सिविल अस्पताल नैनपुर को सफेद हाथी बनाने में तुले बीएमओ करोड़ों की सुविधा को पलीता लगा रहे नैनपुर बीएमओ बीएमओ नैनपुर की मनमानी से परेशान है आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के मरीज
रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले के नैनपुर में संचालित सिविल अस्पताल इन दिनों जम कर सुर्खियां बटोर रहा है, अवैध रूप से पदस्थ बीएमओ ने सिविल अस्पताल को चर्चा में ला दिया है। चाय पान दुकान में इनकी करनी और करतूत के बाजार गर्म है। सीएमएचओ को जानकारी होने के बाद भी चुप है, आखिर क्यों?
लगता है किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सिविल अस्पताल नैनपुर में पूर्णतः संचालित ऑपरेशन थिएटर, महिला रोग विशेषज्ञ एवं निश्चेतना विशेषज्ञ होने के बावजूद सिविल अस्पताल में बीते 1 साल में मात्र तीन से चार ऑपरेशन किए गए है, और अधिकतम गर्भवतियों को सामान्य समस्या होने पर भी उच्च संस्थान में जाने मजबूर किया जाता है, ताकि किसी भी प्रकार से जड़ जमाए बैठे चिकित्सक और बीएमओ साहब पर कोई आंच न आए।
पैथालॉजी विशेषज्ञ की सुखमारी से भोले भाले मरीज हो रहे है सुविधा से वंचित
नगर के सिविल अस्पताल में शासन द्वारा उपहार में दी गई सर्वसुविधा उक्त पैथालॉजी होने के बावजूद नगर और आस पास के ग्रामीण लोगों को आवश्यकता होने पर रक्त के लिए भटकना पड़ता है, जबकि अस्पताल में इस सुविधा के लिए संसाधन उपलब्ध है। अगर किसी मरीज के परिजन ने रक्त की व्यवस्था कर भी लिया तो क्रॉस मैच के नाम पर मंडला जिला अस्पताल के चक्कर लगवाए जाते है जबकि यह सुविधा सिविल अस्पताल नैनपुर में पदस्थ पैथालॉजी विशेषज्ञ द्वारा दिया जाना उनका दायित्व है जबकि वे विशेषज्ञ होने के नाम पर वेतन भी ज्यादा प्राप्त करते है साथ ही पैथालॉजी विशेषज्ञ होने के आधार पर पदोन्नति भी प्राप्त कर चुके है, फिर भी अपने कार्य और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने में कोई शर्म महसूस नहीं करते।
गर्भवती महिलाओं एवं सिक्लिंग के मरीजों के लिए नर्क से कम नहीं नैनपुर अस्पताल
ज्ञात हो कि एनीमिया की शिकार अधिकतर महिलाएं होती है। उनके रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने के कारण गर्भावस्था में आराम अधिक मात्रा में विटामिन मिनरल व फाइबर आदि की जरूरत होती है ऐसे में रक्त नहीं मिलना मरीज के लिए हानिकारक हो सकता है, उक्त सारी समस्या का निवारण नैनपुर सिविल अस्पताल में हो सकता है किंतु सभी उपयुक्त संसाधन एवं संबंधित विभाग के विशेषज्ञ होने के बावजूद मरीजों के गंभीर बीमारी का डर बता कर रेफर कर दिया जाता है।
बच्चों पर भी रहम नहीं बरत रहे नैनपुर बीएमओ
आम नागरिकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने सरकार रकम तो खर्च कर रही है और प्रशासन लगातार छाती पीट रहा है कि अब अस्पताल में पीआईसीयू यानी बाल गहन चिकित्सा इकाई का संचालन शत प्रतिशत किया जा रहा है किंतु नैनपुर सिविल अस्पताल प्रबंधन की मनमानी के चलते करोड़ों की लागत से बना पीआईसीयू धूल फांकता नजर आ रहा है, अस्पताल में दो शिशु रोग विशेषज्ञ होने के बावजूद आज दिनांक तक उक्त आइसीयू को क्रियान्वित नहीं किया गया बल्कि धीरे धीरे उस वार्ड के बेड और अन्य उपकरण अपनी सुविधा अनुसार अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा उपयोग में लाए जा रहे है ताकि समय आने पर संसाधन की कमी बता कर बचा जा सके। सर्वसुविधा उक्त पीआईसीयू जैसी सुविधा होने के बावजूद दोनों शिशु रोग विशेषज्ञ को अपने निजी क्लीनिक से इतना मोह है कि सामान्य रूप से बीमार बच्चों तक को या तो रेफर कर दिया जाता है या तो अपने निजी क्लीनिक में आने की सलाह दी जाती है।
जानबूझ कर गर्त में धकेला जा रहा सिविल अस्पताल नैनपुर
आज नगर में यह जन चर्चा का विषय बना हुआ है कि इतने बड़े सिविल अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है जबकि मामला ठीक इससे उलट है। सिविल अस्पताल नैनपुर में अधिकतर सुविधाएं उपलब्ध है किंतु कुछ जड़ जमाए और भविष्य में खुद का निजी नर्सिंग होम संचालित करने का सपना देखने वाले चिकित्सक अपने स्वार्थ के चलते आम जन को आज बेहतर स्वास्थ सुविधा से वंचित रख रहे है ताकि भविष्य में कोई भी शासकीय अस्पताल का मुंह न देखे और इनका निजी नर्सिंग होम मरीजों से भरा रहे। इस कार्य के लिए बाकायदा प्रशिक्षण प्राप्त दलाल भी नियुक्त किए गए है जो बीएमओ के ऑफिस में अधिकतम समय बिताते है, साथ ही सिविल अस्पताल से संबंधित अधिकतर कार्यक्रम और शिविर में बीएमओ साहब के निजी सलाहकार के रूप में देखे जा सकते है।