आरटीओ कार्यालय बना दलालों का अड्डा, आम जनता हो रही परेशान
रेवांचल टाइम्स जबलपुर।परिवहन विभाग के कार्यालय यानी आरटीओ को जहां आम जनता के लिए सुचारु और पारदर्शी सेवाएं देने वाला संस्थान होना चाहिए, वह आजकल दलालों का अड्डा बन चुका है। जबलपुर आरटीओ कार्यालय के भीतर से लेकर बाहर तक इन बिचौलियों का ऐसा जाल फैला है कि आम आदमी का बिना उनके सहयोग के कोई भी काम हो पाना नामुमकिन सा हो गया है।
बिना दलाल के नहीं हो पा रहा काम
सूत्रों के अनुसार, लाइसेंस बनवाना हो, नामांतरण कराना हो, वाहन पंजीयन या फिर अन्य परिवहन संबंधी कार्य हर जगह दलालों की भूमिका इतनी मजबूत हो चुकी है कि आम नागरिक भ्रमित होकर इन्हें ही अधिकारी समझ बैठते हैं। पहचान पाना मुश्किल होता जा रहा है कि कौन वर्दीधारी कर्मचारी है और कौन बाहरी एजेंट।
आरटीओ कार्यालय के बाहर बाकायदा लाइसेंस बनवाने के नाम पर कई एजेंटों ने अस्थायी दुकानें सजा रखी हैं। यह दलाल समूह रोज़ाना सैकड़ों लोगों से संपर्क में रहता है और सरकारी निर्धारित शुल्क से दो से तीन गुना अधिक वसूली कर रहा है। बताया जाता है कि प्रतिदिन 100 से 150 लोग विभिन्न कार्यों के लिए आरटीओ पहुंचते हैं, लेकिन अधिकांश को दलालों की शरण में ही जाना पड़ता है।
स्थानीय जानकारों का कहना है कि आरटीओ कार्यालय के भीतर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना यह पूरा नेटवर्क इतना सक्रिय नहीं हो सकता। दलालों को न सिर्फ अंदरूनी प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी होती है, बल्कि उन्हें यह भी मालूम होता है कि कौन अधिकारी किस काम के लिए कितना “सहयोग” चाहता है। यही वजह है कि कुछ दलाल तो हाथों-हाथ लर्निंग लाइसेंस दिलाने तक का दावा करते हैं वह भी बिना किसी प्रक्रिया के।
जनता का भरोसा टूट रहा
शासन द्वारा निर्धारित पारदर्शी प्रक्रिया और ऑनलाइन सेवाओं के बावजूद जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। ग्रामीण अंचलों से आने वाले नागरिक खासतौर पर इन दलालों के शिकार बनते हैं, जो जानकारी के अभाव में इन पर निर्भर हो जाते हैं।
