क्यों नहीं हो रही जॉच न कार्यवाही ज़िले में भ्रष्ट और भ्रष्टाचारियों का क़द बड़ रहा तेज़ी से राजनीति संरक्षण के चलते

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, ज़िले के कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास मण्डला की लापरवाही का एक और नया मामला सामने आया है, जहां जिले में सहायक आयुक्त विभाग में बेख़ौफ़ भय मुक्त भ्रष्टाचार के कारनामों को लेकर चर्चे दिन ब दिन तेज़ी से बड़ते चले जा रहें है ! जिसकी भ्रष्टाचारी और लापरवाहियों को लेकर रोजाना अखबारों-समाचारों में प्रकाशन किया जा रहा था परन्तु ज़िम्मेदार जन प्रतिनिधि और आला-अधिकारियों की चुप्पी साधने के चलते जिम्मेदारों ने अपनी लापरवाहियों की हदें पार कर दी जिसका खामियाजा इस ज़िले की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। सहायक आयुक्त विभाग जहां सहायक आयुक्त के पद पर अनुभवशील श्री संतोष शुक्ला बैठे हुए हैं जिनके पास दो-दो जिलों का दायित्व है जिनसे लापरवाही और भ्रष्टाचार की उम्मीद करना मौजूदा सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और ऐसे में कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास में एक मामला उभर कर सामने आया है जहां सूचना का अधिकार आम जनता को दिया गया है परन्तु कार्यालय से सूचना का अधिकार अधिनियम अंतर्गत जानकारी भी गायब हो जाती है और न ही सूचना का अधिकार अधिनियम अंतर्गत शासकीय कार्यालयों में स्थापित किए जाने वाले लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी, द्वितीय अपीलीय अधिकारी की जानकारी तथा कार्यालयों का पता एवं सूचना का अधिकार अधिनियम अंतर्गत नियमावली से से संबंधित सूचना पटल भी गायब है। और जो है उनका जावाब नहीं दिया जाता है सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के भारत के संविधान ने लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की है, जिसमें शिक्षित नागरिक वर्ग हेतु सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है जो उसके कार्यकरण में भ्रष्टाचार को रोकने तथा सरकार तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए अनिवार्य है।
कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग में इसके पहले भी शिकायतें आई है जिसमें आवेदकों द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उक्त कार्यालय से मांगी गई जानकारी प्राप्त नहीं होती है, बाद इसके यदि आवेदक अपील करना चाहे तो उसे गुमराह कर दिया जाता है, वहीं अपनी करतूतों तथा भ्रष्टाचारी को छुपाने हेतु जिम्मेदारों द्वारा जानकारी नहीं दी जाती। इसी भ्रष्टाचार का खुलासा करने को लेकर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 5 की उपधारा (2)या धारा 6की उपधारा (3)अंतर्गत जानकारी मांगी गई थी परन्तु कार्यालय से जानकारी के साथ-साथ सूचना प्रदाय किए जाने हेतु अधिकारी भी गायब हो चुके हैं, जबकि भारत के संविधान में लोकतंत्रात्मक गणराज्य संरचना के तहत समस्त शासकीय कार्यालयों में सूचना का अधिकार अधिनियम का पटल स्थापित किया जाना अनिवार्य है।
वही आज सहायक आयुक्त विभाग द्वारा किया गया यह लापरवाही उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को स्पष्ट करता है जहां पर 2370678/- रुपए का स्टेशनरी एन्ड प्रिंटर्स के नाम पर खाता क्रमांक 53030400907 पर भुगतान कर शासकीय राशि में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय राशि मैं गबन किये जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है और भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर संलग्न किए गए फर्जी बिल-बाउचर एवं दस्तावेजों को उपलब्ध कराने से पीछे हट रहे हैं। इसके पहले भी उक्त कार्यालय द्वारा शासकीय राशि का फर्जी बिल-बाऊचर द्वारा गबन किए गए जैसे अनेकों भ्रष्टाचारी का खुलासा किया जा चुका है बावजूद इसके आला-अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा भ्रष्टाचारीयों को दिए गए संरक्षण जिनमें उनकी हिस्सेदारी बटी हुई है नज़र आ रही है ज़िले में सहायक आयुक्त की कार्यप्रणाली की जनचर्चा का विषय बनी हुई हा और सब जिम्मेदारौ को उनका हिस्सा समय समय में मिलने के चलते आज यह मामला सामने आया है। पर जाँच न होना और न ही भ्रष्ट और भ्रष्टाचारीयो पर कार्यवाही न होना यह बड़ा विषय बना हुआ है।

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