महाकौशल प्रांत से 18 युवा दिल्ली रवाना, जनजातीय समस्याओं और समाधान पर रखेंगे अपनी बात

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रेवांचल टाईम्स – विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित जनजातीय छात्र संसद दिल्ली में गूंजेगी महाकौशल प्रांत के युवाओं की आवाज

महाकौशल प्रांत से अलग-अलग जिले से अलग-अलग शैक्षिक संस्थानों से सलेक्टेड 18 युवा प्रतिनिधि 9 मार्च को दिल्ली में आयोजित विद्यार्थी परिषद द्वारा अखिल भारतीय जनजातीय छात्र संसद में भाग लेने के लिए रवाना हो रहे हैं। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देशभर के जनजातीय छात्र अपनी समस्याओं, अधिकारों और उनके समाधान पर चर्चा करेंगे। महाकौशल प्रांत के ये युवा अपने क्षेत्र की समस्याओं को राष्ट्रीय पटल पर रखते हुए सरकार से ठोस समाधान की मांग करेंगे।

शिक्षा और छात्रावास की स्थिति पर प्रमुख मुद्दे

जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति को लेकर कई चिंताएँ हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्रवृत्ति, शोध कार्य, छात्रावास की उपलब्धता और उनकी गुणवत्ता जैसे विषयों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले स्टाइपेंड की राशि कितनी है, क्या यह पर्याप्त है, और क्या छात्रों तक यह समय पर पहुंच रही है, इन सवालों पर भी चर्चा होगी। छात्रावासों की स्थिति कैसी है, उनके रखरखाव और सुविधाओं को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इस पर भी दिल्ली में युवा अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

स्व-रोजगार और स्वावलंबन पर होगी चर्चा

जनजातीय समुदाय के युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सीमित हैं। भोकेशनल शिक्षा, स्किल ट्रेनिंग और स्वावलंबन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इनका क्रियान्वयन कितना प्रभावी है, यह एक बड़ा सवाल है। क्या युवाओं को सही ढंग से प्रशिक्षण मिल पा रहा है? क्या वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर बन पा रहे हैं? इन बिंदुओं को लेकर प्रतिनिधि अपनी बात रखेंगे और सरकार से अधिक प्रभावी नीतियों की मांग करेंगे।

सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन: क्या मिल रहा है लाभ?

जनजातीय समुदाय के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन कितना प्रभावी है, इस पर विशेष चर्चा होगी। क्या इन योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच रहा है? क्या प्रशासन और सरकार इन योजनाओं को लागू करने में गंभीरता दिखा रही है? जनजातीय छात्र इन सभी सवालों पर अपनी राय रखेंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे।

संस्कृति, परंपरा और स्वाभिमान की रक्षा पर विमर्श

जनजातीय समाज अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के लिए जाना जाता है। लेकिन आज के दौर में इन पर कई प्रकार के आक्रमण हो रहे हैं। हमारी संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिशें की जा रही हैं। इस जनजातीय संसद में इस विषय पर गहन विमर्श होगा कि हमारी परंपराओं को संरक्षित करने और स्वाभिमान की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

महत्वपूर्ण मांगें जो रखेंगे युवा

1. शिक्षा में सुधार: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर छात्रावास सुविधाओं की मांग।

2. रोजगार के अवसर: स्वरोजगार और स्किल ट्रेनिंग के लिए बेहतर योजनाओं की मांग।

3. सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन: योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पहुंचे।

4. संस्कृति और परंपराओं की रक्षा: जनजातीय समाज की सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

 

जनजातीय युवाओं की मजबूत आवाज बनेगी यह संसद

अखिल भारतीय जनजातीय छात्र संसद केवल एक सभा नहीं, बल्कि युवाओं की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का एक प्रभावी मंच है। इस संसद के माध्यम से महाकौशल प्रांत के युवा जनजातीय समाज के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अपना संकल्प व्यक्त करेंगे।

जनजातीय क्षेत्रों में डिजिटल और तकनीकी शिक्षा की जरूरत

आज के डिजिटल युग में भी कई जनजातीय क्षेत्र इंटरनेट और तकनीकी शिक्षा से वंचित हैं। क्या इन क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है? ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल संसाधनों तक छात्रों की पहुंच कैसी है? इस मुद्दे को भी प्रमुख रूप से उठाया जाएगा।

स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर भी उठेगी आवाज

जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति, डॉक्टरों की अनुपलब्धता, दवाओं की कमी, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण योजनाओं की वास्तविक स्थिति जैसे विषयों को भी इस मंच से उठाया जाएगा।

पर्यावरण और वनाधिकार पर विमर्श

जनजातीय समाज प्रकृति से जुड़ा हुआ है, लेकिन जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकारों को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। वनाधिकार कानून का सही क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं, इस पर भी चर्चा होगी। साथ ही, खनन और औद्योगिक गतिविधियों के कारण विस्थापन की समस्या पर भी युवाओं द्वारा अपनी बात रखी जाएगी।

खेल और युवा सशक्तिकरण की मांग

जनजातीय क्षेत्रों में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त संसाधन और समर्थन नहीं मिलता। खेलों में जनजातीय युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सुविधाओं और सरकारी सहायता की मांग भी की जाएगी।

जनजातीय छात्र संसद: एक नए बदलाव की शुरुआत

इस संसद के माध्यम से युवा सिर्फ अपनी समस्याओं को नहीं रखेंगे, बल्कि संभावित समाधान भी सुझाएंगे। यह आयोजन केवल एक दिन की चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले दिनों में इन मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा।

यह जनजातीय छात्र संसद न केवल विचार-विमर्श का मंच होगा, बल्कि आने वाले समय में जनजातीय समाज की दिशा और दशा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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