कागजों में चल रही समितियां एवं उपभोक्ता भंडार कार्यालय का आता पता नहीं

सहकारिता विभाग की अनदेखी से नगर और ग्रामीण में राशन का वितरण करने वाले सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारो के संचालक कर रहै है मनमानी...

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रेवांचल टाइम्स – मंडला, जिले के नैनपुर विकास खण्‍ड के अंतर्गत आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों के अलावा सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों अन्‍य स‍हकारी समितियॉं जिनका कार्यक्षैत्र नैनपुर नगर पालिका तक सीमित होने के बावजूद सहकारिता एवं खाद्य विभाग की अनदेखी से सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डार एक से अनेकों राशन वितरण की दुकाने चला रहै है । इन राशन वितरण करने वाले सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों का नगर एवं नगर के आस पास कहीं भी स्‍थायी कार्यालय का पता आज तक किसी को सार्वजनिक रूप से मालूम नहीं है।


इन सभी सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारो के कार्यालय मनमर्जीयो से संचालकों के घरों से चल रहै है। वास्‍तव मे तो इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के नाम आम जन को आज तक मालूम नहीं हुआ है परन्‍तु यह सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डार कागजो में शायद 20 से 25 वर्ष पूर्व से चले आ रहै है । इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के कार्यालय के बोर्ड आज तक कहीं पर टांगे गए हो ऐसा आज तक जानकारी में नहीं आया है और न ही इनके कार्यालय के खुलने एवं बंद होने का समय आम जन को जानकारी के लिए सार्वजनिक नहीं किया गया है।
विभागीय अधिकारीयों का नगर भ्रमण का कार्यक्रम रहता है तो इन्‍हे पहले सूचना दे दी जाती है जिससे इनका व्‍यवस्थित घरेलू कार्यालय घरों में खुल जाते है । इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के मासिक एवं वार्षिक आम सभा बैठके कब होती है इसकी जानकारी सार्वजनिक रूप से आज तक नगर में किसी को नहीं है और न ही इसका सार्वजनिक रूप से प्रचार प्रसार किया गया है। इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों को शासन से एवं खाली वारदानों की बिक्री से हजारों रूपयों की मासिक आय हो रही है।
सूत्रो से प्राप्‍त जानकारी अनुसार यह सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के मूल संचालक दिमागी शातिर है अपने बचाव के लिए किसी भी स्‍तर का चरित्र अपना कर अपना एकाधिकार वर्चस्‍व सदैव बनाए रखना चाहते है । इनके खिलाफ सहकारिता विभाग के सहकारिता विस्‍तार अधिकारी नैनपुर एवं खाद्य निरीक्षक कुछ नहीं बोल पा रहै है तो आम जन की क्‍या मजाल है। वही पर इन विभागीय अधिकारियों से बात करने में कहा जाता है की सब सही चल रहा है कहीं कोई समस्‍या नहीं है। सूत्र नाम न छापने की शर्त में बताते है कि इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के संचालकों के द्वारा अपने कुछ हितैषीयों में से कुछ लोगों को नाम मात्र का सदस्‍य बना दिया जाता है । इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के निर्वाचित अध्‍यक्ष उपाध्‍यक्ष और संचालक सदस्‍य कौन कौन है इसकी जानकारी आम जनता को आज तक मालूम नहीं है ।

वहीं लोगों का कहना है, कि सहकारिता विभाग को इन सभी सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारो के अध्‍यक्ष उपाध्‍यक्षो और सदस्‍यों के नाम और मोबाईल नबंरो को समय समय पर समाचार पत्रों के माध्‍यम से सार्वजनिक किया जाना चाहिए। सेवा सहकारी समिति के साथ साथ अन्‍य सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍डारों के माध्‍यम से वितरण होने वाले राशन को राशन दुकानों में पहुँचाने के पूर्व सार्वजनिक रूप से प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए परन्‍तु विभाग के द्वारा ऐसा नहीं कराया जाता है वही पर इन राशन वितरण करने वाली समितियों के द्वारा निगरानी समिति की वास्‍तविक रूप से बैठक आयोजित न करके मात्र कागजों में हस्‍ताक्षर कराकर सिर्फ खाना पूर्ति पूरी की जाती है । सहकारी समितियां एवम उपभोक्ता भंडारों में सदस्यता लेने के लिए कार्यालय ना मिलने से लोग हो रहे परेशान। सहकारिता विस्तार अधिकारी पी पी तिवारी का कहना है की इसकी संपूर्ण जानकारी समिति अध्यक्षों द्वारा ही दी जा सकती है।

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