आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त का अटैचमेंट प्रेम, शिक्षा विभाग में जारी हो रहे मनपसंद के आदेश बच्चों के भविष्य से गुणा-भाग कर रहे ए सी साहब

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, मै आ गया हूँ अब किसी से डरने की आवश्कता नही केवल में जो कहु वह करो जो होगा में संभाल लूंगा और मामा भांजे की जोड़ी शिक्षकों पर ढा रही है कहर, न कलेक्टर को पता न जिला पंचायत वालों को और गणित के मासाब भैंसवाही से उठाकर घुघरी में अटैच कर दिए गए। अब भैंसवाही के बच्चों को गणित पढ़ाने वाला कोई नहीं है अौर घुघरी स्कूल के बच्चों को गणित के दो-दो शिक्षण दे दिए गए। धड़ाधड़ जारी हो रहे अटैचमेंट आदेश से शिक्षा विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है। इसके पीछे आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला का अटैचमेंट प्रेम बताया जाता रहा है। बताया जाता है कि मंडला जिले के सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला इन नियमों को अवसर के रूप में बनाते हुए नवनियुक्त प्राथमिक /माध्यमिक /उच्च मा. शिक्षकों के ट्रांसफर “पहले आओ पहले पाओ, अधिक कीमत लगाओ अपने पसंद की पोस्टिंग का आर्डर लेकर जाओ’ पर लगे हुए हैं। वर्ष 2022-23 में नव नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों की पदस्थापना जिस स्थान पर हुई थी, आज उनमें से अिधकांश शिक्षक 50 हजार से 1 लाख खर्च कर मनचाहे स्थान पर पोस्टिंग लिकर कार्य कर रहे हैं

शासन का अटैचमेंट प्रतिबंध बेअसर मंडला में सब है संभव

एक ओर जहाँ शासन ने अटैचमेंट पर प्रतिबंध लगाया हुआ है तो वहीं दूसरी ओर मंडला जिले में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग संतोष शुक्ला धड़धड़ अपने कार्यालय से आदेश जारी कर रहे हैं, जिससे जिले की शैक्षणिक व्यवस्था डगमगाने लगी है। मंडला के घुघरी विकासखंड अंतर्गत भैंसवाही स्कूल से गणित शिक्षक को शैक्षणिक कार्य के नाम पर कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल घुघरी में अटैच किया गया है, जबकि घुघरी विद्यालय में पूर्व से ही गणित शिक्षक पदस्थ हैं। इस स्थिति में कक्षा छठवीं सातवीं और आठवीं कक्षाओं में गणित पढ़ाने वाला कोई नहीं है।

मवई से लेकर घुघरी ब्लाक में कई अटैचमेंट

जानकारी के अनुसार पूरे दूर अँचलों में पदस्थ शिक्षक अब सहायक आयुक्त कार्यालय में चढ़ावा चढ़ा कर अपने पसंद की जगह पहुँच रहे है, अधिकांश स्कूल अतिथियों के भरोसे चल रहे है और घुघरी ब्लाक में ढेर सारे अटैचमेंट किए गये हैं। मजेदार बात यह है कि इस संलग्नीकरण की सूचना न तो कलेक्टर को और न ही जिला पंचायत को दी गई है। सारा खेल सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला और उनके मातहत व्यक्तिगत जागीर समझकर खेल रहे हैं।

ट्रांसफर आर्डर पर सिग्नेचर करने आते हैं शुक्ला जी – तेकाम

वही जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष भी इनके आगे बोने नज़र आ रहे है, जिला पंचायत उपाध्यक्ष कमलेश तेकाम का कहना है कि शुक्ला जी मंडला रात के समय आते हैं और आठ दस ट्रांसफर आर्डर पर सिग्नेचर कर सुबह वापिस डिंडोरी चले जाते हैं। उल्लेखनीय है कि श्री शुक्ला डिंडोरी में पदस्थ हैं और मंडला में प्रभारी हैं। जिला पंचायत उपाध्यक्ष तेकाम ने बताया कि पिछली शिक्षा समिति की बैठक में भी वो नहीं आए थे। श्री तेकाम ने आगे जानकारी दी है कि वे कलेक्टर और प्रदेश सरकार से आयुक्त कार्यालय की गड़बड़ी के संबंध में बात करेंगे।

कागजों तक सिमटे नियम कायदे…

एक तरफ जहां शासन की मंशा है की परीक्षा अवधि में किसी भी नवनियुक्त शिक्षक को 3 वर्ष तक ना ही स्थानांतरित किया जाएगा ना ही उसकी पदस्थापना स्थल से अलग कहीं अटैक किया जाएगा किंतु लगता है यह नियम केवल कागजों तक ही सीमित है।

इनके अटैचमेंट पर सवाल…

जबरिया तरीके से किए गये कुछ अटैचमेंट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इनमें से चमन पटेल मवई से बिछिया, अनुश्री पटेल मवई से देवरी, धर्मेंद्र ठाकुर मवई से देवरी, अमितेश पटेल घुघरी से बिछिया के अटैचमेंट सवालों के घेरे में हैं।
पर ये देखने वाला आदिवासी बाहुल्य जिले में कौन हैं, क्योंकि इनके आगे सब मौन धारण कर लेते है और जनप्रतिनिधि तो इनके आगे पीछे घूमते है और इनका साफ कहना है में हूँ किसी से डरने की आवश्कता नही है में हूँ देख लूंगा….
एक तरफ तो शिक्षकों को अतिशेष बताते हुए डराया जाता है तो दूसरी तरफ एक ही विद्यालय में लगातार एक ही विषय के धड़ाधड़ एक, दो और तीन शिक्षकों की प्रतिस्थापना पैसे लेकर कर दी जाती है
मामला कन्या हायर सेकंडरी विद्यालय अंजनिया का जहां पर उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग में शिक्षक मुकेश पटेल के द्वारा उच्च पद प्रभार लेने के लिए मना कर दिया जाता है।
वही जानकारी के अनुसार विद्यालय में हिंदी शिक्षक के तौर पर रामनारायण पटेल का ट्रांसफर मांगा से कन्या अंजनिया किया जाता है एवं बाद में शुक्ला जी की “इस हाथ दो उस हाथ लो” की पॉलिसी के माध्यम से मुकेश पटेल जी को उच्च पद प्रभार इस विद्यालय में दे दिया जाता है इस तरीके से इसी विद्यालय में हिंदी विषय के दो शिक्षक की पदस्थापना की जाती है ताकि भविष्य में एक शिक्षक को अतिशेष दिखाते हुए पुनः उससे वसूली की जा सके।

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