फाईलो में कैद हो कर रह गया आमाडोंगरी में “कागजों में पुलिया निर्माण” का मामला

जांच में लीपापोती के बाद मामले का पटाक्षेप करने का किया जा रहा प्रयास :सूत्र

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उपयंत्री और सहायक यंत्री से गठ जोड़ कर किया गया था फर्जीवाडा
आमा डोंगरी का मामला

दैनिक रेवांचल टाइम्स – जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत आमाडोंगरी के सरपंच सचिव ने जनपद के उपयंत्री और सहायक यंत्री की मदद से कागजों में मनरेगा मद से पुलिया निर्माण का कार्य दिखाकर लाखो रुपए की भारी भरकम राशि निकाल ली और जिस स्थान पर पुलिया निर्माण कार्य दर्शाया गया है वहा कई सालो से कोई निर्माण हुआ ही नहीं है इस मामले के उजागर होने के बाद जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था जिनके ऊपर जांच की जिम्मेदारी सौपी गई थी उन्हें तय समय पर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था बताया गया है कि देर सवेर जांच करने के बाद जांच दल ने जनपद में प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया है लेकिन अभी तक इसका खुलासा नहीं किया गया है परंतु सूत्रों की माने तो कागजों में पुलिया निर्माण की जांच करने गई टीम को ग्राम पंचायत ने गुमराह करते हुए किसी दूसरे स्थान पर निर्माण की गई पुलिया को दिखाकर शमशान घाट में पुलिया निर्माण होना बताया है। जांच करने गए गए दल ने भी सत्यता का सही पता नही लगाया एवं बिना निर्माण के राशि आहरण करने वालो को बचाने हेतु जांच के नाम पर खानापूर्ति करते नजर आ रहे है बताया गया है की जांच दल ने पंचायत द्वारा बताए गए दो अलग अलग स्थान पर पुलिया निर्माण की जांच की परंतु एक स्थान पर करीबन एक साल पहले ही पुलिया का निर्माण हो चुका है और उसका भुगतान भी हो चुका है दूसरे स्थान पर तालाब के पास के नाम से स्वीकृत पुलिया का निर्माण पंचायत द्वारा इसी वित्तीय वर्ष में कराया गया है जो कि मुक्तिधाम में कागजों में पुलिया निर्माण वाले स्थान से लगभग सात सौ मीटर की दूरी पर स्थित है अब उसी नवनिर्मित जर्जर पुलिया को मुक्तिधाम में पुलिया निर्माण दिखाकर मामले का पटाक्षेप करने का प्रयास किया जा रहा है जनपद के अधिकारी भी इस मामले पर सही जानकारी देने से बचते नजर आ रहे है
हैरानी की बात यह है की फर्जीवाड़े की जांच करने के लिए जनपद के तकनीकी अमले को ही शामिल किया गया था जांच समिति में जनपद के सहायक यंत्री,उपयंत्री, एपीओ, और पीसीओ को शामिल किया गया है एपीओ जिन्होंने कागजों में पुलिया निर्माण का स्वयं बिल लगाकर भुगतान करवाया है और जांच दल में उन्हें भी शामिल किया गया है इस पूरे मामले में जनपद के सहायक यंत्री और उपयंत्री की भूमिका सवालों के घेरे में है जवाबदारी भी उन्हे सौपी गई है जिनसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। गौरतलब है की बीते दिनों आमाडोंगरी के
ग्रामीणों ने सरपंच सचिव और जनपद के तकनीकी अधिकारियों पर मिली भगत कर राशि हड़पने का आरोप लगाया था और जांच की मांग थी है ग्राम पंचायत के अंतर्गत मनरेगा के भुगतान पोर्टल में पुलिया निर्माण कार्य मुक्ति धाम के पास होना दर्शाया गया है और इस कार्य में खर्च की गई राशि का भुगतान लगभग आठ लाख रुपए होना दिखाया गया है जबकि हकीकत में मुक्ति धाम के पास कोई भी पुलिया का निर्माण नही किया गया है और ग्राम पंचायत ने उपयंत्री और सहायक यंत्री की मदद से मनगढ़ंत बिल लगाकर भुगतान भी करा लिया गया था मनरेगा के भुगतान पोर्टल में सोनी कांस्ट्रेक्सन और अन्य फर्मों के नाम से दो जुलाई 2024 को भुगतान होना दिखाया गया है
वही स्थानीय ग्रामीणों ने बताया था कि ग्राम में सिर्फ एक ही मुक्ति धाम है जिसके आसपास कोई भी पुलिया निर्माण कार्य नहीं हुआ है ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत द्वारा कराए गए इस फर्जी निर्माण के जांच की मांग की थी जो अब तक नही हो पाई है सूत्रों की माने तो अब ग्राम पंचायत के जिम्मेदार किसी दूसरे स्थान पर पुलिया का निर्माण होना बता रहा है और जिस स्थान का नाम बता रहे है उस निर्माण कार्य का भुगतान पहले ही हो चुका है अब देखना यह यह की जांच प्रतिवेदन के आधार पर फर्जीवाड़ा करने वालो पर जिम्मेदारी तय होती है या फिर उन्हे क्लीन चिट देकर बख्श दिया जाएगा।

इनका कहना है…
जांच प्रतिवेदन कल ही प्राप्त हुआ है अध्यन करने के बाद ही बता पाऊंगा।
एमएल धुर्वे
सी ई ओ जनपद बजाग

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