सीएमएचओ ने आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं देकर संविधान का किया उलंघन

करोड़ों के गबन एवं भ्रष्टाचार के खुलासों से बचाव हेतु जानकारी को छुपाया गया

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रेवांचल टाईम्स – मण्‍ड़ला, आदिवासी बाहुल्य ज़िले में भ्रष्टाचार ग़बन घोटालें चरम सीमा पार कर चुका है जहा पर सूचना अधिकार अधिनियम की धज्जियाँ खुलेआम उड़ाये जा रही है!
वही भारतीय संसद के द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने हेतु एक नया कानून पारित किया गया सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को यह कानून पारित कर केन्‍द्र सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने तथा प्रशासन एवं आमजन के बीच पारदर्शिता लाने हेतु सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को लागू किया गया है।जिसका प्रचार-प्रसार धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ते हुए नजर आते ही उसमें भ्रष्टाचारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी का ग्रहण लगते हुए नजर दिखाई देने लगा है।मण्डला जिला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां नियमावली के विरुद्ध वर्षों से जिले के शासकीय दफ्तरों में बाहर से आये हुए अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा अपनी मनमर्जी से अपना सिक्का जमाए बैठे हुए इस पर कार्यवाही करके जानकारी न देने से बचने के लिए मनगढ़त नियमों के तहत आवेदकों को हलाकान परेशान करने के लिए रास्‍ता तलाश कर निकाल रहे है ज्ञात हो विगत दिनों अधिवक्ता अजीत पटेल द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कीर्ति चन्द्र सरोते से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बजट को लेकर किए गए करोड़ों रुपए के गबन की जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत दिनांक 14/05/2024 को लोक सूचना अधिकारी डॉ कीर्ति चन्द्र सरोते सीएमएचओ मण्डला से आवंटित राशि,आरबीएसके के संचालित वाहनों की व्यय राशि, आरबीएसके द्वारा लगाए गए मासूम बच्चों के इलाज हेतु केम्प तथा उससे संबंधित बिन्‍दुओ पर जानकारी चाही गई थी,परन्तु जिला स्वास्थ्य समिति में बैठे जिला पंचायत
सदस्य, उक्त गबन और भ्रष्टाचार में शामिल अपने बेटे को बचाने के लिए तथा सीएमएचओ एवं आरबीएसके के कार्डिनेटर अर्जुन सिंह द्वारा शासन द्वारा आरबीएसके को प्रदाय किए गए करोड़ों रुपए के बजट का रातों-रात गबन करने एवं आपसी बंटवारा कर भ्रष्टाचार का नया इतिहास रचा गया है।
मामले को लेकर अनेकों दफा किया गया शिकायत
जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना अंतर्गत आवंटित करोड़ों रुपए के वजट का सीएमएचओ,आरबीएसके के जिला कार्डिनेटर अर्जुन सिंह एवं स्वास्थ्य समिति के सदस्य द्वारा मिलकर किए गए गबन एवं भ्रष्टाचार को लेकर स्वास्थ्य विभाग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम अंतर्गत जानकारी चाही गई थी,परन्तु जिम्मेदारों द्वारा जानकारी प्रदान नहीं की गई,क्योंकि भ्रष्टाचारीयों द्वारा यदि जानकारी प्रदान की जाती तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कीर्ति चन्द्र सरोते एवं आरबीएसके के डिस्ट्रिक्ट कार्डिनेटर अर्जुन सिंह द्वारा किए गए अनेकों भ्रष्टाचार एवं गबन के मामले आमजनता के सामने पार्दर्शित हो जाते और जिम्मेदारों द्वारा किए गए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की पोल खुल जाती,इस कारण सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत मांगी गई जानकारी आवेदक को नहीं दी गई।मामले को लेकर आवेदक द्वारा प्रथम अपीलीय अधिकारी क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर
को 29/05/2024 को अपील प्रेषित की गई,परन्तु दोषियों द्वारा अपनी भ्रष्टाचार की करतूतों को छुपाने तथा भ्रष्टाचारीयों द्वारा किए गए गबन पर पर्दा डालने के लिए आवेदक को प्रथम अपील पर सुनवाई के लिए उपस्थिति सूचना पत्र 27/06/24 को ही भेजा गया और आवेदक को 27/06/24 को ही उपस्थित होने के लिए आदेशित किया गया जो कि संवैधानिक नियम के विरुद्ध है।ज्ञात होवे कि इतने जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी को यह ज्ञात नहीं कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत आवेदक को कितने दिनों पूर्व उपस्थिति हेतु सूचना पत्र भेजा जाना चाहिए, परन्तु उनके द्वारा खुलेआम किए गए करोड़ों रुपए के गबन और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने को लेकर यह खेल खेला गया है।सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत मांगी गई जानकारियॉ आवेदक को निर्धारित समय पर प्रदाय किया जाना अनिवार्य है,
प्रथम अपीलीय अधिकारी को भी निर्धारित समय पर जानकारी प्रदान किया जाना चाहिए,परन्तु लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा इस तरह आवेदक से जानकारी का छुपाया जाना स्पष्ट करता है उनके द्वारा किए गए करोड़ों के गबन और भ्रष्टाचार का जिसमें जिला पंचायत सदस्य जो स्वास्थ्य समिति के सदस्य भी हैं अपने बेटे को बचाने के साथ -साथ इस भ्रष्टाचार और गबन में बराबर के हिस्सेदारी रखते हैं।

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