ग्राम पंचायत बटौंधा: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा रोजगार सहायक, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
डिंडोरी
डिंडोरी जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की ग्राम पंचायत बटौंधा में रोजगार सहायक मुकेश झरिया पर सरकारी धन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लग रहे हैं। ग्रामीणों ने लंबे समय से इस मामले में प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन कार्रवाई के अभाव में आरोपों का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि मुकेश झरिया ने प्रधानमंत्री आवास योजना समेत कई सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार किया है। यह भी आरोप है कि झरिया फर्जी मास्टर रोल बनाकर मजदूरी के नाम पर राशि आहरित कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को नहीं मिल रहा है और रोजगार सहायक की मनमानी के चलते विकास कार्य बाधित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितताएं
ग्रामीणों के अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई आवास अधूरे हैं, लेकिन उन्हें पूर्ण दिखाकर सरकारी धन निकाल लिया गया है।
- लोंदाझिर गांव: हितग्राही मिहीलाल के नाम पर आवास स्वीकृत हुआ, लेकिन निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ। इसके बावजूद मजदूरी के लिए ₹15,234 का भुगतान फर्जी मास्टर रोल के जरिए किया गया।
- बंजारी गांव: शुक्ला बैगा के नाम पर दो किस्तें जारी की गईं, लेकिन आवास आज भी अधूरा है।
- बटौंधा पंचायत: मोतीलाल बलद के आवास को पूर्ण दिखाकर ₹1,30,000 का भुगतान किया गया, जबकि निर्माण कार्य अधूरा है।
फर्जी समग्र आईडी से योजनाओं का लाभ
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रोजगार सहायक ने अपने और अपने परिवार के नाम पर अलग-अलग फर्जी समग्र आईडी बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया।
- समग्र आईडी क्रमांक 35992129, 28016943 और 28080525 में उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम शामिल थे।
- ग्रामीणों ने बताया कि 2021 में शिकायत के बाद पोर्टल से इन आईडी को हटाया गया, लेकिन तब तक लाखों का सरकारी धन हड़प लिया गया था।
प्रशासन की उदासीनता
ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले दो वर्षों से जिला प्रशासन और जनपद सीईओ तक शिकायत कर चुके हैं। बावजूद इसके, रोजगार सहायक के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारी
रेवांचल टाइम्स के ब्यूरो चीफ प्रमोद पड़वार ने जब रोजगार सहायक के खिलाफ जांच रिपोर्ट मांगी, तो उन्हें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। अंततः सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी गई है। अब देखना यह है कि क्या रोजगार सहायक के काले कारनामों पर कोई कार्रवाई होगी।
ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि रोजगार सहायक के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच कर उन्हें न्याय दिलाया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए ग्रामीण पूछ रहे हैं कि आखिर भ्रष्टाचार पर कब लगेगी लगाम?