14 वर्षीय बच्ची की मौत: जबलपुर के अस्पताल प्रबंधन पर परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
14 वर्षीय बच्ची की मौत: जबलपुर के अस्पताल प्रबंधन पर परिजनों ने लगाए गंभीर आरोपYe
जबलपुर। शहर के एक निजी अस्पताल में 14 वर्षीय तृषा गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने चिकित्सा प्रणाली की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पान उमरिया निवासी तृषा, जो एक स्कूटी दुर्घटना के बाद जबड़े की चोट के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थी, की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और चिकित्सा त्रुटि के आरोप लगाए हैं।
दुर्घटना से ऑपरेशन तक की कहानी
16 दिसंबर को, जबड़े की चोट के कारण तृषा को जबलपुर के इस प्रतिष्ठित अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने परिवार को बताया कि जबड़े के इलाज के लिए ऑपरेशन आवश्यक है। परिजन डॉक्टरों के परामर्श से सहमत हुए और सभी जरूरी मेडिकल परीक्षणों के बाद तृषा को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया।
करीब तीन घंटे बाद डॉक्टरों ने परिजनों को सूचित किया कि तृषा की सांसें रुक गई हैं। इस खबर से परिवार में मातम छा गया और अस्पताल परिसर में तनाव का माहौल पैदा हो गया।
*परिजनों का आरोप: ‘जरूरत से ज्यादा एनेस्थीसिया दिया गया’*
तृषा के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्ची को जरूरत से ज्यादा एनेस्थीसिया दिया, जिसके कारण उसकी जान चली गई। परिजन यह भी दावा कर रहे हैं कि अस्पताल ने किसी विशेषज्ञ एनेस्थेटिस्ट की निगरानी में प्रक्रिया नहीं करवाई।
*पुलिस ने संभाली स्थिति*
अस्पताल परिसर में हुए हंगामे के बाद ओमती थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को काबू में किया। पुलिस ने परिजनों की शिकायत दर्ज कर ली है और मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, ताकि मौत के असली कारण का पता लगाया जा सके।
अस्पताल प्रबंधन पर उठे सवाल
घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। परिजनों और अन्य मरीजों के रिश्तेदारों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल
इस घटना ने निजी अस्पतालों में चिकित्सा प्रक्रियाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। क्या अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और उचित प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है? क्या मरीजों और उनके परिवारों को उचित जानकारी दी जाती है?
शहर में आक्रोश
तृषा की मौत ने स्थानीय लोगों में गुस्सा और असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया है। पान उमरिया लौटे परिजन अब न्याय की मांग कर रहे हैं।
यह घटना एक बार फिर निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।