विंध्य शिक्षा समिति कॉलेज मण्डला में मनाया गया गुरूपूर्णिमा महोत्सव रिटायर्ड प्रोफेसर एवं शिक्षकों का किया गया सम्मान…

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रेवांचल टाईम्स – मण्डला, उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन के निर्देषानुसार एवं सरदार पटेल गु्रप के चेयरमेन इंजी. दिवाकर सिंह, महाविद्यालय संचालक वीरेश्वर सिंह के आदेशानुसार विंध्य शिक्षा समिति कॉलेज खैरी, मण्डला में गुरूपूर्णिमा का महोत्सव मनाया गया इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. राजेश चौरसिया पूर्व प्राचार्य आरडी कॉलेज मण्डला, विशिष्ट अतिथि तुलसीदास असाठी प्राचार्य क्रमांक 02 स्कूल मण्डला, अखिलेश चंद्रौल पूर्व प्राचार्य हायर सेकेण्डरी स्कूल सेमरखापा, कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में डॉ. आशीष ज्योतिषी प्राचार्य विंध्य शिक्षा समिति कॉलेज मण्डला उपस्थित रहे। गुरू बिना ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता यदि हमारे जीवन में कोई गुरू नहीं है तो हम सफलता को प्राप्त नहीं कर सकते। गुरूपूर्णिमा के अवसर पर दीप प्र्रज्जवलन के उपरांत कार्यक्रम प्रारंभ हुआ अतिथियों को पौधे देकर स्वागत किया गया, महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा शाल-श्रीफल से अतिथियों का सम्मान किया गया। अतिथियों ने छात्र-छात्राओं को अपने अनुभव बताये इस क्रम में राजेश चौरसिया ने कहा कि सभी छात्र-छात्राओं को ध्यान रखना चाहिये कि यदि आपको अपोर्चनिटी मिलती है तो उसे जाया नहीं करना चाहिये तत्काल ले लेना चाहिये क्योंकि जीवन में अपोर्चनिटी एक बार आती है यदि हमने उसका उपयोग नहीं किया तो पछताना पड़ता है। तुलसीदास असाठी ने छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुये बताया कि गुरू द्वारा दी गई शिक्षा अनंतकाल तक चलती है और व्यक्ति हर समय सीखता रहता है आज छात्र-छात्राओं के लिये चैलेंज का समय है संघर्ष बहुत अधिक है आप सफल तभी होंगे जब आप नकारात्मक सोच से परे रहेंगे संघर्ष के समय में निराशा आती है परन्तु इससे भयभीत नहीं होना चाहिये स्वयं को कभी कम नहीं आंकना चाहिये सतत् प्रयास एवं गुरू के बताये हुये रास्ते पर चलने से सफलता निश्चित तौर पर प्राप्त होती है। मार्गदर्शन के क्रम में अखिलेश चंद्रौल ने कहा कि शिक्षक का पद सबसे सम्मानीय होता है आज के समय में हर एक विद्यार्थी को अपडेट रहना जरूरी है क्योंकि योग्यता सबकुछ नहीं होती आपका आत्मविश्वास सकारात्मक सोच इस प्रतिस्पर्धा के जमाने में सफलता की पूंजी है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. आशीष ज्योतिषी ने कहा कि हमारे पहले गुरू हमारे माता-पिता हैं जिनका सम्मान निहायत जरूरी है इसके बाद गुरू का स्थान आता है जो हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। गुरू का ऋण हम जिंदगी भर नहीं चुका सकते हमे गुरूओं का सम्मान न केवल गुरूपूर्णिमा के ही दिन वरन् हर दिन को गुरूपूर्णिमा का दिन समझकर करना चाहिये। आभार प्रदर्शन करते हुये तनुजा शर्मा ने गुरू की महिमा बताते हुये कहा कि गुरू के ही कारण हमारी संस्कृति, संस्कार आज बचे हुये हैं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति को कुल गुरू का नाम दिया गया है की जानकारी छात्र-छात्राओं को प्रदान की। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। मंच संचालन ललिता पटेल ने किया।

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