धर्म बदलने वालों को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाने की मांग: पीएम को पत्र लिखकर आर्टिकल 342 में संशोधन की मांग

नवंबर में दिल्ली पहुंच जनजाति समाज भरेगा हुंकार जनजाति सुरक्षा मंच की प्रेसवार्ता

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रेवांचल टाईम्स – मंडला में जनजाति सुरक्षा मंच ने सोमवार को प्रेसवार्ता आयोजित की। इस प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व न्यायाधीश और जनजाति सुरक्षा मंच के केंद्रीय टोली सदस्य प्रकाश उइके ने कहा कि जनजातीय समाज से अपनी रीति-रिवाज व परंपराएं छोड़कर धर्मान्तरित हो चुके व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करना है। क्योंकि ये 10 प्रतिशत धर्मान्तरित जनजाति समाज के आरक्षण सहित सरकार द्वारा दी जाने वाली 80 प्रतिशत सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। जबकि मूल जनजाति समाज आज भी इन लाभ से वंचित है।

गांव गांव से पीएम को पत्र लिख रहे ग्रामीण

वही उन्होंने कहा कि धर्मांतरित हो चुके व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने के लिए जनजाति सुरक्षा मंच पंचायत से संसद तक संघर्ष करने संकल्पित है। इसके लिए पूर्व से आंदोलन, रैली आदि का आयोजन किया जा रहा है। वर्तमान में पोस्ट कार्ड अभियान चल रहा है जिसमें गांव-गांव से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आर्टिकल 342 में संशोधन की मांग की जा रही है। साथ ही आंदोलन की अगली कड़ी में अब देश भर का जनजाति समाज लाखों की संख्या में दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि जनजाति समाज सांसद के सामने डिलिस्टिंग की मांग को रखेगा। इस दौरान जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक नीरज मरकाम, सह संयोजक सोनू मरावी सहित अन्य उपस्थित रहे।

इसलिये चल रहा है आंदोलन
डीलिस्टिंग से तात्पर्य यह है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग जिनका धर्म परिवर्तन कतिपय विधर्मी लोग लालच देकर या अन्य प्रलोभन से करते हैं। ऐसे लोग जो अपना धर्म त्याग कर दूसरा धर्म अपना लेते हैं और फिर वे अल्पसंख्यक के साथ अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण का दोहरा लाभ लेते हैं। जनजाति सुरक्षा मंच की मांग है कि ऐसे लोगों को डीलिस्टिंग यानी अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर कर दिया जाए तो इससे योग्य अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को मिलने वाले आरक्षण सहित अन्य संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं होगा।

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