्पेकट) का अध्ययन। (2)वन भूमि को कम करना जिससे पर्यावरणीय निरंतरता सुनिश्चित हो। (3)नर्मदा कंट्रोल ऑथोरिटी को परियोजना प्रस्ताव के साथ पर्यावरणीय प्रभाव निर्धारण व पर्यावरणीय प्रबंधन नियोजन रिपोर्ट भेजकर उनसे टिप्पणी लेना। (4) वन भूमि का परिवर्तन, जैव विविधता हानि के कारण जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र पर पङने वाले असर का पर्यावरणीय दृष्टि से लाभ हानि का विश्लेषण करना। (5) पर्यावरण प्रभाव निर्धारण रिपोर्ट तैयार करने के लिए बेस लाइन डाटा को टी.ओ.आर के मानक अनुसार संकलित करना।साथ ही मिट्टी की विशेषताओं का अध्ययन कर कम से कम 10 अलग- अलग स्थानों का डाटा संकलित करना, जो जलाशय और जंगल के आसपास वाले गांव हैं। (6) तीनों ऋतु में परियोजना क्षेत्र के 10 जगहों का भूजल स्तर का नाप करना। (7) परियोजना के कारण जलीय और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पङने वाला असर का अध्ययन करना। जिसमें विधुत उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के कारण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र एवं उत्पादन की मात्रा पर प्रभाव और उसके अनुसार पर्यावरणीय प्रबंधन कार्य योजना तैयार करना।
(8) डूब और बांध के नीचे क्षेत्र में रेत खनन/ खदान स्थल को चिन्हित करना।
(9) निर्माण में लगने वाले मेटेरियल का स्रोत और उसकी परियोजना स्थल से दूरी के साथ मेटेरियल परिवहन की विस्तृत योजना तैयार करना।
(10) खदान स्थलों का सुधार/मरम्मत की विस्तृत योजना को रिपोर्ट में शामिल करें।
(11) वन्य प्राणी संरक्षण के लिए शिड्यू्ल-1 की प्रजातियों का विस्तृत योजना तैयार कर मुख्य वन्य प्राणी संरक्षक को पर्यावरणीय प्रभाव आकलन/पर्यावरणीय प्रबंधन योजना के साथ जमा करने के पश्चात स्वीकृति लेना।
(12) जलाशय/नदी किनारा को डूब के साथ सुरक्षा योजना बनाना और रिपोर्ट में शामिल करना।
(13)परियोजना के 10 किलोमीटर की परिधि में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के परामर्श से वाटर शेड की संभावनाओं का अध्ययन करना चाहिए और उसके अनुसार विस्तृत वाटर शेड विकास योजना तैयार किया जाए और उसे रिपोर्ट में शामिल किया जाए।
(14) परियोजना के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को लेकर सबंधित अधिकारियों की हस्ताक्षर एवं स्वीकृति और उनके साथ अनुबंध (एमओयू) किया जाए।निर्माण और परिचालन के दौरान चरणबद्ध पर्यावरणीय सांचा(मेट्रिक्स) जमा करना आवश्यक होगा।
(15) वनस्पति एवं जीवजंतु का विस्तृत अध्ययन और फिल्ड सर्वे के आधार पर मेट्रिक्स तैयार करना। सर्वे के लिए इस्तेमाल किए गए कार्यप्रणाली का उल्लेख रिपोर्ट में करना होगा।
(16)सबंधित क्षेत्र में पाये जाने वाले स्थानीय पौधा और जानवर प्रजाति का जानकारी उपलब्ध कराना।
(17) वन्य जीव संरक्षण का विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्य वन्य प्राणी वार्डेन को जमा करना।डूब में आने वाले वनस्पति एवं जीवजंतु और पेङो की संख्या,घनत्व एवं उसका नामावली के साथ विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना।
(18) परियोजना के कारण पक्षियों पर पङने वाले प्रभाव का अध्ययन को रिपोर्ट में शामिल करना।
(19)पानी के खास स्रोत में जलवैज्ञानिक (हाईड्रोलोजिकल) परिवर्तन के आधार से मछली की विविधता पर पङने वाले प्रभाव का अध्ययन करना। नोट – उपरोक्त बिन्दुओं के अध्ययन के बाद पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार होगा। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड जन सुनवाई आयोजित करा कर पर्यावरणीय क्षति के सबंध में आपत्ति आमंत्रित करेगा। इसके बाद ही पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी मिलेगा।
राज कुमार सिन्हा
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ