आज से 27 अगस्त तक चलेगा दस्तक अभियान
मंडला 24 जून 2024
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि 25 जून से 27 अगस्त तक दस्तक अभियान चलेगा, जिसमें बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार, रेफरल सुनिश्चित करने हेतु जिले में प्रतिवर्ष दस्तक अभियान संचालित किया जाता है। अभियान का प्रमुख उद्देश्य बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाना है। दस्तक अभियान का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से किया जाएगा। यह वर्ष में दो बार (अधिकतम 6 माह तथा न्यूनतम 4 माह के अंतराल में) आयोजित किया जाता है। अभियान के प्रथम चरण में 5 वर्ष तक के बच्चों की चिकित्सीय जांच कर बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार, प्रबंधन पर बल दिया जाता है। द्वितीय चरण में विटामिन ए अनुपूरण एवं प्रथम चरण में चिन्हित एनीमिक बच्चों की पुनः जांच की जाती हैं। वर्ष 2024-25 में दस्तक अभियान के प्रथम चरण 25 जून से 27 अगस्त तक किया जाना है। इस दौरान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के मैदानी कार्यकर्ता के संयुक्त दल द्वारा 5 वर्ष तक बच्चों के घर-घर जाकर उनकी चिकित्सीय जांच एवं आवश्यक उपचार, प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न गतिविधियां संचालित की जायेंगी। 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन। समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल। 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों मे एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्राटोकॉल आधारित प्रबंधन। 9 माह से 5 वर्ष के समस्त बच्चों को आयु अनुरूप विटामिन ए अनुपूरण। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता में बढ़ावा एवं प्रत्येक घर में गृह भेंट के दौरान ओआरएस पहुचाना। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल। बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान एवं उनका आरबीएसके कार्यक्रम से संबंद्धीकरण करना। 5 वर्ष तक के आयु वाले बच्चों में श्रवण बाधित एवं दृष्टिदोष की पहचान, पुष्टि कर आरबीएसके कार्यक्रम में पंजीयन कर उपचारित करना। समुदाय में समुचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति संबंधी समझाईश देना। एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग एवं फॉलोअप को प्रोत्साहन तथा गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना।