शीर्षक -दादा दादी सच ही कहते हैं
रेवांचल टाईम्स – मेरे पास पछताने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था? कैसे मैंने इतनी बड़ी मूर्खता कर दी??
अपनी जिंदगी मैंने खुद ही बर्बाद कर लिया ??
अब कैसे खुद को तसल्ली दे पाऊंगी कि, मैं अपने भाई बहनों जैसी नहीं, जिसे मेरे सौतेले पिता ने बिगाड़ रखा था लाड़ प्यार इतना देते है कि, वो किसी की कुछ नहीं सुनते अपनी दुनियां में मस्त रहते हैं उन्हें कोई डर से कुछ नहीं कहता न बुआ ने ना ही दादा दादी?
कहते भी कैसे वो मेरे सौतेले पिता के अपने बच्चे थे और मैं ,उनकी पत्नी के पहले पति की बेटी थी
उन्हें कोई कुछ नहीं कहता और मुझे सब सुनाते रहते थे।
मेरी मां ने मजबूरी बस इस इंसान से शादी की थी , और ये घरजमाई बनकर मेरे ही घर में रह रहा है?
मम्मी के साथ मिलकर इस घर का खर्चा उठा रहा है इसलिए उन्हें और उनके बच्चों को जो मेरे सौतेले भाई बहन थे उन्हें कोई कुछ नहीं कहता??
सारे लोग उनकी मनमानी बर्दाश्त करते रहते?
मेरी स्थिति नौकरों जैसी थी सुबह से रात तक घर के काम किया करती थी और छोटी छोटी ग़लती पर ताने सुनती रहती थी;
जितना पिता सुनाते उतना ही भाई बहन भी सुनाया करते थे?
कभी कभी सोचती हूं कि, मैं थी ही तो मां ने दूसरी शादी क्यों की??
पर आखिर मां भी क्या करती तीन साल की बच्ची को लेकर अकेले सारा जीवन कैसे काटती??
घर का पूरा माहौल अजीब बना हुआ रहता है जहां मैं शालीनतापूर्वक सारा काम करती वहीं मेरे सौतेले भाई बहन घर को सर पर उठा कर रखते और सारे गलत काम किया करतें थे जो उन्हें नहीं करना चाहिए??
मां कुछ नहीं कहती और सौतेले पिता की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी।
इस कारण सब मुझसे कहते कि, तुम्हे अच्छा करना है अपने भाई बहन जैसा नहीं बनना है, जीवन में कुछ कर दिखाना है,
बुआ और दादी दादी हमेशा मुझसे कहते थे कि, हम सब तुम्हें डाक्टर बने देखना चहते है, हमारे सारे सपने तुमसे ही जुड़े है क्योंकि तुम मेरे बेटे की इकलौती संतान हो ।
दादा दादी और बुआ की बातों का मुझपर पुरा असर होता था उन लोगों का प्यार विश्वास मेरे जीने का सहारा था ।
मां का प्यार मैंने नहीं पाया मगर,सबने भरपाई करने की भरपूर कोशिश की थी।
मैंने भी उसकी उम्मीदों को पूरा करने का भरपूर प्रयास किया
घर का सारा काम करते हुए मैंने पढ़ाई की , आयुर्वेद से मैंने डाक्टरी की पढ़ाई की ,घर के काम की अधिकता के कारण मैं एम बी बी एस नहीं कर पाई , फिर भी मैं संतुष्ट थी क्योंकि ये भी मैंने मुश्किल से हासिल किया था , मेरी सौतेले पिता नहीं चाहती थी की मैं पढ़ाई करु?
बुआ और दादा दादी ने मेरा हौसला टूटने नहीं दिया। ससुराल में रहते हुए भी बुआ हमेशा जरूरत के समय मेरे साथ होती थी।
आज मैं अपने पैरों पर खड़ी भी हूं , आत्मनिर्भर हूं
सबको मुझपर गर्व है
मगर ??
सबके प्यार और विश्वास को मैंने तोड़ दिया
किसी को यकीन करना मुश्किल हो गया की मैं ऐसा कर सकती हूं ?
मैंने सबसे इतनी बड़ी बात छुपा कर रखी थी कि, मैं किसी से प्रेम करती हूं ।
आज जब राकेश ने मुझे धोखा दिया तब सबको पता चला की इतनी बड़ी बात मैं सबसे छुपाती रही वो तो अच्छा हुआ की कि, समय रहते हुए दादा जी ने मुझे जहर खाने से बचा लिया।
दादा जी ने ही राकेश की सच्चाई मेरे सामने लाकर रख दी और मुझे उसके फरेब और धोखे से बाहर निकाला। बुआ ने भी मुझे समझाकर आज के समय की हकीकत से अवगत कराया ।
मैं तो जैसे सपनों की दुनिया में जी रही थी।
राकेश मुझे इंस्टाग्राम पर मिला था शुरूआती चैट के बाद कब हम-दोनों के बीच गहरी बात-चीत होने लगी पता ही नहीं चला वक्त के साथ हमने प्यार का इजहार भी कर लिया।
हम-दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला एक साल तक चला उसने मुझे बताया था कि, वो डाक्टर है ?
मैं भी खुश थी कि मुझे मेरे जैसा लाइफ पार्टनर मिल रहा है।
उसने एक दिन मुझसे कहा कि, अब हमें शादी कर लेनी चाहिए नहीं तो देर हो जाएगी
राकेश ने कहा कि, उसके मम्मी-पापा ने शादी के लिए राकेश का बायोडाटा शादी की वेवसाइट पर डाल दिये है
अगर देरी की तो शादी कहीं और पक्की हो जाएगी?
मैं भी आज के जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हूं फूंक फूंक कर कदम रख रही थी
मैंने वेवसाइट चेक की तो सच में राकेश का प्रोफाइल थी, उसकी फोटो लगी हुई थी उसका बायोडाटा था
मुझे राकेश पर पूरा यकीन हो गया
मैं राकेश से मिलने को तैयार हो गई।
परंतु, इस बार मुझे राकेश पर शक हो गया क्योंकि इससे पहले हम जब भी मिले थे पार्क या रेस्टोरेंट में मिले थे मगर इस बार राकेश मुझे होटल में बुलाया।
मैं राकेश से मिलने होटल चली आई, उसने एक रुम बुक कर रखा था?
मैं हिचकते हुए उसके साथ विश्वास के सहारे रुम चली आई
मुझे राकेश हमेशा विश्वास दिलाता था कि, वो एक अच्छा डॉक्टर है और अच्छा इंसान साथ छोड़ने या धोखा देने का तो सवाल ही नहीं
अपनी अच्छाइयों को उसने इस तरह मेरे सामने रखा था कि, प्यार के साथ मैं राकेश का सम्मान भी करती थी।
होटल के कमरे में पहूंच कर मुझे अनिजी फिल होने लगा , राकेश भी बदला बदला दिख रहा था मुझे दाल में कुछ काला नज़र आनें लगा।
राकेश अपनी बनावटी बातों से मुझे बहलाने और खुश करने में लगा था?
अंततः राकेश ने वहीं करना चाहा जो बंद कमरे में एक पति पत्नी करते हैं??
मैं राकेश के मंशुबे पर पानी फेर दिया
मैंने जल्दबाजी में होटल के रिसेप्शन पर फोन मिला दिया और मजबूती से राकेश से आपने आप को बचाते हुए मैं रुम से बाहर निकल आई
रूम खोलने के साथ ही रूम सर्विस वाला लड़का आ पहुंचा जिस कारण राकेश कोई हरकत नहीं कर पाया।
मैं रोते-रोते घर आई और सीधे अपने कमरे में चली गई
दादा जी समझ गए मेरे साथ कुछ बुरा हुआ है
मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि, मेरे साथ अचानक ये क्या हो गया?
सबकुछ तो अच्छा चल रहा था फिर अचानक???
मैंने बहुत कोशिश की कि, मैं अपने आप को संभाल लूं पर मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रही थी
दादा दादी मेरे चेहरे को देखकर परेशान थे और सौतेले पिता व भाई बहन खुश थे
वो बात बात में ताने जड़ रहे थे
सब समझ रहे थे कि, मेरे साथ कुछ न कुछ बुरा हुआ है।
दादा दादी कुछ नहीं कह रहे थे मगर परेशानी उनके चेहरे पर भी स्पष्ट थी
चंद रोज बीत जाने के बाद मैंने राकेश का प्रोफाइल वेवसाइट पर चेक किया तो वो था ही नहीं??
मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई
मैंने राकेश को फोन किया तो वो भी आउट आफ कवरेज आ रहा था मैं समझ गई की राकेश मेरा इस्तेमाल कर रहा था उसे मुझसे प्यार नहीं थी सिर्फ मेरी देह को हासिल करना चाहता था
मैं इतने बड़े धोखे को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी
फिर भी मैंने खुद को खत्म करने का फैसला किया
मगर मेरे अनुभवी दादा दादी ने मुझे संभाल लिया। बुआ ने आकर मुझे अपनी बेटी की तरह संभाला।
मेरी सौतेले पिता और बाकी लोग खुश थे कि, मैं भी उनके बच्चों जैसी ही नालायक निकली??
शायद मैं सही में नालायक हूं??
इतना पढ़ाई करनें के बाद और इतना समझदार होने के बाद भी मैं
मैं धोखे का शिकार हो गई
बाद में दादा जी ने पता लगाकर बताया की वो कोई डाक्टर नहीं था प्राइवेट अस्पताल में कम्पाउन्डर था
इतना बड़ा धोखा??
मैं समझ रही थी राकेश औरों जैसा नहीं??
खैर
मेरी नासमझी के कारण मैं धोखे का शिकार हो गई
फिर भी मुझे विश्वास है बुआ और दादा दादी दोनों मिलकर मुझे संभाल ही लेंगे, जिंदगी मैं सोशल मीडिया तो क्या हकीकत में भी किसी पर विश्वास नहीं करुंगी।
दादा दादी सच ही कहते हैं “जो लड़का सच्चा और संस्कारी होगा वो परिवार को साथ लेकर किसी लड़की से रिश्ता जोड़ेगा, पहले उसे मंगेतर और फिर उसे अपनी पत्नी बनायेगा।”
एक बार तो मैंने उनकी बात नहीं मानी पर दुबारा ऐसी ग़लती नहीं करूंगी
मैं भी अब ऐसे ही किसी इंसान का इंतजार करुंगी।
लेखिका -सुनीता कुमारी
पूर्णियां बिहार