मंडला में तेजी से पैर पसार रही कोट टाई वाली कंपनियां

ऑन लाइन सेल्स की आड़ में धोखाधड़ी, आदिवासी युवाओ से जमा कराया जा रहा 12 से 42 हजार रूपए....बेरोजगार को मार्केटिंग के नाम पर की जा रही हैं वसूली

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में एक बार फिर प्राइवेट कंपनियां तेजी पैर पसार रही है। जो आठवी दसवी पास बेरोजगार युवाओ को अपना शिकार बना रही है। राजस्थान कि ये कंपनिया रेडीमेट गारमेंट के ऑन लाइन विक्रय के लिए पहले युवाओ को ट्रेनिंग दे देती है। इसके बाद चैन सिस्टम बनाकर घटिया क्वालिटी कपड़े खपा रही है। इतना ही नहीं मंडला मुख्यालय के उपमहाराजपुर के कारीकोन तिराहे से संचालित इन कंपनियो के द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन तक नहीं हुआ है। बड़ी संख्या में मंडला सिवनी, छिंदवाड़ा, और सी.जी. के युवक युवतियो को जोड़ रखा है।
बताया गया है कि रेडीमेट गारमेंट के ऑन विक्रय के लिए इन दिनो में मंडला महाराजपुर में दो कंपनिया काम कर रही है। जो बेरोजगार आदिवासी युवक युवतियो कोट टाई पहनना कर मोटी राशि वसूल कर रही है। कंपनी के लिए गारमेंट उन्हे महंगे दामो में थमा रही है। ऑनलाइन कपड़े विक्रय करने के लिए कंपनी सबसे पहले युवक युवतियो को जोड़ती है। इसके लिए पहले आवेदन के नाम पर पांच सौ रूपए जमा कराए जाते है फिर चार दिन की ट्रेरिंग दी जाती है। जिसमें युवाओ को बड़े बड़े सपने दिखाए जाते है। और उस सपने को साकार करने के चक्कर और कम्पनी की चमक धमक देख भोले भाले आदिवासी युवक युवतियां इनकी बातें में फंस रहें है। इसके बाद कंपनी इनके साथ बड़ा खेल करती है। ट्रेनिग के बाद फिर शुरू होता हैं चैन सिस्टम बनाने के लिए एक युवक से 12000 रूपए लेकर 42000 तक जमा कराए जाते है। इसमें कंपनी के द्वारा जारी किया लाइसेंस फीस होती है और ड्रेस होती है। आदिवासी युवक युवतियां कंपनी की चमक दमक देखकर इनके जाल में आसानी से फंस रहे है। प्राइवेट कंपनियो ने बेरोजगारो को ठगने के लिए कई तरह के पैंतरे अपनाती आ रही है। चैन सिस्टम के इस खेल में युवाओ को सिर्फ 6500 के कपड़े दिए जाते है। पांच हजार रूपए कंपनी प्रोडक्ट को विक्रय करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। एक युवक दूसरे युवक को जोड़ता है। उसे भी इतनी ही राशि कंपनी में जमा करना पड़ता है। इस तरह से चैन सिस्टम बनाकर घटिया कपड़े बेरोजगार युवाओ को थमाए जा रहे है। मोटे मुनाफे में कंपनी इन युवाओ को सिर्फ कुछ प्रतिशत कमीशन दे रही है। जो इन बेरोजगार युवाओ के साथ शोषण है। इसको लेकर जिला प्रशासन का कोई ध्यान इस ओर नहीं है। पहले भी मंडला जिले में ऐसी दर्जनो कंपनिया आई और बेरोजगारो को सपने दिखा कर रातो रात लाखो करोड़ो का चूना लगाकर चंपत हो गई।

फ़र्जी कम्पनियों की ओर प्रशासन का नहीं ध्यान

मंडला और महाराजपुर के मुख्य मार्ग पर कंपनियो ने ऑफिस खोल रखा है लेकिन इन कंपनी के कोई बोर्ड तक नहीं लगे है। किराए के मकान में संचालित कंपनियो में एक चैम्बर और हॉल है। हॉल में कंपनी से जुडऩे वाले युवक युवतियो को प्रलोभन दिए जाते है। युवक युवती एक साथ रहते भी है। जिनका पुलिस वेरीफिकेशन तक नहीं किया जाता है। थाने से ऑन लाइन कपड़े विक्रय का आवेदन देकर सील लगा ली जाती है। यही इनका प्रमाण है। इसके अलावा इनके पास कोई वैघ दस्तावेज नहीं है। जो कि जांच का विषय है।
मंडला समेत बाहरी जिले के बेरोजगार
रेडीमेड गारमेंट का ऑन लाइन विक्रय करने वाली ये कंपनियो में मंडला समेत सिवनी छिंदवाड़ा के युवक युवतियो को जाल में फंसाया गया है। यहां तक सी.जी. के भी कुछ युवक है। जो सिर्फ आठवी पास है। जिन्हे कोट टाई पहनाकर कंपनी इनके साथ ठगी कर रही है। दोनो ही कंपनी करीब एक सैंकड़ा से अधिक युवक युवतियो को जोड़ा गया है। हरेक से 12 हजार से लेकर 42 हजार रूपए जमा कराए जा रहे है। यही कंपनी का मुख्य व्यापार है।

सुरक्षा के नहीं है पुख़्ता इंतजाम

किराए के मकान में संचालित कंपनी में लगभग एक सैंकड़ा के पास युवक युवतिया है। जिनकी सुरक्षा को लेकर सवाल हो रहे है। संचालित कंपनी में कोई इंतजाम भी नहीं है। मंडला के बिनैका में एक साथ कई युवतियां एक साथ निवास कर रही है। युवको का भी दखल रहता है।
इस दौरान किसी भी तरह की अनहोनी घटना हो सकती है। ट्रेरिंग के हॉल अग्रिसुरक्षा और प्रसााधन के भी इंतजाम नहीं है।

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