नामांतरण करवाना हो तो कलेक्टर का बाप बन जाता है पटवारी ….- मुख्यमंत्री

पटवारीयो के दो संगठनों ने जताया विरोध मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखा पत्र तहसील न्यायालय से नहीं होते समय पर आदेश और पटवारी बदनाम..

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रेवांचल टाईम्स – राजगढ़ /सिवनी – रविवार को राजगढ़ में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि किसी कारण से जमीन खरीदना और बेचना हो तो और नामांतरण करवाना पडे तो बड़ा कठिन था पटवारी के चक्कर दे चक्कर पटवारी कलेक्टर का बाप बन जाता है हाथ नहीं आता ऐसी की तैसी कलेक्टर की इस व्यवस्था की हमने संशोधन कर दिया अब आप जैसे ही जमीन की रजिस्ट्री करवाओगे साइबर तहसील के माध्यम से नामांतरण अपने आप हो जाएगा पटवारी का रोल ही खत्म करने का प्रयास किया और वही इस भाषण के समय कार्यकर्ताओं में मौजूद लोग सीएम को देखने लगे बाद में उन्होंने बात संभाली परंतु मुख्यमंत्री के द्वारा अशोभनीय शब्दों का भाषण में उपयोग करने पर पटवारी संघ के दो संगठनों ने पत्र लिखकर विरोध जताया है और बयान का खंडन करने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखा है। राजगढ़ में मुख्यमंत्री के द्वारा दिए भाषण पर मध्य प्रदेश कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहन साहू और प्रांतीय पटवारी संघ के अध्यक्ष अश्विन कुमार सैनी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा राजगढ़ जिला में चुनावी सभा के दौरान मध्य प्रदेश शासन के जिम्मेदार और संवेदनशील संवर्ग के कर्मचारी पटवारी संवर्ग के संबंध में उक्त दिए गए बयान से प्रदेश के पटवारी शंभर की भावनाएं आहत होने की बात पत्र में लिखी गई है वहीं दूसरे संगठन के द्वारा या लिखा गया है कि प्रदेश के मुखिया को राज्य शासन द्वारा निर्मित प्रावधानों का ज्ञान नहीं है पटवारी संवर्ग मानता है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा बनाए गए नियम प्रक्रिया से अवगत होने के उपरांत भी पटवारी संवर्ग पर तथ्यहीन दोष रोपण किया है जिससे पूरे संवर्ग में असंतोष की बात पत्र में लिखी गई है। वही हमेशा ही नामांतरण और न्यायालयीन प्रकरणों में लापरवाही का जिम्मेदार पटवारी को ही ठहराया जाता है जबकि नामांतरण का अधिकार तहसीलदार को है सिवनी जिले की बात की जाए तो सिवनी जिले की अधिकांश तहसीलों में पटवारी प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के बावजूद तहसील न्यायालय से प्रकरणों का निराकरण नहीं किया जाता पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा राजस्व महा अभियान और संकल्प यात्रा के दौरान प्राप्त आवेदनों का तहसील न्यायालयों में प्रकरण तो दर्ज कर लिया गया और पटवारी प्रतिवेदन भी लगता लिए गए परंतु शत प्रतिशत प्रकरणों का निराकरण अभी तक नहीं किया गया है नामांतरण बटवारा और अन्य प्रकरणों के आवेदन मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के तहत संकल्प यात्रा और राजस्व महा अभियान में आवेदन बड़ी संख्या में शासन को दिखाने के लिए न्यायालय में दर्ज कर दिए गए प्रतिवेदन भी समय सीमा में ही पटवारी के द्वारा जमा कर दिए गए हैं इसके बावजूद नायब तहसीलदार, और तहसीलदार न्यायालय में प्रकरण अभी भी लंबित है आखिर क्या कारण है की शिवरों से प्राप्त आवेदनों पर भी निराकरण तहसीलदारों के द्वारा नहीं किया जा रहे हैं और बदनाम पटवारी को किया जा रहा है नामांतरण बटवारा और अन्य प्रकरणों का निराकरण तहसील न्यायालय से किया जाता है ना कि पटवारीयो के द्धारा पटवारी का काम केवल न्यायालय प्रकरणों में रिपोर्ट लगाने का है अब इसकी जिम्मेदारी तहसील लेवल के अधिकारियों की है कि समय सीमा पर रिपोर्ट पटवारी द्वारा लगा दी जाए। और नामांतरण पर आदेश करने का अधिकार तहसीलदारों का है प्रकरण की कार्रवाई पूर्ण होने के बावजूद तहसील न्यायालयों से आदेश जारी नहीं किए जाते और नामांतरण करने नहीं करने का जिम्मेदार पटवारी को ठहराया जा रहा है जो जो पूर्णता गलत है,,,,।

” पटवारी की भूमिका है ही नही नामांतरण तहसीलदार करता हैं l ”
उपेंद्र सिंह बाघेल-प्रदेश अध्यक्ष म.प्र.पटवारी संघ भोपाल

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