कविता- मै पहचान हूं भारत की। मैं शान हूं भारत माता की

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कविता

मै पहचान हूं भारत की।
मैं शान हूं भारत माता की ।।
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छंद हूं रस हूं सोरठा हूं ।
रामायण की चौपाई हूं।।
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क्यों हिंदी को बोलने में,
अपना अपमान समझते हो ।|
क्यों अंग्रेजी बोल के तुम,
अपना अभिमान समझते हो।।
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अनपढ़ से होकर शुरू मैं,
ज्ञानी तुम्हें बनाती हूं |।
पर अंग्रेजी फल से शुरू हो ,
जानवर तुम्हें बनाती है।।

मैं भारत का केंद्र बिंदु हूं।
मैं हिंदी हूं मैं हिंदू हूं।।

भारत के नस नस में हूं मै।
धरती से अम्बर तक हूं मैं।।

|और भारत के 22 भाषाओं की में रानी हूं ।|
शान से अपनाओ मुझको मैं भारत की निशानी हूं |।।

मैं पहचान हूं भारत की।
मैं शान हूं भारत माता की |।।

रस हूं छंद हूं सोरठा हुं।
रामायण की चौपाई हूं।।
लेखिका नूतन राय
मुंबई, महाराष्ट्र

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