धनगर समाज ने उपेक्षा को लेकर उठाई हक की आवाज…प्रदेश के 55 जिलों में भाजपा जिलाध्यक्ष व विधायकों को ज्ञापन सौपे

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राष्ट्रीय अध्यक्ष से हस्तक्षेप की मांग की

रेवांचल टाईम्स – भोपाल मध्य प्रदेश में धनगर जाति एवं उसकी उपजातियों की राजनीतिक दलों के द्वारा हो रही उपेक्षा को लेकर समाज ने विमुक्त घुमंतू एवं अर्ध घुमंतु जनजाति महासंघ के बैनर तले प्रदेशभर के भाजपा जिलाध्यक्ष व स्थानीय स्तर पर विधायकों को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम ज्ञापन सौपे हैं। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष से हस्तक्षेप की मांग कर समाज को उचित दायित्व सौपने का आग्रह किया है। प्रदेश के 55 जिलों में जिला मुख्यालय पर संगठन के जिलाध्यक्ष व अन्य पदाधिकरियों के प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन में बताया कि मध्य प्रदेश में धनगर जाति अपनी उपजातियां पाल, बघेल, गायरी, गाड़री, गडरिया, भारूड, गाडरी, मझारी, श्रीपाल, हटकर, हाटकर कुरुमार, कुरुमा, दरिया घोसी, गवाला एवं महाराष्ट्रीयन धनगर के रूप में निवासरत है। प्रदेश में समाज की लगभग 80 लाख आबादी है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर समाज के लगभग 50 लाख मतदाता रह रहे हैं। विधानसभा में 150 सीटों व लोकसभा में 29 सीटों में से 19 सीटों पर समाज के वोट निर्णायक भूमिका में होते हैं। देश प्रदेश की राजनीति में वोटर के रूप में निर्णायक भूमिका में होने के बावजूद लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा में समाज को कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। समाज के प्रतिनिधि पूर्व में भी इस आशय की जानकारी से तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को ज्ञापन के माध्यम से अवगत करा चुके है। उनके आश्वासन पर समाज ने बीजेपी नेतृत्व को सहयोग किया। 2018 के चुनाव परिणाम की तुलना में इस बार विधानसभा में भाजपा के लिए ज्यादा अच्छे परिणाम रहे। धनगर व उसकी उपजातियों ने संगठन को वोट करने से भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। इसके बावजूद समाज व उसकी उपजातियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। नेतृत्व नहीं मिलने से समाज कई कठिनाइयों से जूझ रहा है। अब ऐसा महसूस होने लगा है की प्रदेश की 80 लाख आबादी में से एक भी व्यक्ति नहीं, जिसे किसी तरह से नेतृत्व प्रदान किया जा सके। समाजजन की राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं देकर बहुसंख्यक समाज की लगातार अनदेखी की जा रही है। इसे लेकर समाजजन उपेक्षित महसूस कर रहे है। यदि संगठन इस विषय में कोई उचित निर्णय नहीं लेता है तो धनगर समाज शीघ्र सामाजिक स्तर पर बैठक लेकर प्रदेश में किसी तरह का निर्णय लेने के लिए बाध्य हो जाएगा।

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