प्रेरणा उत्सव में रानी दुर्गावती के जीवन का कलाकारों ने किया सजीव मंचन बी आर सी मैदान में कार्यक्रम हुआ आयोजित

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दैनिक रेवांचल टाइम्स बजाग – नगर के बी आर सी कार्यालय के सामने स्थित मैदान में गोंड नायिका व महान वीरांगना रानी दुर्गावती के जीवन एवं अवदान पर केंद्रित नाटिका का मंचन कार्यक्रम आयोजित किया गया।जिसमें चित्र प्रदर्शनी और नृत्य-नाटिका के माध्यम से वीरांगना रानी दुर्गावती का संपूर्ण जीवन और अवदान पर आधारित कहानी की मनमोहक प्रस्तुति कलाकारों द्वारा की गई।उल्लेखनीय है कि
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन के सहयोग से जनजातीय विकासखंडों मे ऐतिहासिक चरित के जीवन आधारित प्रेरणा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसी के तहत जनजातीय विकासखंड बजाग में भी शुक्रवार शाम को एक- दिवसीय कार्यक्रम संयोजित किया गया । उत्सव में शहडोल से आए हुए उन्तालीस युवा कलाकारों के दल के द्वारा स्वातंत्र्य समर की अप्रतिम गोण्ड नायिका वीरांगना रानी दुर्गावती के जीवन पर नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति कर एवं उनके जीवन और अवदान पर केंद्रित चित्र प्रदर्शनी का संयोजन मंच के माध्यम से दिखाया गया । बी आर सी मैदान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती जी के छाया चित्र पर दीप्रज्वलित कर किया गया।इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जप उपाध्यक्ष राधेश्याम कुशराम,मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम एल धुर्वे, बी आर सी ब्रजभान सिंह गौतम, बी ई ओ तीरथ परस्ते,रैयत सरपंच शंकर धुर्वे,खम्हेरा सरपंच कौशल्या कुशराम,दीपचंद पुसाम,नीरज मुजवार प्रमुख रूप से उपस्थित थे प्रेरणा उत्सव में गोंड नायिका रानी दुर्गावती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मंचीय कलाकारों ने शानदार अभिनय की प्रस्तुति देते हुए उपस्थित दर्शकों को अपनी कला से मंत्र मुग्ध कर दिया।कलाकारों ने सजीव नाटकीय मंचन के माध्यम से रानी दुर्गावती के पूरे जीवन चरित्र का मनमोहक वर्णन किया।कार्यक्रम रविशंकर तिवारी के सहनिर्देशन में और आलेख योगेश त्रिपाठी द्वारा तैयार किया गया है
नाटक और चित्र प्रदर्शनी के जरिए प्रस्तुति कथासार में दिखाया गया कि कैसे
कालिंजर के राजा महाराज कीर्ति सिंह चंदेल की पुत्री दुर्गावती का विवाह गढ़ा के गोण्ड राजवंश के महाराज संग्राम सिंह के पुत्र दलपत शाह से हुआ। दोनों ही अस्त्र-शस्त्र शिक्षा में पारंगत थे धार्मिक और जनहित के कार्यों में भी रुचि लेते थे। रानी को एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम वीर नारायण रखा गया। पुत्र अभी छोटा ही था कि दलपत शाह का निधन हो गया। गद्दी पर वीर नारायण को बिठाया गया, मुगल सम्राट अकबर गढ़ा राज्य को अपने अधीन करना चाहता था। अकबर ने सूबेदार आसिफ खां को हमला करने के लिए हुक्म जारी कर दिया। पहले हमले में आसिफ खां ने शिकस्त खाई, लेकिन लगातार दूसरे हमले में रानी बहादुरी के साथ लड़ती हुई वीरगति को प्राप्त हो गईं। चौरागढ़ के किले में उनके किशोर वय के वीर पुत्र वीर नारायण भी लड़ते हुए शहीद हुए। मातृभूमि की रक्षा करने के लिए महारानी दुर्गावती का बलिदान हमारे सामने एक ऐसा आदर्श उदाहरण है, जो हजारों वर्ष तक समस्त भारतवासियों को देश के लिए मर-मिटने की प्रेरणा देता रहेगा।

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