आख़िर क्यों असफल हो रहे कलेक्टर के प्रयास
रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में देखा यह जा रहा है कि काफी लंबे समय बाद इस जिले में कर्त्तव्यनिष्ठ और जनकल्याणकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कराने का प्रयास करने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी मध्यप्रदेश के मंडला जिले की कलेक्टर डाॅ सलोनी सिडाना लगातार प्रयास कर रही हैं, कि इस जिले से पिछड़ेपन का कलंक दूर हो लेकिन इनके प्रयासों पर इनके अधीनस्थ ही अधिकारी कर्मचारी के द्वारा पानी फेरा जा रहा है। इनके द्वारा संपूर्ण जिले में लगातार विकास कार्यों का अवलोकन व निरीक्षण का कार्य किया जा रहा है। अनेक तरह की खामिया सामने आ रही है जिन्हें दूर करने के लिए आदेश निर्देश जारी किये जा रहे हैं इसके अलावा लगातार सभी शासकीय विभागों की समीक्षा बैठक करके भी इनके द्वारा आदेश निर्देश जारी किये जा रहे हैं कि जनकल्याणकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन किया जाए। लेकिन देखा यह जा रहा है कि इनके आदेश निर्देशों का पालन मंडला जिले के सरकारी तंत्र के द्वारा हकीकत के धरातल में कितना किया जा रहा है इस संबंध में शासन प्रशासन द्वारा कोई भौतिक, मौखिक दस्तावेज सत्यापन नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से यह पता नहीं चल पा रहा है कि कलेक्टर के कितने आदेश निर्देशों का पालन सभी शासकीय विभागों द्वारा किया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि इनके आदेश निर्देश का पालन ज्यादा नहीं हो पा रहा है और ये स्वयं भी सिर्फ आदेश निर्देश ही जारी कर रहे है। लगातार अखबार की सुर्खियों में आदेश निर्देश की खबरे भी प्रकाशित होती रहती हैं। इनके द्वारा कहा जाता है कि स्वच्छता और सौंदर्यीकरण प्राथमिकता से करें कहीं शिक्षा तो कहीं स्वास्थ्य तो कहीं जनकल्याणकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन करने और तमाम तरह के आदेश निर्देश इनके द्वारा जारी किये जा रहे हैं जिनका पालन शायद इस जिले में सही रूप से नहीं हो पा रहा है। कुल मिलाकर कलेक्टर के प्रयासों में पानी फेरने का काम सरकारी तंत्र द्वारा किया जा रहा है। यह सभी को ज्ञात है कि मध्यप्रदेश के मंडला जिले में ढेर सारी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। सड़कों की हालत खस्ता हो गई है। सरकारी भवन मरम्मत व रंगरोगन की बाट जोह रहे हैं। पर्यटन व उद्योग विकास के लिए ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मां नर्मदा के तटों के विकास के लिए व नर्मदा के जल को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए कोई परिणामकारी प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन और जिला स्तरीय जनसुनवाई कार्यक्रम में प्राप्त आवेदन पत्रों के निराकरण में घोर लापरवाही बरती जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार, यातायात, कृषि उद्यानिकी, वानिकी के बुरे हाल हैं। गंदगी, बीमारी, बेरोजगारी, धांधली, निरक्षरता चरम सीमा पर पहुंच गई है। प्राईवेट अस्पतालों और स्कूलों की जांच पड़ताल नहीं की जा रही है। सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। ग्राम पंचायतों में मनमानी चल रही है। संपूर्ण मंडला जिले में पानी की समस्या को नहीं सुलझाया जा रहा है। जल जीवन मिशन की दुर्गति करके रख दी गई है। पेयजल संकट निवारण की सिर्फ नौटंकी की जा रही है। सभी सरकारी विभागों को सक्रिय नहीं किया जा रहा है। उद्यानों, पार्कों की हालत खराब हो गई है। कई तरह के विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं। तेजी के साथ व्यापक स्तर पर मनरेगा स्तर पर रोजगार मूलक कार्य प्रारंभ नहीं किये जा रहे हैं। नदी नालों व अन्य जल स्त्रोंतों की साफ सफाई नहीं की जा रही है। तालाबों का गहरीकरण नहीं किया जा रहा है। मंडला जिले में धार्मिक व राष्ट्रीय व पुरातात्विक महत्व के स्थलों की उपेक्षा हो रही है। इसके अलावा ऐसी तमाम तरह की समस्याएं हैं जिनका निराकरण नहीं हो पा रहा है।
वही मंडला जिले के नागरिको को कलेक्टर डाॅ सलोनी सिडाना से बहुत उम्मीद है। इन्होंने काफी हद तक इस जिले को विकसित करने का प्रयास किया है। लेकिन फिर भी काफी कसर बाकी है। सरकारी तंत्र इनके नियंत्रण के बाहर होने की पूरी कोशिश में होता है जिसे परिणामकारी ढंग से नियंत्रित करने की आवश्यकता अनेक लोग बता रहे हैं। लोगों की मांग है कि मंडला जिले की कलेक्टर इस जिले में विकास कीं गंगा बहाएं, सरकारी तंत्र को नियंत्रित करें। और इस जिले को विकास की मुख्य धारा से जोड़ेे ऐसी जनापेक्षा है।
साथ ही भ्रष्ट औऱ भ्रष्टाचार ग़बन घोटाले बाजो पर पारदर्शिता से जाँच कर दोषियों को सलाखों के पीछे जाए जिससे जनता को मिलने वाली जनकल्याणकारी योजनाएं उन तक पहुँच सके जिले के एक ईमानदार मुखिया और जनता के सेवक से जनता की यही उम्मीद की किरण दिखाई दे रही हैं कि काफ़ी समय के बाद जिले को एक ईमानदार कलेक्टर मिला है।