धान खरीदी केंद्रों में हो रही मनमानी: क्या किसानों की आवाज़ दब जाएगी?

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मध्य प्रदेश में इन दिनों धान खरीदी का सीजन चल रहा है। राज्य सरकार ने विपणन संघ के माध्यम से किसानों से धान की खरीदी के लिए विशेष व्यवस्था की है। लेकिन नैनपुर ब्लॉक के ग्राम खिरखिरी स्थित धान खरीदी केंद्र पर किसानों के साथ हो रही मनमानी ने इस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

किसानों से लिया जा रहा अतिरिक्त तौल
धान खरीदी केंद्र पर प्रभारी सुरेश ठाकुर पर आरोप है कि वह किसानों के धान के बारदानों में 900 ग्राम से लेकर 1 किलो तक अतिरिक्त वजन तौल रहे हैं। शासन के नियमों के अनुसार, एक बारदाने में अधिकतम 40 किलो धान भरा जाना चाहिए, लेकिन इस छूट का गलत इस्तेमाल कर किसानों से ज्यादा धान लिया जा रहा है। इस प्रक्रिया को किसानों ने कैमरे में कैद भी किया है।

जब कुछ किसानों ने अपने बारदाने तुलवाए, तो उनमें तय सीमा से अधिक वजन पाया गया। किसानों के विरोध करने पर केंद्र प्रभारी ने तोल को छुपाने का प्रयास किया। इसके बावजूद, जिला प्रशासन को शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

पिछले वर्षों में भी मनमानी के आरोप
खिरखिरी धान खरीदी केंद्र पर लापरवाही और किसानों के साथ अन्याय का यह पहला मामला नहीं है। विगत वर्षों में भी ऐसे ही आरोप लगे थे। किसानों का कहना है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके हितों की बातें तो खूब की जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके साथ केवल छलावा हो रहा है।

जिला पंचायत सदस्य ने उठाई थी आवाज़
जिला पंचायत सदस्य और सहकारिता अध्यक्ष सुश्री ललिता धुर्वे ने पहले भी जिले के कई खरीदी केंद्रों पर लापरवाही और घोटालों के मामले उजागर किए थे। उन्होंने इस बात का आरोप लगाया था कि जांच अधिकारियों ने रिश्वत लेकर मामलों को दबाने का प्रयास किया। इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि किसानों के अधिकारों के प्रति गंभीर नहीं हैं।

किसानों की मेहनत पर डाका
खरीदी केंद्रों पर किसानों से की जा रही यह लूट सीधे तौर पर उनकी मेहनत पर डाका डालने के समान है। किसानों की आय बढ़ाने और उनके कल्याण के उद्देश्य से बनाई गई सरकारी योजनाओं को ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं।

प्रशासन की जिम्मेदारी
जिला विपणन संघ और प्रशासन को इन मामलों का संज्ञान लेकर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे खरीदी केंद्र प्रभारियों को ब्लैकलिस्टेड किया जाना चाहिए ताकि किसानों का विश्वास कायम रह सके।

क्या प्रशासन इस मामले में कठोर कदम उठाएगा, या फिर किसानों की आवाज़ दबकर रह जाएगी? यह सवाल अब हर किसान के मन में गूंज रहा है।

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