बैगांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में क्रिकेट की बढ़ रही दीवानगी बैगांचल में भी बच्चो का पसंदीदा खेल बन रहा क्रिकेट

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संडे स्टोरी :आनंद साहू

दैनिक रेवांचल टाइम्स बजाग – वैसे तो क्रिकेट हमारे देश का राष्ट्रीय खेल नहीं है।फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में इस खेल के प्रति दीवानगी इस कदर है कि आदिवासी बाहुल्य बैगांचल क्षेत्र के बच्चों का ध्यान धीरे धीरे अपने पारंपरिक खेलो से दूर होता जा रहा है ज्यादातर बच्चे इसी खेल में अपनी रुचि दिखा रहे है ऐसा नहीं है कि बच्चे सिर्फ क्रिकेट ही खेलते हो।समय और मौसम के बदलाव के साथ दूसरे खेलो का चयन कर उन्हें भी खेलते है वनग्रामों के खिलाड़ी बच्चे पहले कभी ज्यादातर खोखो, कब्बड्डी ,बाली बाल, आदि खेल खेलते रहे है परंतु आज के परिवेश में क्रिकेट उनका पसंदीदा खेल बनता जा रहा है।बच्चो में क्रिकेट के प्रति ऐसा जूनून सवार है कि संसाधन के अभाव में भी लकड़ी का बेट भी खुद से बनाकर,झाड़ियों की की टहनी से तीन स्टंप तैयार करके ,गेंद चाहे कोई भी हो और मैदान भले ही ऊबड़ खाबड़ हो तथा उसमें लगी खरपतवार को छीलकर बच्चे टोली बनाकर क्रिकेट खेलने में मस्त हो जाते है। रन बनाने की कवायद ऐसी कि बच्चे पिच पर नंगे पैर ही दौड़ लगा रहे होते है हर बच्चे में विराट बनने की चाहत झलकती नजर आती है बैगांचल के ग्रामीण कस्बो में इस तरह बच्चों को क्रिकेट खेलते देखकर आपका मन भी लगान फिल्म का दृश्य याद करने पर मजबूर कर देगा।वही बच्चों को क्रिकेट का अभ्यास करते देख गांव के लोग भी मैदान के आसपास इकट्ठा हो जाते है और मनोरंजन के साथ साथ खिलाड़ी बच्चो का हौसला अफजाई करने में लगे रहते है गांव हो या देहात इस समय हर जगह खेल के नाम पर नए उम्र के बच्चों में क्रिकेट की दीवानगी सिर चढ़कर बोल रही है ऐसा ही नजारा थाडपथरा वनग्राम में सड़क किनारे हरी भरी वनों की वादियों के बीच देखने को मिला ।जहा गांव के स्कूली बच्चे तन मन लगाकर पूरे उत्साह के साथ क्रिकेट खेलने में मस्त थे और शीत कालीन अवकाश का पूरा लुत्फ उठा रहे थे।बच्चो ने बताया कि क्रिकेट खेलना उन्हें इस सीजन में ज्यादा अच्छा लगता है बाकी समय अन्य पारंपरिक खेल भी खेलते है।

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