हाई कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग को जारी किया नोटिस… 4 सप्ताह में जवाब मांगा…

मामला सिविल जज के फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नोकरी करने की आरटीआई का जवाब न देने का...

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, सिविल जज के फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कि बेंच ने सुना और सुचना आयोग को जारी कि नोटिस, माँगा 4 सप्ताह के अंदर जबाब…

न्यायधीश ही न्याय के घेरे में
मामला सिविल जज के फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करने से संबंधित आरटीआई का जवाब न देने का…

हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग को जारी किया नोटिस, 4 सप्ताह में जवाब तलब

रेवांचल टाईम्स – मंडला, सिविल जज के फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कि बेंच ने दलीलें सुनने के बाद सूचना आयोग को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। मंडला जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट (कार्यकर्ता) के द्वारा राज्य सूचना आयोग के आदेश के खिलाफ पहुँचे उच्च न्यायालय न्याय पाने और आयोग के द्वारा दिये आदेश को लेकर लगाई याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता मुकेश श्रीवास संपादक रेवांचल टाइम्स एवं समाजसेवी निवासी सिविल लाइन मंडला मध्यप्रदेश, श्री श्रीवास के द्वारा इस आशय कि याचिका माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रस्तुत की गई कि अनावेदक क्रमांक 5 रामगोपाल प्रजापति सिविल जज सिविल कोर्ट रेहली जिला सागर में वर्तमान में कार्यरत है। इन पर गंभीर आरोप यह लगा है कि श्री रामगोपाल प्रजापति मंडला जिले के मूलनिवासी हैं, और दस्तावेजों की जानकारी के अनुसार इनकी शिक्षा दीक्षा मंडला जिले में ही हुई है और प्रजापति मण्डला जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की श्रेणी में आते हैं, जबकि श्री रामगोपाल प्रजापति जी शासकीय सेवा में आने के लिए कोटे का लाभ लेने हेतु अन्य जिले से एसटी (अनुसूचित जनजाति) का कूटरचित तरीके से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी में लाभ लेकर सिविल जज के पद पर कार्यरत हैं। याचिकाकर्ता श्री मुकेश श्रीवास के द्वारा एक लिखित शिकायत, पूर्व में प्रिंसिपल रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय जबलपुर, राज्यपाल महोदय भोपाल एवं आयोग को भी समस्त दस्तावेजों के साथ शिकायत कि गई, लेकिन आज दिनांक तक श्री प्रजापति के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कि गई, तब याचिकाकर्ता के द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की उपधारा (6) 1 अंतर्गत द्वारा लोक सेवक श्री रामगोपाल प्रजापति जी के द्वारा प्रथम नियुक्ति के समय विभाग के समक्ष जो भी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज लगाए गए हैं, जैसे अंक सूची, जाति प्रमाण, मूल निवासी प्रणाम पत्र, डिग्री, डिप्लोमा, अन्य समस्त दस्तावेजों कि प्रमाणित छायाप्रति की जानकारी की माँग लोक सूचना अधिकारी रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय जबलपुर से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की उपधारा (6) 1 अन्तर्गत माँग आवेदन के माध्यम से की थी। माँगी गई जानकारी में धाराओं का उल्लेख करते हुए जानकारी प्रदाय नहीं गई। तब याचिकाकर्ता के द्वारा आवेदन की सुनवाई हेतु द्वितीय अपील मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग भोपाल में प्रस्तुत कि गई, जहाँ प्रस्तुत अपील में श्रीमान द्वितीय अपीलीय अधिकारी महोदय के द्वारा आवेदक की बात न सुनते हुए और मुँह देखा व्यवहार करते हुए नियम को ताक में रख कर एक पक्षीय फैसला करते हुए अपील खारिज कर दी गई, जबकि पूर्व में ऐसी ही मांगी जानकारी में राज्य सूचना आयोग में अपीलीय अधिकारी के द्वारा अपील को सुनकर दस्तावेज प्रदाय करने हेतु निर्देशित किया जा चुका है, और आदेश में कहा भी कि किसी भी लोक सवेक के शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज निजी या व्यक्तिगत की श्रेणी में नहीं आते हैं, पर श्री रामगोपाल प्रजापति जी के जज होने के चलते पूर्व में दिये आदेश की एक लोक सेवक के शैक्षिणिक दस्तावेज शासकीय दस्तावेज की श्रेणी में आते और माँग किए जाने में प्रदाय योग्य हैं, पर वही आदेश श्री रामगोपाल प्रजापति के लिये लागू न करते हुए उनके दस्तावेजों को व्यक्तिगत श्रेणी में आते हैं। ऐसा आदेश पारित कर दिया गया, वहीं दूसरी ओर मुकेश श्रीवास के द्वारा जो जानकारी की माँग कि गई हैं, वही पूर्व में जानकारी में सूचना आयोग के द्वारा अन्य केसों को सुनते हुए उन सभी में जानकारी दिलवाई गई है, लेकिन प्रजापति जी के मामले में वही जानकारी को व्यक्तिगत बताते हुए नहीं दिलवाई गई जिसकी सुनवाई व उचित न्याय पाने के लिए एवं उनके साथ माननीय राज्य सूचना आयोग के द्वारा मुँह देखा देखी का आरोप लगाते हुये उस आदेश के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर करते हुए मुकेश श्रीवास जी के द्वारा बतलाया गया कि श्री रामगोपाल प्रजापति जी की मेरे द्वारा एक लिखित शिकायत की है जिसमें मय दस्तावेजों के साथ कूटरचित फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी श्री रामगोपाल प्रजापति जी के द्वारा कि जा रही है जिसकी शिकायत मेरे द्वारा उनके विभाग सहित राज़्यपाल महोदय जी एवं रजिस्ट्रार सर्वोच न्यायालय दिल्ली, छानबीन समिति मध्यप्रदेश भोपाल में भी शिकायत की जा चुकी है, पर आज दिनांक तक कार्यवाही न होने को लेकर और शिकायत एंव जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी गई है जिस पर माननीय चीफ जस्टिस कि बेंच ने सुना और राज्य सुचना आयोग भोपाल को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जबाब की माँग की है उक्त याचिका की पैरवी एडवोकेट गोपाल सिंह बघेल के द्वारा की जा रही है।
इनका कहना है कि…
प्रदेश में बहुत से ऐसे अधिकारी कर्मचारी है जो दूसरे के हक को मार कर शासकीय सेवक बन बैठे है, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नोकरी पाई है और जो गरीब है आज भी गरीब है और अगर शिकायते होती भी है तो केवल खाना पूर्ति की जाती है और पैसों के बल पर जाँच नही हो पाती हैं और केवल कागजों की फाइल में दफन होकर रह जाती हैं अगर निष्पक्षता से जांच हो जाये तो आज सैकड़ो अधिकारी कर्मचारी जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र में नोकरी कर रहे वह सब के सब सालाखों के पीछे होंगे।
मुकेश श्रीवास
संपादक रेवांचल टाईम्स एव समाज सेवी मंडला

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