बजट स्वीकृत, निर्माण अधूरा—अस्पताल भवन घोटाले की ओर इशारा! अधिकारियों की मिलीभगत या ठेकेदार की मनमानी? गुणवत्ता की खुल रही पोल
बजाग— नगर के परडिया डोंगरी स्थित समनापुर मार्ग पर करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे अस्पताल भवन का निर्माण ठेकेदार की लापरवाही और विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते कछुआ गति से आगे बढ़ रहा है। मार्च में निर्माण की वैधता समाप्त हो चुकी है, लेकिन अस्पताल भवन अभी भी अधूरा पड़ा है। सवाल उठता है कि आखिरकार इस घोर लापरवाही की जिम्मेदारी किसकी है? क्या यह प्रशासन की नाकामी का नतीजा है, या फिर एक बड़े भ्रष्टाचार की पटकथा लिखी जा रही है?
गुणवत्ता के नाम पर छलावा, जनता के पैसे से खिलवाड़
सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से करोड़ों का बजट स्वीकृत किया गया था, लेकिन ठेकेदार की सुस्त कार्यशैली और विभागीय अधिकारियों की लचर निगरानी के चलते निर्माण की गुणवत्ता को ताक पर रख दिया गया। घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग और तकनीकी मानकों की अनदेखी से भवन अभी से दरकने लगा है। ग्रामीणों की मानें तो दीवारों पर लगाया गया मसाला पहले ही झड़ने लगा है, जिससे साफ पता चलता है कि रेत और सीमेंट के मिश्रण में बड़ा खेल खेला गया है।
बिजली व्यवस्था से खिलवाड़, जान जोखिम में
निर्माण स्थल पर बेतरतीब तरीके से फैले विद्युत तार हादसे को न्योता दे रहे हैं। लकड़ी के खंभों से उलझे तारों के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए कार्यस्थल को एक जोखिम भरा क्षेत्र बना दिया गया है, लेकिन अधिकारियों की आंखें इस पर भी बंद हैं।
सूचना बोर्ड नदारद, पारदर्शिता पर सवाल
गंभीर लापरवाही का एक और उदाहरण यह है कि अस्पताल के निर्माण से संबंधित कोई भी सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है। आम जनता को यह तक नहीं बताया जा रहा कि यह अस्पताल किस मद से, कितनी लागत में और किस समयसीमा में तैयार किया जाना था। ऐसा लगता है मानो पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा गया है ताकि भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जा सके।
बाउंड्री की स्थिति भी दयनीय, मानकों का उल्लंघन
अस्पताल भवन की बाउंड्रीवाल भी मानकों के अनुरूप नहीं बनाई जा रही। पिलर तिरछे खड़े कर दिए गए हैं, जिससे न केवल भवन की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है, बल्कि उसकी सुंदरता भी बिगड़ रही है। सवाल उठता है कि क्या इस तरह की अनियमितताओं को प्रशासन की शह प्राप्त है?
अधिकारियों की निष्क्रियता—चोरी ऊपर से सीना जोरी
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी शायद ही कभी निरीक्षण के लिए आते हैं। ठेकेदार मनमाने तरीके से निर्माण कर रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। जब इस बारे में इंजीनियर सुरुचि परते से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने जवाब देने के बजाय खुद को मीटिंग में व्यस्त बता कर पल्ला झाड़ लिया।
क्या यह एक बड़ा घोटाला है?
जिस तरीके से इस अस्पताल भवन का निर्माण किया जा रहा है, वह एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने के नाम पर जनता के पैसों से मजाक किया जा रहा है। अगर जल्द ही इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह परियोजना ग्रामीणों के लिए सुविधा देने के बजाय सिरदर्द बन जाएगी।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस घोर लापरवाही पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा!
