लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: सोलर ऊर्जा सेल के नोडल अधिकारी और ठेकेदार रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े

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जबलपुर। लोकायुक्त पुलिस की टीम ने एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर एक मिसाल कायम की है। मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, रामपुर मुख्यालय स्थित सोलर ऊर्जा सेल में नोडल अधिकारी हिमांशु अग्रवाल और एक निजी ठेकेदार हिमांशु यादव को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। यह राशि एक सोलर कंपनी के लाइसेंस रिन्यूअल के बदले मांगी गई थी।

शिकायत और सत्यापन प्रक्रिया

कंचनपुर अधारताल निवासी और रोशनी सोलर कंसलटेंसी के जनरल मैनेजर विष्णु सिंह ने इस मामले की शिकायत लोकायुक्त टीम से की थी। उन्होंने बताया कि कंपनी का लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए हिमांशु अग्रवाल ने पहले 40 हजार रुपए की मांग की थी। जब शिकायतकर्ता ने इस राशि को लेकर आपत्ति जताई, तो 18 दिसंबर को इसे घटाकर 30 हजार रुपए कर दिया गया।

शिकायत की पुष्टि के लिए लोकायुक्त टीम ने ऑडियो रिकॉर्डिंग और अन्य तकनीकी सबूत जुटाए। जब यह तय हो गया कि रिश्वत की मांग वाकई की जा रही है, तो शुक्रवार को टीम ने रामपुर स्थित शक्तिभवन कार्यालय में ट्रैप लगाकर आरोपी को पकड़ने का फैसला किया।

कार्रवाई का संचालन

शुक्रवार शाम, लोकायुक्त एसपी संजय साहू के निर्देशन में डीएसपी सुरेखा परमार और उनकी टीम ने सटीक योजना के तहत कार्रवाई को अंजाम दिया। नोडल अधिकारी हिमांशु अग्रवाल और निजी ठेकेदार हिमांशु यादव को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। टीम में निरीक्षक भूपेंद्र दीवान, कमल सिंह उइके और अन्य अधिकारी शामिल थे।

लोकायुक्त टीम की सराहनीय भूमिका

लोकायुक्त की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई में एक और बड़ी सफलता है। टीम ने बेहद कुशलता और सतर्कता से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। न केवल शिकायतकर्ता की बात को गंभीरता से लिया गया, बल्कि सटीक जांच और साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपियों को पकड़ा गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि लोकायुक्त विभाग प्रदेश में पारदर्शिता और ईमानदारी को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश

यह घटना न केवल सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार की परतें खोलती है, बल्कि लोकायुक्त की तत्परता को भी दर्शाती है। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है, जो अपने पद का दुरुपयोग कर रिश्वतखोरी को बढ़ावा देते हैं।

 

लोकायुक्त टीम की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यदि आम नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाए, तो उसे न्याय जरूर मिलेगा। हिमांशु अग्रवाल और उनके सहयोगी की गिरफ्तारी से विभागीय ईमानदारी की उम्मीद को बल मिला है। इस तरह की कार्रवाइयां यह सुनिश्चित करती हैं कि सरकारी प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वास कायम रहे।

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