बिना अनुमति के धड़ल्ले से हो रही है कृषि भूमि प्लाटिंग, कमीशन के खेल मे जमीन के रेट पहुंचे सातवें आसमान
रेवांचल टाईम्स – मण्डला जिले में इन दिनों जहा देखो वहाँ पर आज हर कोई कॉलोनाइजर बन बैठा है न सड़क न नाली, और ही कोई सुविधाएं फिर भी धड़ा धड़ा प्लाट काट रहे है और तो ओर न ही ग्राम पंचायत की अनुमति और न ही ग्राम नगर निवेश की अनुमति फिर भी कामर्शियल कार्य करते हुए कृषि भूमि में प्लाटिंग कार्य जोरो पर है। जिम्मेदारो की अनदेखी के चलते राजस्व को करोड़ो का चूना लगा रहे या अबैध कॉलोनाइजर इनके पास कोई लाईसेंस तक नही है फिर भी गांव गांव में प्लाटिंग कर रहे है और तो और रेरा ग्रीन ट्रिमनल के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, आज जिस तरह से अबैध प्लाटिंग का कारोबार तेजी बढ़ रहा है वह दिन दूर नही जब लोगो को खड़े होने तक के लिए जगह नसीब होगी क्योंकि ये बिना लाइसेंसी कॉलोनाइजर कोई भी जगह नही छोड़ रहे है, नगर एवं आसपास के क्षेत्रों में खेत खरीद कर प्लॉट बेचने की परंपरा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। राजस्व विभाग एवं स्थानीय निकायों की मिलीभगत से लगातार अवैध कालोनी बनाने का गोरखधंधा जोरों पर है। इन कालोनियों की अनुमति नगर निवेश, नगरपालिका, राजस्व विभाग से कैसे मिल जाती है ये बात समझ से परे है। इनमें सड़क, बिजली, पानी एवं खेल मैदान जैसी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जाता है। ग्राहक लुभावने दाम के चलते प्लॉट खरीद लेते हैं बाद में दर दर की ठोकरें खाते फिरते हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कालोनियों का निर्माण दलालों के माध्यम से किया जाता है। दलालों के सक्रिय होने से इस आदिवासी बाहुल्य जिले में भी जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हैं। भूमाफियाओं की नजर शहर से सटी कृषि भूमि पर लगी रहती है मौका देखते ही ओने पौने दाम पर भूमि क्रय कर ली जाती है फिर शासकीय और कानूनी लीपापोती करके गेट, सड़क, नाली आदि निर्माण करके प्लॉट बेचने का कार्य चालू कर दिया जाता है। आकर्षक दामों के चलते आम नागरिक चंगुल में फस जाते हैं और बाद में स्थानीय निकायों एवं कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते फिरते हैं।
वही सूत्रों की माने तो ऐसे ही भू माफिया हाल में शहर के महाराजपुर, कटरा, बिंझिया हाईवे के किनारे के खेतों में जम कर की जा रही प्लाटिंग डिंडोरी रोड, पुरवा, सकवाह, में तेजी से सक्रिय हुए हैं। इन इलाकों में धड़ल्ले से कालोनियों का निर्माण किया जा रहा है। जिनका कोई माप दण्ड नही रहता। प्लाट बेचते समय हितग्राहियों को लुभाने वाली बात कह कर प्लाट बेच दिये जाते हैं। बेचने के बाद फिर ध्यान नही दिया जाता जिस कारण खरीददार मकान बनाने के बाद परेशान होता रहता है। जिसका उदाहरण आज बहुत सी कालोनियों मे देखा जा सकता है। जानकारी अनुसार कुछ कथित कालोनाइजर द्वारा रेलवे स्टेशन के सामने कालोनी काटकर बेचने का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है, क्या ऐसी कालोनी वैध मानी जा सकती है? जिसका खुलासा जांच होने के बाद भी हो सकता है क्योंकि आज धन लक्ष्मी के चक्कर मे सब कुछ जायज कहा जा रहा है।
वही जरूरत है जिला प्रशासन को ध्यान देने की अन्यथा शासन के राजस्व को हानि तो होगी ही साथ में पूरे नगर मे इस घोरखधंधे का मकड़जाल फैल जायेगा, और कालोनी वासियों को मजबूरी बस शिकवा शिकायत आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। जिससे जिला प्रशासन को इनकी जांच में ही व्यस्त रहना पड़ सकता है।
वही इन कॉलोनाइजर से प्लॉट लेने वाले आज बहुत परेशान नज़र आ रहे है और कॉलोनाइजर प्लाटिंग कर आगे बढ़ गया है आज भी बहुत सी कालोनी ऐसी है जहाँ पर न सड़क है और न ही बिजली और न ही नाली पर सामने दिखा कर लोगो के जेब मे डाका डाल लूट लिया गया अब लोग इन कॉलोनाइजर की शिकायत कर रहें है।